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अपने कार्यकाल के पहले 100 दिन में प्रधानमंत्री मोदी के सक्षम नेतृत्व में राजग सरकार ने एक ठोस और मजबूत शुरुआत की है। इस सरकार की सफलता को आंकने के लिए इसकी चकाचौंध नहीं, बल्कि इसके सुधार प्रस्तावों के विस्तार एवं व्यापकता पर गौर करना चाहिए। हमें यह समझना और सराहना होगा कि सरकार की नीतियां कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों को परिवर्तित कर देंगी और ऐसे समन्वित दृष्टिकोण से लम्बे समय में देश को बहुत लाभ होगा। कई प्रेक्षक भूमि अधिग्रहण, श्रम-कानून सुधार, पी़एस़यू. निजीकरण और बैंकों के पुनर्पूंजीकरण जैसे मुद्दों पर रोमांचक घोषणाओं की उम्मीद कर रहे थे। समय के साथ ऐसे सुधारों को भी आकार दिया जाना संभावित है, परन्तु सरकार ने समझदारी दिखाते हुए पहले कई जरूरी क्षेत्रों के ढांचों का सुधार किया है। हो-हुल्लड़ पर समय व्यर्थ करने की बजाय सरकार ने कई ऐसे कदम उठाये हैं जो दीर्घकालीन विकास की बुनियाद रखेंगे। चमक-दमक और नाटकीय कदम शुरुआत में तो आकर्षक लगते हैं, पर जल्द ही अपना प्रभाव खो बैठते हैं। परन्तु अगर विकास को बढ़ावा देने वाली जरूरी क्षमताओं से देश लैस हो, तो आगे आने वाली योजनाओं का क्रियान्वयन सरल होगा। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के शब्दों में, वतर्मान के मोहजाल में 'आने वाला कल न भुलाएं। आओ फिर से दिया जलाएं।'
सरकार ने कुछ क्षेत्रों को चिन्हित कर उनमें सुधार को प्राथमिकता दी है, जिससे दीर्घकालीन और स्थायी विकास संभव हो सके। ये क्षेत्र हैं ढांचागत, कृषि, विनिर्माण, डिजिटल और वित्तीय। ऐसा करके राजग सरकार ने मजबूत और निरंतर विकास को प्रोत्साहित करने वाली व्यवस्था बनाई है। इन क्षेत्रों का तेजी से विस्तार और इनकी कुशलता बढ़ाने के लिए निर्णायक कार्रवाई से देश की अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन मिलेगा, रोजगार बढे़गा और निजी क्षेत्र में निवेश आकर्षित होगा।
ढांचागत क्षेत्र रोजगार सृजन करने के साथ-साथ व्यवसायों और उद्योगों की उन्नति के लिए अनिवार्य है और इसलिए उस पर खास तौर से ध्यान दिया जा रहा है। सरकार शीघ्रता से कई रुकी हुई ढांचागत परियोजनाओं की बाधाओं को हटाती जा रही है। 3 महीने में ही, सरकार ने तेजी से कई परियोजनाओं को अनुमति दे दी है और कई लाख करोड़ की परियोजनाएं पारित कर दी हैं, जो संप्रग सरकार की निष्क्रियता से बिल्कुल विपरीत है। भूमि अधिग्रहण और वित्तपोषण में आने वाली बाधाओं को हटाया जा रहा है जिससे राजमागोंर् का एक सघन जाल बन सके। कोयला 'लिंकेज' का युक्तिकरण किया जा रहा है जिससे हम और बिजली पैदा कर सकें। 'रियल एस्टेट' और ढांचागत निवेश ट्रस्ट बनाए जा रहे हैं, जिससे इस क्षेत्र में अधिक पूंजी आकर्षित की जा सके। कई नवीन वित्तपोषण के तरीकों को प्रस्तावित किया गया है, जैसे 'पूल्ड म्युनिसिपल डेब्ट ऑब्लिगेशन,' ढांचागत परियोजनाओं को उधार मिलने में प्राथमिकता और ढांचागत बॉण्ड। ढांचागत क्षेत्र के अंतर्गत 'स्मार्ट सिटी' बनाकर शहरीकरण बढ़ाना, छोटे शहरों में हवाईअड्डे बनाना, 'हाई-स्पीड' रेल संजाल, रेल-गाडि़यों का सुधार और बंदरगाहों का आधुनिकीकरण शामिल हैं। यह देखकर बहुत खुशी होती है कि किस तरह कई मंत्रालय आपसी तालमेल और सामंजस्य से ढांचागत क्षेत्र को बढ़ावा देने में एक साथ लगे हुए हैं।
कृषि क्षेत्र भारत की अर्थ-व्यवस्था की रीढ़ है। हालांकि इस वर्ष मानसून निराशाजनक था, गौरतलब है कि इसके बावजूद सरकार ने खाद्य पदाथोंर् की कीमतों पर नियंत्रण रखा। साथ ही, बजट और अन्य नीतिगत पहलों के जरिये, सरकार इस क्षेत्र में मौलिक सुधार ला रही है। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, जिससे हर खेत को पानी मिलेगा, एक ऐतिहासिक पहल है, क्योंकि इससे हमारे किसान भाइयों की वर्षा पर निर्भरता घटेगी। दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना से हमारे गंावों तक अधिक बिजली पहुंचेगी और सब-ट्रांस्मीशन एवं वितरण प्रणालियां सुधरेंगी। खाद सब्सिडी को बनाये रखा गया है ताकि कृषि की लागत कम रहे, जिससे किसान और उपभोक्ता, दोनों को लाभ होगा। ए़पी़एम़सी. एक्ट से फलों और सब्जियों के असूचीयन से किसानों को अपने उत्पाद सीधा फुटकर विक्रेताओं और उपभोक्ताओं को बेचने की स्वतंत्रता मिली है और बिचौलियों द्वारा जमाखोरी और दाम चढ़ाने की आदत पर नियंत्रण लगाया गया है। कई अन्य कदम, जैसे किसानों के लिए मृदा स्वास्थ्य कार्ड, समर्पित टीवी चैनल, किसान विकास पत्र को वापस लाने आदि से हमारे किसानों को प्रोत्साहन, ज्ञान और संसाधन मिलेंगे, जिससे वे अपनी उत्पादकता में एक क्रांतिकारी बदलाव ला सकेंगे। हमारे कृषि क्षेत्र को पुनर्जीवित करने में ये महत्वपूर्ण भूमिका निभायेंगे।
भारत निर्माण में एक और घटक है विनिर्माण क्षेत्र, जिसमें हमारे युवाओं के लिए रोजगार सृजन और आयात खर्च घटाने की प्रचुर क्षमता है। स्वतंत्रता दिवस पर अपने यादगार भाषण में प्रधानमंत्री ने दुनिया भर के निर्माताओं को 'मेक इन इण्डिया' का आमंत्रण दिया। बजट में सरकार ने कई विनिर्माण क्षेत्र, जैसे इलेक्ट्रॉनिक्स और सौर पैनल, के 'ड्यूटी स्ट्रक्चर' का युक्तिकरण किया। हम मुंबई-दिल्ली और चेन्नै-बेंगलुरू के बीच उत्तम श्रेणी के ढांचागत और परिवहन जुड़ाव से लैस औद्योगिक गलियारे बनाने में लगे हैं। विशेष आर्थिक क्षेत्र पर सरकार एक नई नीति ला रही है, जो चीन के ढांचे से प्रभावित होगी। विनिर्माण क्षेत्र, जो हमारी अर्थ-व्यवस्था में लगभग 15 प्रतिशत का योगदान देता है, जून में समाप्त होने वाले 3 महीनों में 3़5 प्रतिशत की दर से विस्तृत हुआ, जो पिछली तिमाही के 14 प्रतिशत वार्षिक संकुचन से कहीं बेहतर है।
प्रधानमंत्री ने कुछ समय पूर्व एक चिरस्मरणीय बात कही थी कि 'इंडियन टेलेंट (आई़टी़) ़ इनफार्मेशन टेकनोलोजी (आई़टी़) इन्डिया टूमोरो (आई़टी़)' यानी डिजिटल इण्डिया प्रोजेक्ट सरकार की प्राथमिकताओं में है और इस पर 1 लाख करोड़ रुपए का निवेश किया जाएगा। मोटे तौर पर सरकार प्रत्येक भारतीय को डिजिटल ढांचे का लाभ देगी, ई-गवनेंर्स बढ़ाएगी और सबको डिजिटल क्षेत्र में सशक्तिकरण प्रदान करेगी। इस महत्वाकांक्षी कार्यक्रम से 2019 तक गंाव-गांव में ब्रॉडबैंड इन्टरनेट की सुविधा होगी। इसके अंतर्गत ब्रॉडबैंड हाईवे बनाये जायेंगे और हर व्यक्ति के पास मोबाइल फोन तक आसान पहुंच होगी। इससे डिजिटल विभाजन दूर होगा, सामाजिक गतिशीलता बढ़ेगी और हर भारतवासी एक दूसरे से और विश्व भर के संपर्क में आ सकेगा। ई-गवनेंर्स बढ़ाने के कदमों से सरकार की कुशलता और पारदर्शिता बढ़ेगी। हमारे होनहार नौजवानों की क्षमता का लाभ उठाकर हम इस लक्ष्य तक पहुंच पाएंगे और साथ में उन्हें रोजगार और बेहतर जीवन-शैली दे पायेंगे।
एक मजबूत और सुचारू रूप से चलने वाला वित्तीय क्षेत्र इन सभी क्षेत्रों को बल देने के लिए आवश्यक है। प्रधानमंत्री जन धन योजना, विश्व के इतिहास में सबसे बड़ा वित्तीय समावेशन कार्यक्रम है, जिससे 7़ 5 करोड़ घरों तक बैंकिंग और बीमा सुविधाएं पहुंचेंगी। यह योजना 'डायरेक्ट बेनिफिट ट्रान्सफर स्कीम' के क्रियान्वयन का ढांचा तैयार कर रही है, इससे शासन-विधि में सुधार आयेगा और क्षरण घटेगा। एक-रूप के और आपस में प्रयोग करने योग्य के़वाई़सी. नार्म भी लागू हो रहे हैं और सभी वित्तीय क्रियाकलापों के लिए एक ही डीमैट खाते की जरूरत होगी। वित्त मंत्रालय सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के पुनर्पूंजीकरण पर भी जोर दे रहा है, जिससे सभी बैंक मानदंडों पर खरे उतर सकें। कॅारपोरेट गवनेंर्स को मजबूत करके और पूर्वव्यापी कराधान को आगे से हटाकर सरकार ने विदेशी निवेशकों को प्रफुल्लित कर दिया है। शेयर बाजार ऊंचाइयों का कीर्तिमान बनाते जा रहे हंै, राजग सरकार की सम्भावना और सरकार की नीतियों और फैसलों के फायदों को पहचानकर।
यह स्पष्ट है कि इन क्षेत्रों की वृद्घि के लिए सरकार द्वारा काफी समय, सोच, परिश्रम और संसाधन लगाये गए हैं, जिससे अर्थव्यवस्था को सुधारा जा सके। हम प्रक्रियाओं को कुशल बनाकर भारत में व्यवसाय करना आसान बनाना चाहते हैं। भारत के प्रति व्यावसायियों का विश्वास और निवेशकों का झुकाव बढ़ा है। सरकार के तेज परन्तु विचारशील निर्णय, देश की सामजिक और आर्थिक व्यवस्था सुधारने के लिए ठोस कदम, स्वच्छ और पारदर्शी सुशासन और प्रेरक नेतृत्व की वजह से समाज के हर वर्ग के लोग राजग सरकार के पहले 100 दिनों का अभिवादन कर रहे हैं। जब दीर्घकालीन नीतियों का पूर्ण रूप से लाभ मिलेगा, तब हम देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) को स्थायी रूप से 7-8 प्रतिशत की दर से बढ़ते देखेंगे और करोड़ों लोगों को उत्तम रोजगार दे पायेंगे!
-जयंत सिन्हा लेखक वित्त विशेषज्ञ एवं हजारीबाग (झारखण्ड) से सांसद हैं
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