|
अन्तरराष्ट्रीय सहयोग परिषद् दुनियाभर में रह रहे भारतवंशियों और भारत के बीच वह सांस्कृतिक कड़ी है,जो उन्हें अपने पूर्वजों की मातृभूमि से जोड़कर रखती है।
गत दिनों अन्तरराष्ट्रीय सहयोग परिषद् के महासचिव रहे स्व. बालेश्वर अग्रवाल के 93वें जन्मदिन पर नई दिल्ली स्थित प्रवासी भवन में उनकी मूर्ति का अनावरण केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं कल्याण मंत्री डॉ़ हर्षवर्धन ने किया। उसी दिन शाम को इंडिया इंटरनेशन सेंटर में 'प्रवासी भारतीयों के सम्बंध में भारत सरकार की नीति' विषय पर 'प्रथम बालेश्वर अग्रवाल व्याख्यानमाला' का आयोजन किया गया। इसकी मुख्य वक्ता थीं विदेश एवं प्रवासी भारतीय कार्य मंत्री श्रीमती सुुषमा स्वराज। समारोह की अध्यक्षता पूर्व उपप्रधानमंत्री श्री लालकृष्ण आडवाणी ने की। समारोह मंे श्रीमती सुषमा स्वराज ने कहा कि बालेश्वर जी ने अपना पूरा जीवन प्रवासी भारतीयों के हितों की रक्षा और कल्याण के लिए समर्पित कर दिया तथा विदेशों के भारतवंशियों के बीच श्री बालेश्वर अग्रवाल अत्यंत सुपरिचित व्यक्ति बन गए थे। हमें उनके कायार्ें को आगे बढ़ाना है। श्री लालकृष्ण आडवाणी ने स्व. बालेश्वर अग्रवाल के कायांर्े की सराहना करते हुए कहा कि वे प्रवासी भारतीयों के लिए पूर्ण समर्पण भाव से कार्य करते रहे। अब हमारा यह कर्तव्य हो जाता है कि न सिर्फ उच्च पदों पर रहने वाले प्रवासी भारतीय, बल्कि उन भारतीय मजदूरों की समस्याओं का भी समाधन करें, जो खून और पसीना बहाकर विदेशांे में काम कर रहे हैं।
व्याख्यानमाला को अन्तरराष्ट्रीय सहयोग परिषद् के अध्यक्ष तथा पूर्व विदेश सचिव श्री शशांक, परिषद् के महासचिव श्री श्याम परांडे, वरिष्ठ उपाध्यक्ष श्री अशोक टंडन, मानद निदेशक श्री नारायण कुमार ने भी सम्बोधित किया।
स्थापना : परिषद् की स्थापना 27 जनवरी,1978 को की गई थी। 1983 मेंे श्री बालेश्वर अग्रवाल ने इस संस्था के महासचिव का कार्यभार संभाला और उसी समय से प्रवासी भारतीयों के साथ सुदृढ़ सम्बंध स्थापित करने के लिए परिषद् के इतिहास में एक स्वर्णिम अध्याय की शुरुआत हुई। आज विश्व के कोने-कोने में फैले 2.5 करोड़ प्रवासी भारतीयों के मित्र, शुभचिंतक एवं पथप्रदर्शक के रूप में यह संस्था निरंतर कार्य कर रही है।
इसका उद्देश्य है विदेशों में रहने वाले भारतवंशियों के साथ निकट सम्बन्ध स्थापित करना और विश्वभर के मानव समुदाय के बीच स्नेह और सद्भाव कायम करना। 'वसुधैव कुटुम्बकम्' परिषद का ध्येय वाक्य है। आज भारत सहित पूरा संसार वैश्वीकरण के मनमोहक मंत्र से इतना प्रभावित है कि लोग अपनी परम्परा, रीति-रिवाज और संस्कृति को त्याग कर उन मूल्यों को अपनाने लगे हैं, जो उनके समाज और संस्कृति तथा राष्ट्र की पहचान पर प्रश्न चिन्ह लगा रहे हैं। ऐसी स्थिति में अन्तरराष्ट्रीय सहयोग परिषद् भारत की सांस्कृतिक परम्परा और आधुनिक उपलब्ध्यिों को वैश्विक आधार प्रदान कर रही है।
विगत 36 वषार्ें मंे अन्तरराष्ट्रीय सहयोग परिषद् ने अपनी गतिविधियों और क्रियाकलापों में काफी विस्तार किया है। भारत के 10 राज्यों के 20 नगरों में इसकी शाखाएं काम कर रही हैं। इस संस्था का नेतृत्व प्रारंभ से ही भारत के बड़े-बड़े बुद्धिजीवियों और राजनेताओं ने किया है। इसके अध्यक्ष पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल डॉ़ धर्मवीर, फिजी में भारत के प्रथम उच्चायुक्त श्री भगवान सिंह, भारत सरकार की पूर्व केन्द्रीय मंत्री डॉ़ सरोजिनी महिषी, विदेश मंत्रालय के पूर्व सचिव श्री लखनलाल मेहरोत्रा और पूर्व केन्द्रीय मंत्री श्री वेद प्रकाश गोयल रह चुके हैं। इस समय वरिष्ठ उपाध्यक्ष के पद पर माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय के पूर्व निदेशक तथा प्रसिद्ध पत्रकार श्री अशोक टंडन हैं। हिन्दी के प्रसिद्ध कवि एवं पत्रकार श्री बी़ एल. गौड़ तथा पूर्व रेल राज्यमंत्री और फिजी में भारत के पूर्व उच्चायुक्त श्री अजय सिंह उपाध्यक्ष हैं।
अन्तरराष्ट्रीय सहयोग परिषद् की गतिविधियों में विदेशों में परिषद् के सांस्कृतिक शिष्टमंडलों की यात्राएं, महत्वपूर्ण अन्तरराष्ट्रीय विषयों पर संगोष्ठियां, विदेशी छात्रों के लिए सांस्कृतिक कार्यक्रम, विदेशों से आने वाले प्रवासी छात्रों के साथ बातचीत और उनके लिए स्वागत समारोह का आयोजन शामिल हैं। परिषद् भारत के मित्र देशों के साथ सम्बंधोंं को सुदृढ़ करने में प्रभावी भूमिका निभाती रही है। मॉरीशस, फिजी, गुयाना, सूरीनाम, त्रिनिदाद एवं टोबैगो, नेपाल, भूटान आदि देशों के भारत स्थित उच्चायुक्तों और राजदूतांे के सम्मान में भी स्वागत समारोह आयोजित करती है। इन राजनयिकों से निकट सम्पर्क स्थापित कर परिषद् वहां के भारतवंशियों की समस्याओं के समाधान के लिए सदैव कार्य करती रही है। जब कभी विदेशों में रहने वाले प्रवासी भारतीयों के समक्ष कोई राजनीतिक संकट उपस्थित होता है तो परिषद् भारत सरकार और विश्व समुदाय से सम्पर्क स्थापित कर उनकी समस्याओं के समाधान के लिए हर संभव प्रयत्न करती है। परिषद् पड़ोसी देशों में भी भारतीयों के प्रति भेदभाव के मामलों को उचित मंचों पर उठाती रही है। वर्ष 2005 से परिषद् की सहयोगी संस्था अन्तरराष्ट्रीय सहयोग न्यास विदेशों मंे रहने वाले किसी विशिष्ट एवं वरिष्ठ प्रवासी भारतीय को 'प्रवासी भारतीय गौरव सम्मान' प्रदान करती है। परिषद् के भावी कार्यक्रमों में प्रवासी भवन में एक उच्चस्तर का पुस्तकालय तथा डायस्पोरा रिसर्च सेंटर स्थापित करना, प्रवासी भारतीयों के विदेश प्रवास के प्रामाणिक इतिहास पर अनुसंधान कार्य करवाना आदि शामिल है। ल्ल प्रतिनिधि
टिप्पणियाँ