'रावण अब भी मान गया तो क्या करेंगे?'
May 11, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

'रावण अब भी मान गया तो क्या करेंगे?'

by
Sep 27, 2014, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 27 Sep 2014 17:20:57

रावण द्वारा निकाले जाने पर विभीषण भगवान राम की शरण में आते हैं। श्रीराम उन्हें लंका का राजा घोषित कर देते हैं। सुग्रीव यह देखते हैं और बाद में राम से कहते हैं कि प्रभु लगता है आपने विभीषण को लंका का राजा घोषित करने में जल्दबाजी कर दी। अभी तो रावण वहां का राजा है और युद्ध भी शुरू नहीं हुआ है। मान लीजिए कि रावण आपकी शरण में आ जाए तो…! शरणागत को अपनाना आपकी रीति है और विभीषण को दिया वचन भी भंग नहीं कर सकते, तब रावण को क्या देंगे?
'भागवत् रहस्य' ग्रंथ में नवें स्कन्ध में रामचंद्र केशव डोगरे जी ने इसका सुंदर उल्लेख किया है। तब प्रभु राम ने कहा कि ऐसा नहीं कि मैंने सोच-विचार किए बिना ऐसा किया। अगर अब भी रावण मेरी शरण में आता है तो मैं उसे अयोध्या का राज्य दे दूंगा और हम चारों भाई वनवास करेंगे।

लीलाप्रेमियों का दुख
वर्षांे से भारतीय संस्कृति के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण योगदान दे रही इस रामलीला के कई स्थलों की दुर्दशा और बढ़ते अतिक्रमण से रामलीला प्रेमी दुखी हैं। कई लीला स्थलों के आसपास के पेड़ों को काटकर कॉलोनियां बनाई जा रही हैं। दूसरी ओर रामलीला को मिलने वाला सरकारी अनुदान भी बहुत कम है। संस्कृति एवं पर्यटन विभाग भी इसके प्रति अपनी वो जिम्मेदारी नहीं निभा रहा है, जिसकी दरकार थी।

दीये की रोशनी में लीला का मंचन
जाने-माने इतिहासार एस.के. गांगुली रामनगर की रामलीला के बारे में बताते हैं कि इसका कोई लिखित इतिहास नहीं है। ऐसा कहा जाता है कि गोस्वामी तुलसीदास ने काशी में राम की लीलाओं का मंचन शुरू किया था। साल 1855 के आसपास महराज महीपनारायण सिंह ने रामनगर में रामलीला की शुरुआत की थी। बाद में महराज उदित नारायण ने लीला को बड़ा आकार दिया। उस समय दीया जलाकर उसकी रोशनी में रामलीला का मंचन किया जाता था।

संस्कार से होता है, रावण का अंतिम संस्कार
रामनगर की रामलीला में लीला के साथ ही संस्कारों को भी सहेजा जाता है। यही इस रामलीला की आत्मा है। हिन्दू संस्कार है कि किसी के मरने पर उसके परिवार का ही कोई आग देता है। रावण के परिवार में अकेला विभीषण ही बचा था, लिहाजा वही अंतिम संस्कार करता है। रामनगर की रामलीला में यही पारिवारिक संस्कार आज भी निभाया जाता है।
रामनगर की रामलीला में विभीषण बनने वाले पात्र राममूरत पाठक कहते हैं, आज तो हर जगह रावण दहन पर जमकर आतिशबाजी होती है, लेकिन इस बहाने पारिवारिक और पारम्परिक मान्यताओं का विलोपन भी हो रहा है। लंका से बाहर निकाले जाने के बाद भी विभीषण अपने पारिवारिक धर्म को निभाता है, लेकिन आज के दौर में ऐसी सूरत में लोग एक-दूसरे का दु:ख तक बांटना पसंद नहीं करते हंै।
इनकी मानें तो रामलीला पर भी आधुनिकता हावी हो रही है। कहीं राम के तीर से रावण धधक उठता है तो कहीं रिमोट से रावण का पुतला जलाया जा रहा है। कोई तीन दशक तक रावण के पुतले की अन्त्येष्टि करते रहे और विभीषण की भूमिका निभाते रहे राममूरत डाक तार विभाग में कार्यरत हैं। उनकी पहचान अब विभीषण महाराज के रूप में स्थापित हो गई है। उन्हें उनके मूल नाम से कम, विभीषण के नाम से ही ज्यादा जाना जाता है। श्री पाठक को विभीषण के चरित्र में गहरी आस्था है। कहते हैं कि विभीषण से बड़ा रामभक्त कोई था ही नहीं। वे जहां निवास करते थे वहां की दीवारों पर राम राम लिखा था तो निवास के बाहर तुलसी का पौधा रहता है। गोस्वामी तुलसीदास का हवाला देते हुए कहते हंै कि जिस दिन विभीषण ने लंका छोड़ी, उसी दिन निशाचरों (राक्षसों) की आधी जान खत्म हो जाती है। उन्हें इस बात का जरा भी रंज नहीं है कि जो नाम कोई अपने घर में किसी का नहीं रखना चाहता, उस नाम से उनकी पहचान है। कहते हैं विभीषण के चरित्र को समझने की जरूरत है। खुद उनके पुत्र रामजी पाठक स्वप्रेरणा से उनकी अनुपस्थिति में विभीषण की भूमिका करते हैं। बताते हैं कि यहां रावण के पुतले का दहन रामलीला का अंश होता है। श्री राम का निर्देश मिलने पर वे जाते हैं। अग्नि हाथ में लेकर रावण के पुतले की पांच बार परिक्रमा करते हैं।

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

बौद्ध दर्शन

बौद्ध दर्शन: उत्पत्ति, सिद्धांत, विस्तार और विभाजन की कहानी

Free baloch movement

बलूचों ने भारत के प्रति दिखाई एकजुटता, कहा- आपके साथ 60 मिलियन बलूच लोगों का समर्थन

समाधान की राह दिखाती तथागत की विचार संजीवनी

प्रतीकात्मक तस्वीर

‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर भारतीय सेना पर टिप्पणी करना पड़ा भारी: चेन्नई की प्रोफेसर एस. लोरा सस्पेंड

British MP Adnan Hussain Blashphemy

यूके में मुस्लिम सांसद अदनान हुसैन को लेकर मचा है बवाल: बेअदबी के एकतरफा इस्तेमाल पर घिरे

पाकिस्तान के साथ युद्धविराम: भारत के लिए सैन्य और नैतिक जीत

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

बौद्ध दर्शन

बौद्ध दर्शन: उत्पत्ति, सिद्धांत, विस्तार और विभाजन की कहानी

Free baloch movement

बलूचों ने भारत के प्रति दिखाई एकजुटता, कहा- आपके साथ 60 मिलियन बलूच लोगों का समर्थन

समाधान की राह दिखाती तथागत की विचार संजीवनी

प्रतीकात्मक तस्वीर

‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर भारतीय सेना पर टिप्पणी करना पड़ा भारी: चेन्नई की प्रोफेसर एस. लोरा सस्पेंड

British MP Adnan Hussain Blashphemy

यूके में मुस्लिम सांसद अदनान हुसैन को लेकर मचा है बवाल: बेअदबी के एकतरफा इस्तेमाल पर घिरे

पाकिस्तान के साथ युद्धविराम: भारत के लिए सैन्य और नैतिक जीत

Indian DRDO developing Brahmos NG

भारत का ब्रम्हास्त्र ‘Brahmos NG’ सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल अब नए अवतार में, पांच गुणा अधिक मारक क्षमता

Peaceful Enviornment after ceasfire between India Pakistan

भारत-पाकिस्तान के बीच सीजफायर के बाद आज क्या हैं हालात, जानें ?

Virender Sehwag Pakistan ceasfire violation

‘कुत्ते की दुम टेढ़ी की टेढ़ी ही रहती है’, पाकिस्तान पर क्यों भड़के वीरेंद्र सहवाग?

Operation sindoor

Operation Sindoor: 4 दिन में ही घुटने पर आ गया पाकिस्तान, जबकि भारत ने तो अच्छे से शुरू भी नहीं किया

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies