श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर विशेष - श्रीकृष्ण का मूलमंत्र : राष्ट्र सर्वोपरि, धर्म सर्वोपरि
May 28, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर विशेष – श्रीकृष्ण का मूलमंत्र : राष्ट्र सर्वोपरि, धर्म सर्वोपरि

by
Aug 16, 2014, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 16 Aug 2014 15:43:53

युवाओं और विद्यार्थियों के बीच एस्ट्रो अंकल के नाम से मशहूर पवन सिन्हा अध्यात्म के माध्यम से समाज और राष्ट्र की सेवा को अपना हेतु मानते हैं। श्रीकृष्ण उनके नायक हैं और उनका मानना है कि आज के भारतवर्ष को दुनिया का सरताज बनाना है तो हमें श्रीकृष्ण के योगेश्वर स्वरूप को जानना होगा। कौशल, चातुर्य, बुद्धि, शौर्य और प्रजातांत्रिक मूल्यों की स्थापना से धर्म व राष्ट्र को दुनिया में अग्रणी बनाने के लिए आज श्रीकृष्ण जैसे नेतृत्व की ही जरूरत है। अजय विद्युत ने उनसे लम्बी बातचीत की, जिसमें श्रीकृष्ण के कई रूप संवरकर सामने आए, तो कई भ्रान्तियां भी टूटीं… प्रस्तुत हैं उस बातचीत के संपादित अंश :
-जन्माष्टमी पर कैसा भाव उमड़ता है?
जन्माष्टमी पर पूरा देश श्रीकृष्णमय हो जाता है। श्रीकृष्ण को हम सबसे ज्यादा मानते हैं। लेकिन हम श्रीकृष्ण को जानते कितना हैं, यह एक बड़ा प्रश्न है। श्रीकृष्ण की आयु 125 वर्ष रही है। हमें जिस श्रीकृष्ण के बारे में सबसे ज्यादा मालूम है वह लगभग आठ वर्ष के थे। श्रीकृष्ण जी के बारे में ज्यादातर कथाएं, ज्यादातर बातचीत, उनका रास, उनका प्रेम, उनकी शरारत, जिसकी बात यह पूरी दुनिया सबसे ज्यादा करती है, वह तो केवल आठ वर्ष की अवस्था दौरान की है। मैं एक विचित्र सी बात कह रहा हूं कि हमने श्रीकृष्ण के साथ न्याय नहीं किया। श्रीकृष्ण जो थे वह हम गाते नहीं, श्रीकृष्ण ने जो किया वह हम समग्रता से बताते नहीं… और श्रीकृष्ण ने जो हमसे चाहा कि हम करें, वह हम करते नहीं। हमारा भला हो, हमारे समाज का भला हो, उसके लिए उन्होंने जितने सिद्धांत दिए, जितना अध्ययन किया, हम वैसा श्रीकृष्ण के लिए कुछ नहीं करते। बस नाच लिए, गा लिए, श्रीकृष्ण के भजन हो गए, लल्ला की पैजनिया बज गई, बस।
– तो फिर क्या है कृष्ण का मूल स्वरूप?
श्रीकृष्ण का जो मूल स्वरूप है वह योगीराज का स्वरूप है। आठ वर्ष का बालक था वह। नाचा भी, गाया भी, शरारतें कीं, लेकिन उसके बाद वैसा कुछ कभी नहीं किया। श्रीकृष्ण के आठ वर्ष से बाद के इतिहास के बारे में अगर हम जनसामान्य से बात करते हैं तो वह सिर्फ यह बता सकते हैं कि वह महाभारत में थे, कुछ कहानियां जुड़ी हुई हैं महाभारत से कि वहां उन्होंने नेतृत्व किया, अर्जुन के सारथि बने और गीता का उपदेश दिया। बस यहीं बात खत्म।
जबकि श्रीकृष्ण बहुत बड़े ज्योतिषी हैं। श्रीकृष्ण को गो-पालन का, कृषि का, आयुर्वेद का बहुत अच्छा ज्ञान था। श्रीकृष्ण ने गणपति जी की, सरस्वती जी की आराधना शुरू करायी। रंगों का, फूलों का उन्हें वृहद ज्ञान था। हमें अपने युग के हिसाब से हमारे देवता की पूजा करनी चाहिए। हमारे देवता की प्रतिमा हमारे युग के हिसाब से होनी चाहिए। जिस संकट के समय से हिन्दुस्थानी गुजर रहे हैं, यह संकट का समय है, संघर्ष बहुत है, और हमारी लड़ाई केवल धन के लिए नहीं है, केवल आराम के लिए नहीं है, हमारी लड़ाई इस वक्त अस्तित्व के लिए भी है। हिन्दुस्थानियों की लड़ाई अपने अस्तित्व के लिए है, भारत के अस्तित्व के लिए है। हमारे लिए हमारे पड़ोसी देश ही हमारे लिए खतरा हैं। पूरे विश्व में कई देश हमारे लिए खतरा बने हुए हैं। इस समय हमें योगीराज श्रीकृष्ण की जरूरत है। इस समय हमें नाचने-गाने वाले श्रीकृष्ण की जरूरत कम है। हालांकि जीवन के लिए यह भी आवश्यक है, लेकिन योगीराज स्वरूप हमें शक्ति देता है, जिंदगी जीने का मार्ग बताता है।
-क्यों इतने अनूठे, खास और अपने से लगते हैं श्रीकृष्ण?
सबसे पहले श्रीकृष्ण ने योग के बारे में कहा- योग: कर्मसु कौशलम्। कर्म की कुशलता को योग कहते हैं। दूसरा उन्होंने शब्द इस्तेमाल किया है- योगक्षेम। योग शब्द का यहां तात्पर्य है अप्राप्य को प्राप्त करने का ज्ञान। यानी हम जो अभी तक प्राप्त नहीं कर पाए हैं, उसे कैसे प्राप्त करेंगे, वह योग है और जो प्राप्त किया उसका कैसे संरक्षण करेंगे, यह क्षेम हुआ।
इसे यूं समझते हैं कि जैसे हमने ईश्वरीय गुण को प्राप्त किया योग के द्वारा, वह योग हो गया। फिर उसका संरक्षण और संवर्धन करते जा रहे हैं, वह क्षेम हो गया। प्रकृति को प्राप्त किया, प्रकृति का संरक्षण एवं संवर्धन किया। ये जो दो सिद्धांत हैं, इन्हें आदमी सामने दीवार पर लगाकर मन से पढ़ना और उन पर चलना शुरू कर दे तो उसकी जिंदगी बदलनी शुरू हो जाएगी।
-भारत के परिप्रेक्ष्य में बात करें तो युवाओं के लिए श्रीकृष्ण की क्या उपयोगिता है?
भारत के युवाओं के लिए तो श्रीकृष्ण का यही संदेश है कि जो काम हाथ में लिया है उसे सर्वश्रेष्ठ करो। यह नहीं कि बस पास होने के लिए पढ़ रहे हैं। मत पढ़ो। जिस काम में जाना चाहते हो, उस काम में चले जाओ। लेकिन पढ़ रहे हो तो खूब अच्छे से पढ़ो। अपनी तरफ से अपना सर्वश्रेष्ठ दो। अपने दिमाग का बेहतर से बेहतर इस्तेमाल करो और यह भी बता रहे हैं कि कैसे करो। केवल उपदेश नहीं दे रहे हैं वह, क्रिया और विधियां भी बता रहे हैं। ऐसे श्रीकृष्ण की पूजा करने की जरूरत है।
हाल में एक पत्रिका में विप्रो के चेयरमैन का बयान था कि भारत के युवा में 'अंडर एम्प्लॉयमेंट' है। यानी कि वे उस काबिल नहीं हैं जितनी तनख्वाह की वे उम्मीद करते हैं। मैनेजमेंट में या इंजीनियरिंग में उतने प्रवीण होकर वे नहीं आ रहे हैं। श्रीकृष्ण के योग: कर्मसु कौशलम् में यही है कि यदि आपकी दिनचर्या, आपका मन, मस्तिष्क, इन्द्रियां और शरीर एकाग्र नहीं हो पाता तो आप अपना कर्म कुशलता से कर ही नहीं सकते। अब यदि अपना कर्म कुशलता से नहीं करेंगे, फिर भी फल की इच्छा रखेंगे, तो फल मिलेगा नहीं। श्रीकृष्ण ने अपना पूरा जीवन बहुत संघर्ष से काटा और अपने लिए नहीं मेरे-आपके लिए काटा। राष्ट्र सर्वोपरि, धर्म सर्वोपरि- यह श्रीकृष्ण का मूलमंत्र है। राष्ट्र में धर्म की स्थापना हो। और धर्म क्या 'धार्यते इति धर्म:' वाला धर्म। यानी कर्त्तव्यनिष्ठा, ईश्वर कार्य, उनकी स्थापना राष्ट्र में होनी चाहिए। राष्ट्र शक्तिशाली हो, वहां शांति हो, प्रजा खुशहाल हो और राष्ट्र आततायियों के हाथ में कभी नहीं होना चाहिए।
श्रीकृष्ण ने यज्ञ के बारे में भी बड़ी गूढ़ रहस्य की बात कही है। यज्ञ देवताओं के लिए नहीं है, सृष्टि के लिए है। देवताओं की सृष्टि के संवर्धन के लिए यज्ञ करो। आप बीमार हैं तो यज्ञ कीजिए- अलग अलग बीमारियों के लिए अलग अलग यज्ञ बताए गए हैं।

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

वीर सावरकर

वीर सावरकर : हिंदुत्व के तेज, तप और त्याग की प्रतिमूर्ति

आज़हरुल इस्लाम

बांग्लादेश में आजाद घूमेगा 1000 से अधिक हत्या करने का आरोपी, जमात नेता आज़हरुल इस्लाम की सजा रद

मुख्य आयोजन स्थल

उत्तराखंड : 21 जून को भराड़ीसैंण में होगा योग दिवस का मुख्य आयोजन, सीएम के साथ 10 देशों के राजदूत होंगे शामिल

विजय पुनम

ओडिशा में नक्सलियों को बड़ा झटका : रायगडा में कुख्यात विजय ने किया आत्मसमर्पण

Representational Image

बांग्लादेशियों संग न करना शादी, जानिए चीन ने क्यों जारी की चीनियों के लिए ऐसी एडवाइजरी

पाकिस्तानी फाैज द्वारा बलूचिस्तान से जबरन गायब किए गए लोगों के परिजन­

हवाई घोषणा नहीं, पूर्ण स्वतंत्रता लक्ष्य

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

वीर सावरकर

वीर सावरकर : हिंदुत्व के तेज, तप और त्याग की प्रतिमूर्ति

आज़हरुल इस्लाम

बांग्लादेश में आजाद घूमेगा 1000 से अधिक हत्या करने का आरोपी, जमात नेता आज़हरुल इस्लाम की सजा रद

मुख्य आयोजन स्थल

उत्तराखंड : 21 जून को भराड़ीसैंण में होगा योग दिवस का मुख्य आयोजन, सीएम के साथ 10 देशों के राजदूत होंगे शामिल

विजय पुनम

ओडिशा में नक्सलियों को बड़ा झटका : रायगडा में कुख्यात विजय ने किया आत्मसमर्पण

Representational Image

बांग्लादेशियों संग न करना शादी, जानिए चीन ने क्यों जारी की चीनियों के लिए ऐसी एडवाइजरी

पाकिस्तानी फाैज द्वारा बलूचिस्तान से जबरन गायब किए गए लोगों के परिजन­

हवाई घोषणा नहीं, पूर्ण स्वतंत्रता लक्ष्य

मोहम्मद अली जिन्ना के साथ मोहम्मद अमीर अहमद खान

शिक्षाविद् का मुखौटा, विचार जहरीले

terrorist tadwas house blew up by the the forces

Amritsar Blast: विस्फोट में मरने वाला आतंकी था, डीआईजी सतिंदर सिंह ने की पुष्टि

AMCA project Approves by defence ministry

रक्षा मंत्रालय ने AMCA को दी मंजूरी: पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान परियोजना को मिलेगी गति

Ghaziabad constable Saurabh murder case

गाजियाबाद में कॉन्स्टेबल सौरभ की हत्या के मामले में कादिर समेत अब तक 15 आरोपी गिरफ्तार

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies