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अमरीका के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर वर्ष 2001 में 9/11 का हमला करने वाले आतंकी संगठन अल-कायदा के प्रमुख अल जवाहिरी ने हाल ही में एक वीडियो जारी किया, जिसमें भारत की ओर रुख कर नई शाखाएं खोलने की धमकी दी गई है। अल-कायदा के वीडियो की विश्वसनीयता को लेकर खुफिया एजेंसी अभी किसी नतीजे पर नहीं पहंुची हैं, लेकिन उसके बाद से ही देश के सभी राज्यों में अलर्ट जारी कर दिया गया। अल-कायदा की धमकी भारत के लिए कितनी असरदार है- इस पर उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक विक्रम सिंह (जिन्होंने अपने कार्यकाल में अल-कायदा के आतंकी अहमद उमर सईद शेख को सहारनपुर से गिरफ्तार किया था) से बातचीत की पाञ्चजन्य संवाददाता राहुल शर्मा ने, प्रस्तुत हैं उनसे हुई बातचीत के प्रमुख अंश :
– हाल ही में अल-कायदा ने भारत में पांव पसारने की धमकी देते हुए एक वीडियो जारी किया है, जो कि इन दिनों पूरे विश्व में चर्चित है। आप वर्तमान में अल-कायदा और उसकी धमकी को कैसा आंकते हैं?
किसी भी आतंकी संगठन की धमकी को हमें गंभीरता से लेना चाहिए। इसी संगठन ने अमरीका में 9/11 की घटना को अंजाम दिया था। इस लिहाज से धमकी को लेकर देश की आंतरिक और बाहरी सुरक्षा चाकचौंद होनी चाहिए। अल-कायदा के प्रभाव की जहां तक बात है तो मैं बता दूं कि वर्ष 1994 के दौरान जब मैं मेरठ रेंज का उप पुलिस महानिदेशक हुआ करता था। उसी दौरान दिल्ली से चार विदेशी पर्यटकों का अपहरण किया गया था। इन पर्यटकों को सहारनपुर से मुक्त कराया गया, जिसमें उत्तर प्रदेश पुलिस के निरीक्षक ध्रुवलाल यादव और एक सिपाही शहीद हो गए थे। उस समय अहमद उमर सईद शेख को गिरफ्तार किया गया, जो कि स्वयं ब्रिटिश नागरिक था। उसे वर्ष 1999 में इंडियन एयरलाइंस विमान के अपहरण करने पर मौलाना मसूद अजहर और शेख मुश्ताक अहमद के साथ रिहा किया गया था। अहमद उमर सईद शेख ने ही वर्ष 2002 में पाकिस्तान में ब्रिटिश पत्रकार डेनिअल पर्ल की हत्या की थी और वह 9/11 का सूत्रधार भी था। यानी इतने कुख्यात आतंकी को वर्ष 1994 में ही गिरफ्तार कर लिया गया था, लेकिन दुर्भाग्यवश भारत सरकार को उसे छोड़ना पड़ा। इससे स्पष्ट है कि वर्तमान में अल-कायदा के लिए भारत में पांव पसारना आसान नहीं है क्योंकि पिछले 20 वषोंर् में देश का खुफिया तंत्र और पुलिस तकनीकी रूप में पहले से कहीं ज्यादा मजबूत हो चुके हैं।
– ऐसा भी कहा जा रहा है कि आईएसआईएस के बढ़ते प्रभाव के मद्देनजर अपने अस्तित्व को लेकर यह वीडियो जारी किया गया, आपको क्या लगता है?
आईएसआईएस के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए हो सकता है कि अपना अस्तित्व बचाने के लिए अल-कायदा ने वीडियो के माध्यम से नया राग छेड़ दिया हो। लेकिन यह भी सत्य है कि वर्तमान में अफगानिस्तान छिन्न-भिन्न हो चुका है और अमरीकी सेना वहां से हट रही है। पाकिस्तान के हालात बदतर होते जा रहे हैं। ऐसे में मुस्लिम आबादी वाले भारत, बंगलादेश और म्यांमार की तरफ अल-कायदा रुख कर सकता है। लेकिन यह तय है कि बगैर पाकिस्तान की सहायता के वह कुछ नहीं कर सकता क्योंकि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई का भारत के विरुद्ध सभी संगठनों को भरपूर सहयोग रहता है।
– रांची में अल-कायदा के नाम से पोस्टर लगाए गए हैं। क्या माना जाए कि अल-कायदा से जुड़े लोग सक्रिय हो चुके हैं?
यदि देश के किसी भी हिस्से में अल-कायदा या किसी दूसरे आतंकी संगठन द्वारा पोस्टर लगाए जा रहे हैं तो निश्चित रूप से उसका कहीं न कहीं से संपर्क तो होगा, लेकिन यह कहना भी जल्दबाजी होगी कि अल-कायदा सक्रिय हो गया है। इसकी रोकथाम के लिए सूचना तंत्र और मजबूत कर इन गतिविधियों में संलिप्त लोगों की पहचान कर उनकी धर-पकड़ करनी होगी। इसके लिए एनआईए, आईबी और राज्यों की पुलिस को एकजुट होकर कार्रवाई करनी होगी। आतंकी संगठनों के विरुद्ध 1/4 के अनुपात में कार्रवाई की जानी चाहिए।
– आतंकी संगठनों का सफाया करने के लिए क्या नीति अपनाई जानी चाहिए। क्या वास्तव में सिमी पर प्रतिबंध लगाने के बाद उसकी गतिविधियां थम गई हैं?
भारत में आतंकी संगठनों का सफाया करने के लिए हर कीमत पर चीन और इस्राइल जैसे देशों से सीख लेते हुए ठोस नीति पर चलना होगा। भारत सरकार द्वारा सिमी पर बेशक प्रतिबंध लगाया गया है, लेकिन आज भी देश के विभिन्न हिस्सों में गुपचुप तरीके से सिमी की राष्ट्र विरोधी गतिविधियां जारी हैं। इनके माध्यम से समाज में देश के खिलाफ वेबसाइट और साहित्य के माध्यम से जहर उगला जा रहा है। दक्षिण भारत में भी मुस्लिम संगठनों द्वारा राष्ट्र विरोधी अभियान चल रहे हैं। विभिन्न राज्यों में चल रही इनकी नर्सरी को हर कीमत पर नष्ट किया जाना चाहिए।
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