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पाञ्चजन्य के पन्नों से

by
Sep 27, 2014, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 27 Sep 2014 15:54:06

वर्ष: 9 अंक: 14
10 अक्तूबर,1955

गोआ- मुक्ति-आन्दोलन

सरकार कर्तव्य पालन करने में पूर्ण विफल
भारत की जनता गोआ को मुक्त कराके रहेगी
पूना की जनसभा में श्री अटलबिहारी वाजपेयी का भाषण

पूना। 'नेहरूजी कहते हैं कि गोआ भारत में मिलेगा। गोवा मिलेगा,यह तो हम भी जानते हैं। गोवा क्या,एक दिन पाकिस्तान भी भारत में मिलेगा,इन दो प्रश्नों का उत्तर दिया जाना चाहिए। भारत सरकार गोआ की मुक्ति के लिए पुलिस कार्यवाई के लिए तैयार नहीं। पुर्तगाल पर कूटनीतिक दबाव डालने का उसका प्रयत्न भी असफल हुआ है। तब फिर गोआ किस तरह आजाद होगा? कब, और, कैसे- इन दो प्रश्नों का उत्तर नेहरूजी को देना है। आज सारा देश उनसे यही दो प्रश्न कर रहा है। क्या नेहरूजी के पास इसका उत्तर है?' यह शब्द भारतीय जनसंघ के मंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने पूना शहर में सर्वदलीय गोआ विमोचन सहायक समिति के तत्वावधान में आयोजित विशाल जनसभा में कहे,यह सभा 2 अक्तूबर को गोआ में सत्याग्रह के लिए जानेवाले जत्थे के नेता,महाराष्ट्र प्रदेश जनसंघ के प्रधान श्री उत्तमराव पाटिल,एम एल सी को विदा देने के लिए हुई थी।
सत्याग्रह जारी रखना आवश्यक
श्री वाजपेयी ने कहा कि गोआ विमोचन सहायक समिति को बधाई देता हूं। हमें समिति से यही आशा थी। सत्याग्रह को जारी रखने का निर्णय करके समिति ने जन भावनाओं का आदर किया है? मैं अन्य विरोधी दलों को भी बधाई देता हूं जिन्होंने कांग्रेस द्वारा बिछाये गए जाल में फंसने से इन्कार करके गोआ के प्रश्न पर निर्मित राष्ट्रीय एकता को कायम रखा है। सत्याग्रह आन्दोलन के सफल संचालन के लिए समिति हमारी बधाई की पात्र है। जो काम भारत सरकार 8 वर्ष में नहीं कर सकी वह समिति ने 6 मास में करके दिखा दिया है। … 'किन्तु आज कहा जाता है कि अब सत्याग्रह करने की आवश्यकता नहीं। क्यों आवश्यकता नहीं? क्या गोआ आजाद हो गया? यदि नहीं, तो गोआ की मुक्ति के लिए संचालित संग्राम गोआ के गुलाम रहते कैसे बन्द किया जा सकता है? सत्याग्रह के रूप में भारतीय जनता ने गोआ की आजादी के लिए एक पग उठाया है। यह अंगद का पैर है। यह तब तक वापस नहीं हो सकता जब तक गोआ की स्वतंत्रता की सीता पुर्तगाली रावणों की मुट्ठी से मुक्त नहीं हो जाती।

 

संसार से 'भारतमाता की जय' बुलवाकर रहेंगे
संघ के अ.भा. बौद्धिक प्रमुख आप्टे जी का शिलांग में भाषण

शिलांग। असम के मुख्य-मुख्य स्थानों का भ्रमण करते हुए रा.स्व.संघ के अखिल भारतीय बौद्धिक प्रमुख श्री बाबा साहब आप्टे का शिलांग में आगमन हुआ। स्थानीय स्वयंसेवकों के बीच उनका सारगर्भित भाषण हुआ। भाषण का आरम्भ 'भारतमाता की जय'से हुआ।
आप्टे जी ने अपना भाषण प्रारम्भ करते हुए कहा- 'हम इस देश को अपनी जन्मभूमि मानते हैं,मातृभूमि मानते हैं। उसका पयपान कर हम बड़े हुए हैं। उसने हमें ज्ञान दिया है,शक्ति दी है। हमारे उपर सदा स्नेहपूर्ण हाथ रखा है। वह भोग्या नहीं पूज्या है,वन्दनीया है। मां के इस आकार को देखने के लिए चर्मचक्षु नहीं,अन्तर्चक्षु चाहिए हम संघ के स्वयंसेवक इसी अन्तर्चक्षु से मां के अन्तरंग रूप को देखते हैं। हम इसी विशाल मां की जय कामना करते हैं।'… भारत भूमि की विशेषता का वर्णन करते हुए आप्टे जी ने कहा'मानव जन्म बहुत तपस्या के बाद मिलता है उस पर भी भारत में । इस पवित्र भूमि पर जन्म ग्रहण करने को देवता भी लालायित रहते हैं। भगवान् ने बार-बार जन्म लेकर इस पर क्रिड़ाएं की हैं। सब देशों में भगवान के दूत आते हैं,सन्देश-वाहक आते हैं किन्तु हमारे देश में भगवान् स्वयं आते हैं। किसी कवि ने भगवान् से प्रथना करते हुए कहा था 'हे भगवान हमें पक्षी बनाओ तो गंगा के तट पर खड़े वृक्षों की डालियों में मेरा घोंषला हो,यदि जलचर बनाओ तो गंगा में वास करने वाले कच्छप अथवा मक्ष बनाओ। मैं पशु भी बनकर भारत में रहना चाहता हूं किन्तु शक्तिसम्पन्न,वैभवपूर्ण राजा बनकर भी दूसरे देश में नहीं।'ऐसी है हमारी मातृभूमि! स्वामी विवेकानंद ने अमरीका में जाकर भारत के महाप्रताप का वर्णन करते हुए यह घोषणा की थी कि 'यदि मोक्ष पाना है तो पहले भारत में जन्म ग्रहण करो। भारत के बाहर किसी भी भूमि पर जन्म लेने से मोक्ष नहीं मिल सकता।'
भाषण का उपसंहार करते हुए आपने कहा 'हमारा जन्म ऐसी ही भूमि में हुआ है। हम संघ के स्वयंसेवक अपनी मां का गौरव बढ़ाने में अपने शरीर का तिल-तिल क्षय कर देंगे। जिस प्रकार गत 1925 से कार्य करते रहे हैं उससे भी अधिक लगन और उत्साह के साथ आगे भी कार्य करेंगे और 'भारतमाता की जय'विश्व से कहलाकर रहेंगे। हम सभी स्वयंसेवक ऐसा निश्चय करके काम में लग जाएं। यह मेरा संघ की ओर से सन्देश है।'

इसे भी पढ़ें : संघ पंथ नहीं, संगठन है

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