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चीन सरकार ने पिछले दिनों अपने यहां सर्च इंजन गूगल को चार दिन तक बन्द रखा। इस कारण चीन के नागरिकों को मेल मेल भेजने में खूब दिक्कत आई। वे न फेसबुक खोल पाए और न ही विश्वभर के समाचारों से अवगत हो पाए। गूगल को बन्द इसलिए किया गया था कि लोग 1989 में घटित थ्येन आन मन चौक की बर्बर घटना की चर्चा सोशल साइट्स पर न कर सकें। चीन सरकार ने चौक-चौराहों पर भी इस घटना की चर्चा नहीं होने दी। चीन सरकार यहीं नहीं रुकी। उसने इस सन्दर्भ में संयुक्त राष्ट्र संघ, अमरीका और दलाई लामा की भी निन्दा की। बता दें कि इन सबने थ्येन आन मन चौक की घटना को लेकर हाल ही में चीन से कहा था कि इस घटना के सच को बाहर आने देना चाहिए। वहीं चीन की चिन्ता किए बिना 4 जून को हांगकांग के विक्टोरिया पार्क में हजारों लोगों ने थ्येन आन मन चौक पर शहीद हुए लोगों को श्रद्धाञ्जलि दी और 'कैंडल मार्च' निकाला। उल्लेखनीय है कि 1989 में चीन की राजधानी बीजिंग के थ्येन आन मन चौक पर हजारों लोकतंत्र समर्थक, जिनमें अधिकतर छात्र थे,शान्तिपूर्ण प्रदर्शन कर रह थे। दिनोंदिन प्रदर्शनकारियों की संख्या बढ़ती जा रही थी। भयभीत चीन सरकार ने सेना को इन प्रदर्शनकारियों को कुचलने का आदेश दिया। आदेश पाते ही चीनी सेना 3 जून की रात को वहां पहंुच गई और 4 जून की सुबह तक सैकड़ों लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया। टैंकों से लोगों को कुचल कर मारा गया। इस बर्बर घटना की दुनियाभर में निन्दा हुई थी,पर चीन सरकार अपने मन के मुताबिक नृशंसता करती रही।
-प्रस्तुति : अरुण कुमार सिंह
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