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थल पर रहने वाला सबसे विशाल प्राणी हाथी है, लेकिन पूरी पृथ्वी पर सबसे विशाल प्राणी है व्हेल मछली। इसकी कई प्रजातियां जैसे स्पर्म व्हेल, किलर व्हेल, पायलट व्हेल, बेलुगा व्हेल आदि हैं। ब्लू व्हेल इनमें सबसे विशाल है। इसकी लंबाई 110 से 115 फुट और वजन 140 से 170 टन तक होता है, जबकि कुछ व्हेल 11 फुट की भी होती हैं।
करीब पांच करोड़ वर्ष पहले व्हेल अस्तित्व में आई।अन्य स्तनधारी प्राणियों की तरह व्हेल हवा में सांस लेती है, उसका खून गर्म होता है। व्हेल अपने बच्चों को दूध पिलाती है और उसके शरीर पर बाल होते हैं। व्हेल मछली की चमड़ी मोटी होती है, जिसे ब्लबर कहा जाता है। यह ऊर्जा को एकत्रित करती है, जिससे समुद्र के बर्फीले पानी से उसकी रक्षा होती है।
इसकी गर्दन बहुत लचीली होती है, जो तैरते वक्त गोल घूम सकती है। यह ब्लोहोल्स से सांस लेती है। बैलीन व्हेल के दो ब्लोहोल्स होते हैं जबकि दांत वाली व्हेल का एक ब्लोहोल होता है। यह उनके सिर के ऊपरी हिस्से में होते हैं। जब ब्लोहोल्स से व्हेल सांस लेती है तो उसके साथ काफी मात्रा में पानी भी उसके फेफड़ों में जमा हो जाता है जिसे बाद में फव्वारे के रूप में वह वापस बाहर कर देती है। मादा व्हेल एक बार में एक बच्चे को जन्म देती है। बच्चे अपनी मां के साथ एक साल तक रहते हैं।
बाकी सभी जानवर तो सो सकते हैं, लेकिन व्हेल कभी भी लंबे समय तक नहीं सोती। इसके शरीर का आकार इस तरह गोल होता है कि यदि यह सो जाए तो डूबकर मर जाती है। केवल इसका मस्तिष्क कुछ समय के लिए सोता है। जिससे इसे आराम मिलता है। व्हेल अपनी दूसरे साथियों से संपर्क करते समय एक ध्वनि निकालती है। यह ध्वनि बहुत तेज लगभग 20 हजार वाट के बराबर होती है जो मीलों दूर तक सुनाई देती है। 17वीं शताब्दी में कुछ बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने व्यावसायिक फायदों के लिए व्हेल का शिकार करना शुरू कर दिया। कंपनियां व्हेल मछली को मारकर उनका मांस, तेल और परफ्यूम बनाती थीं। वर्ष 1986 में इंटरनेशनल व्हेलिंग कमीशन ने व्हेल के व्यावसायिक शिकार पर पाबंदी लगाई। हालांकि अब भी पूरी तरह से व्हेल का शिकार बंद नहीं हुआ है।
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