आवरण कथा - विदेशों के लिए जासूसी भी करते हैं एनजीओ
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आवरण कथा – विदेशों के लिए जासूसी भी करते हैं एनजीओ

by
Jun 28, 2014, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 28 Jun 2014 16:30:16

विदेशी चंदे पर चलने वाले एनजीओ अपने दानदाता देश के हित में भारत के अंदर जासूसी का काम भी कर रहे हैं। हाल ही में एक अंग्रेजी अखबार ने डच सरकार द्वारा फंडेड कोर्डएड नामक एनजीओ के बारे में खुलासा किया है कि वह उत्तर-पूर्व के राज्य में जीपीएस ट्रैकिंग के जरिए तेल के कुओं, खदान, जंगल, बांध आदि के बारे में न केवल जानकारी जुटाने में जुटी है, बल्कि वहां चर्च की सहायता से इसके लिए स्थानीय लोगों को भी प्रशिक्षित कर रही है ताकि यहां के लोग सीधे अमरीका व यूरोप के लिए जासूस की भूमिका में हों।

'एनजीओ पर आईबी की रिपोर्ट चिंताजनक'
हाल ही में विदेशी चंदा लेकर देश में आंदोलन करके विकास की गति को रोकने वाले कुछ एनजीओ पर आईबी की रिपोर्ट आई है। यूपीए सरकार के समय ऐसे एनजीओ की कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिन्ह लगे थे जो विदेशों से चंदा लेकर यहां धरने-प्रदर्शन कर विकास कार्यों में बाधा पहुंचाते रहे हैं। संयोग की बात है कि देश में नरेन्द्र मोदी की प्रचंड बहुमत प्राप्त भाजपा नेतृत्व वाली राजग सरकार को सत्तारूढ़ हुए अभी महीना ही हुआ है। इस देश में ऐसी कई संस्थाएं हैं जो रचनात्मक व प्रभावी ढंग से कार्य कर रही हैं और ऐसे लोगों की भी कमी नहीं है जो देश-विदेश से पैसा लेकर खाली कागजों का पेट भर रहे हैं। यह नि:संदेह एक ज्वलन्त प्रश्न है जिसका ठोस निदान सरकार को करना चाहिए, लेकिन सभी को एक डंडे से हांकने की नीति को सही नहीं ठहराया जा सकता। ऐसा बिल्कुल नहीं है कि विदेशी चंदा लेने वाली सभी संस्थाएं और इनसे जुड़े लोग देश विरोधी गतिविधियों में ही संलग्न हैं। सरकारों के विरोध को देशद्रोह की संज्ञा नहीं दी जा सकती। अत: सरकार को इस गंभीर विषय पर नीर-क्षीर विवेक से ठोस, प्रभावी एवं स्थायी निर्णय लेना चाहिए।

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