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अपराधों पर 'मुलायम' अखिलेश

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Jul 5, 2014, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 05 Jul 2014 13:15:35

अंक संदर्भ : 15 जून, 2014

आवरण कथा 'बदा 'तो 'यूं' न था' समाजवादी पार्टी के काले चेहरे को उजागर करता है। यह वही समाजवादी पार्टी है,जिसने विधानसभा चुनाव से पूर्व प्रदेश के लोगों को आश्वस्त किया था कि वह प्रदेश में गंुडाराज व जंगलराज का सफाया करेगी, लेकिन बदायूं में उसके काले कारनामे जनता के सामने आ गए हैं। आज प्रदेश की जनता सपा के गुण्डों से परेशान है, कानून व्यवस्था का कहीं नामोनिशान तक नहीं रहा है।

-पंकज शुक्ला, लखनऊ (उ.प्र.)

० उत्तर प्रदेश की बदतर कानून-व्यवस्था ने यह सिद्ध कर दिया है कि वह कुछ लोगों के दबाव में है। बलात्कार,हत्या अपहरण रोजमर्रा के घटनाक्रम हो गए हैं। ऐसा लग रहा है कि जैसे अखिलेश सरकार लोकसभा चुनाव की खीझ-जनता से उतार रही हो। सवाल है कि अखिलेश, राज्य में हो रहे अपराधों पर मुलायम क्यों हैं? क्या इसी के लिए प्रदेश की जनता ने उन्हें सत्ता के शीर्ष पर पहुंचाया था? अगर यही हाल रहा तो वो दिन दूर नहीं जब उनका भी हश्र प्रदेश में कांगे्रस की तरह होगा और उन्हें एक सीट तक के लाले पड़ जाएंगे।

-मनोहर मंजुल, पिपल्या बुजुर्ग (म.प्र.)

० प्रदेश अराजकता का गढ़ बनता जा रहा है। कानून व्यवस्था पूरे तरीके से चरमरा गई है। ऐसा लग रहा है कि सरकार गंुडों के दम पर चल रही हो। हद तो तब हो जाती है, जब आजम खां की भैंसों को खोजने में प्रशासन रात-दिन एक कर देता है पर प्रदेश की जनता की सुरक्षा के नाम पर वह ऐसे मौन हो जाता है,जैसे उसका यह काम ही नहीं। आज उत्तर प्रदेश अपराधों को लेकर सुर्खियों में है और युवा मुख्यमंत्री की प्रतिष्ठा दाव पर है।

-उमेदूलाल
गांव पटूडी, टिहरी गढ़वाल (उत्तराखंड)

इसे भी पढ़े : हिन्दी सम्मान से खिल उठा हृदय

० प्रदेश में कानून व्यवस्था का हाल यह है कि खुद प्रदेश के पुलिस विभाग के मुखिया उल्टी बात कर रहे हैं। असल में गलती उनकी नहीं है,जब उनका निजाम ही इस पर लगाम लगाने के लिए कोई ठोस कदम की नहीं सोचता तो वह इस पर कैसे ध्यान दें। बड़े शर्म की बात है कि महिलाओं और बेटियों के साथ हो रहे जघन्य अपराधों को पुलिस गिनकर बता रही है कि यह आंकड़ा अन्य प्रदेशों के मुकाबले कम है, शर्म आनी चाहिए ऐसे लोगों को।

-सुहासिनी प्रमोद
वालसंगकर, दिलसुखनगर, हैदराबाद

० मुलायम सिंह दुनिया के ऐसे पहले कू्रर नेता हैं,जो बलात्कार जैसे अपराध में पीडि़ता का पक्ष लेने के बजाए दुष्कर्मियों के पक्ष में हितकारी वचन बोलते हैं। बदायंू में पेड़ पर लटकायी गई वंचित वर्ग की बच्चियों की लाशें अराजक गठजोड़ की लोमहर्षक करतूत हैं। यहां पर पुलिस की कार्यप्रणाली ऐसी थी कि वह जाति पूछकर न्याय करती है। यह सभी चीजें घृणित मानसिकता को स्पष्ट करती हैं।

-हरिओम जोशी, भिंड (म.प्र.)
बुद्धि के हिमालय

नरेन्द्र मोदी की जीत से सेकुलरों को ऐसा करारा आघात हुआ है कि वह मूर्छा में चले गए हैं। 22 जून के अंक 'मोदी विजय से हतप्रभ बुद्धिजीवी' सेकुलरों की वास्तविकता से परिचय कराता है। देश की जनता ने ऐसे बु़द्धि के हिमालयों की एक न सुनी और देश हित में अपना मतदान करके दिखा दिया कि अब देश किसी के कहने या सुनने पर नहीं चलने वाला वह सत्य और देशहित की बात करने वाले के साथ है।

-टी.सी.देव, पश्चिम विहार (नई दिल्ली)

जिन्हें पाला वही बने दुश्मन

पाकिस्तान ने जिन आतंकियों को दूसरों को नष्ट करने के लिए पनाह दी आज वही उनके लिए काल बन रहे हैं। 22 जून के अंक में 'किसके पंजे में पाकिस्तान' उस हकीकत की ओर इशारा कर रहा है, जिसे पाकिस्तान अभी तक नहीं समझ पा रहा है। कराची हवाई अड्डे पर तालिबानी आतंकियों द्वारा हमले से अब पाकिस्तानी सेना के जनरलों और शासकों की आखें खुल जानी चाहिए। अगर ऐसा रहा तो वह दिन दूर नहीं जब इन्हीं आतंकियों का पाकिस्तान पर कब्जा होगा।

-वीरेन्द्र जरयाल
कृष्णा नगर (दिल्ली)

बदलाव उचित

पाञ्चजन्य का बदलाव समय के साथ होना मन को प्रसन्न कराता है। पहले की अपेक्षा यह अत्यधिक आकर्षक हो गया है। एक लम्बे समय से कामना थी कि यह पत्र भी सुन्दर एवं सुस्पष्ट रूप से पाठकों के सामने आए पर अब यह आशा भी फलीभूत हो गई है।

-हरे कृष्ण सिंह
भोजपुर (बिहार)

अब मिला सुराज

० देश की जनता को स्वतंत्रता तो बहुत पहले ही मिल गई थी,लेकिन असल में जो चीज मिलनी चाहिए थी वह अब मिली है। श्री नरेन्द्र मोदी ने सम्पूर्ण देश को विश्वास दिलाया है कि अब देश पर किसी व्यक्ति विशेष का शासन नहीं अपितु देश पर 125 करोड़ जनता का शासन होगा। हमें उम्मीद है कि वह इसे फलीभूत भी करेंगे।

-कैलाश कटारे
सवाई माधोपुर (राज.)

इधर भी ध्यान दे सरकार

केन्द्र सरकार घोषित आधार पर गेंहू की खरीद करती है, लेकिन गेंहू की अधिकता के कारण वह खुले आसमान के नीचे रखा जाता है। जिसका प्रभाव यह होता है कि बारिश में इसका एक बड़ा भाग भीगकर सड़ जाता है। इसके पीछे कुछ लोगों का षडयंत्र भी है। वह जानबूझ कर गेंहू को सड़ाते हैंे ताकि सड़ने के बाद इसकी शराब बनायी जा सके। मेरा मानना है कि भारत में गेंहू खाने के लिए है शराब बनाने के लिए नहीं। क्योंकि यहां का एक बड़ा तबका दो समय की रोटी के लिए क्या से क्या नहीं करता, इसलिए सरकार को चाहिए कि वह गेंहू को रखने की पर्याप्त व्यवस्था करे। इसे संरक्षित करने से लाखों लोगों को भोजन मिल सकेगा।

-भा.दा.बेडेकर
धनवंतरी नगर, इन्दौर (म.प्र.)

० सम्पादकीय 'देश को राजा नहीं सेवक मिला' उन सेकुलर सरकारों और अब तक की अवधि में रहे लोकतंत्र के खेवनहार सरकारों पर एक गहरा प्रहार है। आज तक तो केवल नेता,अफसर सरकारी काम को तरजीह न देकर सिर्फ हा-हुजूरी में लगे रहते थे,लेकिन अब श्री नरेन्द्र मोदी के आने से इन सभी चीजों पर लगाम लगनी प्रारम्भ हो गई है।

-चन्द्र गोपाल
सवाई माधोपुर (राज.)

प्रधानमंत्री बनाया है कोई जादूगर नहीं

श्री नरेन्द्र मोदी सरकार को अभी कुछ दिन ही हुए हैं पर हमारे अपने ही कुछ लोग ऐसा आशा कर रहे हैं कि मोदी जी अब प्रधानमंत्री हो गए फिर भी कुछ हुआ नहीं। मैं ऐसे लोगों को कहना चाहता हूं कि सबसे पहले धैर्य रखें क्योंकि नरेन्द्र मोदी को अभी सिर्फ कुछ दिन हुए हैं जबकि स्वयं उन्होंने पांच साल देश की जनता से मांगे हैं और दूसरा उनके पास कोई जादू की छड़ी नहीं है कि वो एकदम से सब ठीक कर देंगे। कांग्रेस ने अपने दस साल के शासनकाल में देश को लूटकर खोखला कर दिया है तो उसकी भरपाई इतनी जल्दी कैसे संभव है?

-वीरेन्द्र गौड़, इन्दौर(म.प्र.)

शासन पर कटाक्ष

राजस्थान में आए दिन गोतस्करी एवं गोहत्या की घटनाएं प्रकाश में आ रही हैं। खुलेआम गोतस्कर गोवंशों की तस्करी दूसरे राज्यों के लिए कर रहे हैं,लेकिन यहां का शासन-प्रशासन मौन है।

-रामशरण, राजस्थान

गुलामी की जंजीर को तोड़ा

संस्कृत,हिन्दी सहित अन्य भारतीय भाषाओं में शपथ लेकर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी एवं मंत्रिमंडल के अन्य सदस्यों ने निश्चित रूप से मातृभाषाओं का सम्मान बढ़ाया है। यह उन लोगों के लिए सीख है,जो यह मानते हैं कि अंग्रेजी ही के वल अभिव्यक्ति व सभ्यता की एकमात्र भाषा है,क्योंकि ऐसे लोगों का अल्पज्ञान ही कहा जाए कि इससे पहले भारत में नालन्दा,तक्षशिला व विक्रमशिला जैसे विश्वविद्यालयों में शिक्षा का माध्यम तत्कालीन भाषायें ही हुआ करती थीं। वराह मिहिर, चरक, सुश्रुत, आर्यभट्ट एवं कणाद जैसे ज्ञानियों की भाषा का माध्यम मातृभाषायें ही थीं और हम विश्वगुरु के पद पर प्रतिष्ठित थे।

-रमेश कुमार मिश्र
कान्दीपुर, जिला-अम्बेडकरनगर(उ.प्र.)

० सम्पादकीय 'बात हिन्दी की,बात बिंदी की'पढ़कर मन प्रफुल्लित हो गया। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने हिन्दी के प्रति जो सम्मान व्यक्त किया वह प्रशंसनीय है। पिछले दस वर्षों में हिन्दी का जो पतन या तिरस्कार हुआ है,उसके पीछे कहीं न कहीं हमारा समाज भी जिम्मेदार है। कांग्रेस शासन ने अपने शासन में हिन्दी को दोयम बनाने भाषा और इसका तिरस्कार करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। लेकिन अब हम गर्व से कह सकेंगे कि हिन्दी हमारे गौरव की प्रतीक है।

-ममता विनोद मिश्रा
केशवनगर, महू (म.प्र.)

घमंड हुआ चकनाचूर

कांगे्रस का दस साल में जो घमंड बढ़ गया था,जनता ने उसे ऐसा चकनाचूर किया कि काग्रेस को सोचे-सोचा नहीं जा रहा है। अपने दस साल के शासनकाल में कांग्रेस ने देश व राज्यों में भ्रटाचार, घोटाले करके देश को खोखला बना दिया था। उन्हें लग रहा था कि वह इस बार भी देश की जनता को मूर्ख बनाने में कामयाब हो जाएंगे,लेकिन उनकी मंशा पर देश की जनता ने पानी फेर दिया।

-एस.बी.निखारे
आमगंाव (महाराष्ट्र)

खतरा है अनुच्छेद 370

जिस अनुच्छेद को जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री और वहां के नेता यह कहते हैं कि इसके हटने से प्रदेश के अस्तित्व पर संकट आ जायेगा। उनको प्रदेश के लोगों को बताना चाहिए कि अब तक देश को इस अनुच्छेद ने दिया ही क्या है? जम्मू-कश्मीर अन्य राज्यों से विकास के मामलों में कितना पीछे है। इस अनुच्छेद के होने से अन्य राज्यों के मुकाबले यहां विकास नहीं हो पाता है। प्रदेश की जनता को समझना चाहिए कि इसी अनुच्छेद ने प्रदेश को अगर कुछ दिया है तो हाथों में पत्थर ईंट लिए देशद्रोही युवा ।

-राम सूरत सिंह
पोस्ट-मुरुल्लनपुर, वाराणसी (उ.प्र.)

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