मेहनत से तय होगी राह सुनहरी.
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मेहनत से तय होगी राह सुनहरी.

by
May 3, 2014, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 03 May 2014 16:34:31

दसवीं के बाद छात्रों पर स्ट्रीम चुनने का भारी दबाव रहता है। कुछ छात्र तो पहले ही तय कर चुके होते हैं कि उन्हें किस क्षेत्र में जाना है जबकि कई अपने चयन को लेकर उहापोह की स्थिति में रहते हैं। हालांकि इस उम्र में छात्रों को उन सभी विकल्पों के बारे में नहीं पता होता है जिससे कि वह अपने भविष्य के संदर्भ में उनका चयन कर सकें। उम्र भी कम होने के कारण उनमें निर्णय लेने की क्षमता उतनी अधिक नहीं होती। विकल्प के बारे में काफी कुछ वे अपने दोस्तों, टीचर्स एवं पैंरेंट्स से सुन चुके होते हैं कि डॉक्टर बनना है तो बायोलॉजी तथा इंजीनियर बनना है तो मैथ व एमबीए के क्षेत्र मे जाना है तो कॉमर्स पढ़ना आवश्यक है। सही मायने में देखा जाए तो बाजार जॉब ओरिएंटेड प्रोफेशनल कोर्सों से पटा पड़ा है जिनमें दसवीं उत्तीर्ण छात्र भी दाखिला ले सकते हैं। आमतौर पर इन कोर्सों का चयन वे ही छात्र करते हैं जिन्हें परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण तत्काल नौकरी आदि की जरूरत होती है। दसवीं के पश्चात उनके सामने कई तरह की राहें खुलती हैं-
आर्ट- जिन छात्रों को इतिहास, भूगोल, सामान्य विज्ञान, राजनीति शास्त्र, अर्थशास्त्र, समाजशास्त्र आदि विषयों में रुचि हो तो वे दसवीं के बाद आर्ट विषयों का चयन कर सकते हैं। इसे चुनते वक्त उन्हें दूरदर्शी भी होना आवश्यक है। क्योंकि उन्हें आगे भी उसी प्लेटफार्म पर गाड़ी दौड़ानी है। ऐसे में उनको अपनी सोच खुली रखनी होगी। इस विधा में आप कई तरह के सामाजिक व भौगोलिक रहस्यों से परिचित होते हैं।
साइंस- विज्ञान में हाथ आजमाने की हसरत रखने वाले छात्रों के लिए विज्ञान वर्ग सबसे उत्तम साबित हो सकता है। इसमें जीव विज्ञान वर्ग व गणित का वर्ग भी आता है। जीव विज्ञान वर्ग के साथ भौतिकी, रसायन, जीव विज्ञान, हिन्दी, अंग्रेजी आदि विषय ले सकते हैं। जबकि गणित वर्ग के साथ भौतिकी, रसायन, गणित, हिन्दी, अंग्रेजी आदि विषय चुन सकते हैं।
कॉमर्स- आर्ट एवं साइंस से अलग कॉमर्स भी छात्रों के लिए अधिक उपयुक्त साबित हो सकता है। ऐसे छात्र जिनकी रुचि बही खाता, व्यापारिक संगठन, सांख्यिकी आदि विषयों में है तो वे कॉमर्स सब्जेक्ट में अच्छा कर सकते हैं। आगे भी उन्हें अपनी प्रतिबद्घता कायम रखने के लिए पर्याप्त अवसर मिलते हैं।
इस लिहाज से छात्रों को यही सलाह दी जा सकती है कि वे दसवीं के पश्चात करियर चयन करते समय अपनी रुचि, कौशल को भलीभांति परख लें तथा जहां भी दुविधा की स्थिति हो या विकल्पों को लेकर जानकारी का अभाव हो तो नि:संकोच विशेषज्ञों की मदद लें।
बारहवीं के बाद: क्षमता पहुंचाएगी मंजिल तक
आजकल बारहवीं के बाद बाजार में परम्परागत व गैर परम्परागत कोर्सों की भरमार है। संस्थानों में भी खुद को सर्वश्रेष्ठ साबित करने की होड़ मची है। चूंकि हर कोर्स और संस्थान की अपनी महत्ता है। ऐसे में सबको नजरअंदाज करना अथवा स्वीकार करना भी संभव नहीं है। इसलिए गेंद घूम फिरकर छात्र के ही पाले में आती है। बीते कुछ वर्षों से परंपरागत अथवा गैर परंपरागत कोर्स के भविष्य को लेकर भी काफी प्रयोग देखने को मिले हैं। इसका सबसे अधिक फायदा भी छात्रों को ही मिला है क्योंकि उनके सामने विकल्प बढ़ गए हैं और वे इनके प्रति पहले से कहीं ज्यादा आकर्षित हुए हैं।
परंपरागत कोर्स : समय के साथ डिमांड बढ़ी
एक जमाना था जब परंपरागत कोर्स का जलवा कायम था। नामी-गिरामी संस्थानों में चंद सीटों के लिए छात्रों की भारी भीड़ उमड़ती थी। समय के साथ इन परंपरागत कोर्सों की संरचना में भी बदलाव आया तथा ये विषय की सम्पूर्ण जानकारी देने के अलावा छात्रों को तकनीकी जानकारी मुहैया कराने लगे। जिससे इनकी लोकप्रियता कम नहीं हुई। आज भी इन कोर्सों की धूम है तथा ग्रेजुएशन के विभिन्न वर्गों में प्रवेश पाने के लिए मारकाट मची रहती है। इन्हें तीन श्रेणियों में बांटकर देखा जा सकता है।
कला वर्ग- कला क्षेत्र के अंतर्गत कई विषयों का समावेश है। यह छात्रों पर निर्भर करता है कि वे अपनी रुचि के अनुसार कौन सा विषय चयन करते हैं। इतिहास, भूगोल, समाज शास्त्र, दर्शन शास्त्र के अलावा मनोविज्ञान तथा राजनीति शास्त्र में छात्रों की भीड़ साल दर साल बढ़ती जा रही है। इनसे लोगों को विषय की आधारभूत जानकारी प्राप्त होती है और टीचिंग आदि के लिए वे उपयुक्त होते हैं।
विज्ञान वर्ग- बारहवीं में पीसीएम का छात्र इंजीनियर बनने की सोचता है। पीसीएम के साथ-साथ वह थोड़ा सा क्रिएटिव है तो उसकी पसंद आर्किटेक्चर, फैशन टेक्नोलॉजी है। एडवेंचरस छात्रों के लिए मर्चेंट नेवी, हवा से बात करने के शौकीन हैं तो पायलट और यदि सेवा भाव एवं जज्बा है तो डिफेंस एवं नेवी में किस्मत आजमा सकते हैं। मैथ की अच्छी जानकारी है तो बीएससी पहली पसंद साबित हो सकती है। इसी तरह से बायो ग्रुप के छात्र एमबीबीएस, बीडीएस, आयुर्वेद, होम्यिोपैथी, वेटेरिनरी साइंस, फार्मेसी आदि में जा सकते हैं।कॉमर्स वर्ग- कॉमर्स ग्रुप के ज्यादातर छात्र कॉमर्स, मैथ के पसंदीदा छात्र बीकॉम (आनर्स), इको (ऑनर्स), सीए, आईसीडब्ल्यूए, सीएस सहित सांख्यिकी की पढ़ाई कर सकते हैं।
डॉक्टरी/इंजीनियरिंंग की तैयारी
बच्चा जब धीरे-धीरे अपने स्कूली स्तर से ऊपर उठता है तो वह अपने घर में डॉक्टर अथवा इंजीनियर बनने की बात करता है। डॉक्टर अथवा इंजीनियर बनने की नींव भी बारहवीं के बाद ही रखी जाती है। दोनों ही पेशे के लिए कई ऐसी प्रतियोगी परीक्षाएं हैं जिन्हें पास करके अपने सपने को पंख लगाया जा सकता है। मेडिकल प्रवेश परीक्षा पास करने के बाद जहां एमबीबीएस व बीडीएस में दाखिला मिलता है। प्रस्तुति : नमिता सिंह

प्रोफेशनल कोर्स : जमाना जॉब ओरिएंटेड
इस देश की शिक्षा प्रणाली अभी भी ऐसी है जहां लोग पढ़-लिखकर नौकरी पाने को पहली प्राथमिकता समझते हैं। कई बार जल्दी नौकरी पाने की स्टूडेंट की खुद की चाहत होती है तो कई बार इसके लिए उनके ऊपर पारिवारिक दबाव भी होता है। इसे लेकर उनके अंदर असमंजस की स्थिति आ जाती है। उनके मनोभावों को समझते हुए ही देश में प्रोफेशनल्स कोर्स का उदय हुआ है।
वैसे तो इन प्रोफेशनल्स कोर्सों की सूची बहुत बड़ी है लेकिन यदि छात्र थोड़ी सी अपनी जानकारी बढ़ाएं तो इंटरनेट व करियर काउंसलर के जरिए उन्हें कई तरह के विकल्पों का पता चल सकता है। जिन्हें वे अपने लिए चुन सकते हैं। आज हर क्षेत्र अपने यहां प्रोफेशनल लोगों को वरीयता दे रहे हैं। इसे देखते हुए प्रोफेशनल कोर्स काफी कारगर साबित हो रहे हैं। क्योंकि ये कोर्स उन्हीं क्षेत्र को ध्यान में रखकर थ्योरेटिकल एवं प्रैक्टिकल रूप से तैयार किए गए होते हैं। इस दौर में यह जरूरी हो गया है कि हायर एजुकेशन यानी बीए और एमए आदि के करिकुलम को फिर से बनाया जाए। वक्त की नब्ज को पहचानकर समय के साथ खुद को ढ़ाला जाए तो करियर में चार चांद लग सकते हैं।
होटल मैनेजमेंट
आर्किटेक्चर
बीसीए
बीबीए
ल्ल बीजेएमसी
इंटीग्रेटेड एमबीए
इंटीग्रेटेड लॉ
इंजीनियरिंग एवं मेडिकल के प्रमुख कोर्स
फायर इंजीनियरिंग
फैशन टेक्नोलॉजी
मर्चेंट नेवी
मल्टीमीडिया कोर्स
डिजाइनिंग कोर्स
जानकारी लेकर ही आगे बढ़ें
बाजार में बारहवीं के बाद ही अधिकांश राहें खुल रही हैं। आजकल परंपरागत कोर्सों के अलावा कई ऐसे प्रोफेशनल, वोकेशनल एवं ऑफबीट कोर्स भी हैं जो छात्रों के सपने में रंग भर सकते हैं। ये सभी कोर्स बाजार की मांग के मुताबित तैयार किए गए हैं जो जॉब ओरिएंटेड तो हैं ही, साथ ही छात्रों को समकक्ष डिग्री भी उपलब्ध करवाते है। इस क्रम में छात्रों को थोड़े से मार्गदर्शन की आवश्यकता पड़ती है। इसके लिए माता-पिता अथवा काउंसलर उपयुक्त होते हैं। जो उनकी हर तरह की जिज्ञासा को शांत कर सकते हैं। इस संदर्भ में छात्रों को सलाह दी जा सकती है कि वे बारहवीं के बाद अपने प्रोफेशन को लेकर किसी काउंसलर से बातचीत कर लें तो उन्हें कई तरह की सम्यक जानकारी मिलती है तथा प्रतिस्पर्धात्मक दौड़ के लिए वे कमर कसकर भी तैयार रहेंगे।
वोकेशनल कोर्स : कम समय में बेहतर ज्ञान
वोकेशनल कोर्स ज्यादातर विवि. अथवा महाविद्यालय द्वारा संचालित किए जा रहे हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय इन कोर्सों के लिए एक जाना-पहचाना नाम है। यहां हर साल वोकेशनल कोर्सों के लिए छात्रों की भीड़ लगती है। इन कोर्सों की खासियत यही है कि ये अल्प अवधि के होते हैं तथा इनकी फीस भी बहुत कम होती है। इसलिए छात्र आसानी से इसे कर सकता है। बड़े शहरों में तो लोग प्रमोशन अथवा एक्स्ट्रा डिग्री के लिए इन वोकेशनल कोर्स को प्राथमिकता दे रहे हैं।
.ऑफिस मैनेजमेंट
.मटेरियल मैनेजमेंट
. एडवर्टाइजिंग/पब्लिक रिलेशन्स
.फिजिकल एजुकेशन
. फायर फाइटिंग
. एचआर मैनेजमेंट ल्ल फूड प्रोसेसिंग
. टूरिज्म एवं टे्रवल मैनेजमेंट
बिजनेस डाटा प्रोसेसिंग
. ट्रांसलेशन ल्ल लैंग्वेज कोर्स

कॉलेज नहीं, प्राथमिकताओं को दें तरजीह
अधिकांश छात्र अथवा उनके अभिभावक किसी प्रतिष्ठित संस्थान में एडमिशन पाने के लिए दिन-रात एक किए होते हैं। इसके पीछे उनकी सोच यही होती है कि यदि किसी अच्छे कॉलेज में दाखिला मिल जाएगा तो उनकी किस्मत संवर जाएगी। जबकि वास्तविकता यही है कि छात्र के अंदर यदि काबिलियत है और वह खुद की मेहनत पर यकीन रखता है तो उसे ऊंचाई तक पहुंचने से कोई नहीं रोक सकता। मिशन-एडमिशन के दौर में उनका दाखिला यदि किसी प्रतिष्ठित कॉलेज में हो जाता है तो यह अच्छी बात है लेकिन किन्हीं कारणों से यदि वे उसमें एडमिशन पाने में असफल रहते हैं तो यह मानकर चलें कि उनका कोई नुकसान नहीं होने वाला । ऐसे कई लोग मिलेंगे जिन्होंने सामान्य कॉलेज में पढ़ाई करके भी अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है। इसमें सबसे जरूरी है कि छात्र पहले यह देखें कि उनकी प्राथमिकताएं क्या हैं। जो विषय वह पढ़ना चाहते हैं क्या वह उस कॉलेज में है? छात्र विषय के चयन में कोई समझौता न करें। वही पढ़ें जिसमें
उनकी रुचि है?
प्रोफेशनल कोर्स : जमाना जॉब ओरिएंटेड
इस देश की शिक्षा प्रणाली अभी भी ऐसी है जहां लोग पढ़-लिखकर नौकरी पाने को पहली प्राथमिकता समझते हैं। कई बार जल्दी नौकरी पाने की स्टूडेंट की खुद की चाहत होती है तो कई बार इसके लिए उनके ऊपर पारिवारिक दबाव भी होता है। इसे लेकर उनके अंदर असमंजस की स्थिति आ जाती है। उनके मनोभावों को समझते हुए ही देश में प्रोफेशनल्स कोर्स का उदय हुआ है।
वैसे तो इन प्रोफेशनल्स कोर्सों की सूची बहुत बड़ी है लेकिन यदि छात्र थोड़ी सी अपनी जानकारी बढ़ाएं तो इंटरनेट व करियर काउंसलर के जरिए उन्हें कई तरह के विकल्पों का पता चल सकता है। जिन्हें वे अपने लिए चुन सकते हैं। आज हर क्षेत्र अपने यहां प्रोफेशनल लोगों को वरीयता दे रहे हैं। इसे देखते हुए प्रोफेशनल कोर्स काफी कारगर साबित हो रहे हैं। क्योंकि ये कोर्स उन्हीं क्षेत्र को ध्यान में रखकर थ्योरेटिकल एवं प्रैक्टिकल रूप से तैयार किए गए होते हैं। इस दौर में यह जरूरी हो गया है कि हायर एजुकेशन यानी बीए और एमए आदि के करिकुलम को फिर से बनाया जाए। वक्त की नब्ज को पहचानकर समय के साथ खुद को ढ़ाला जाए तो करियर में चार चांद लग सकते हैं।
होटल मैनेजमेंट
आर्किटेक्चर
बीसीए
बीबीए
बीजेएमसी
इंटीग्रेटेड एमबीए
इंटीग्रेटेड लॉ
इंजीनियरिंग एवं मेडिकल के प्रमुख कोर्स
फायर इंजीनियरिंग
फैशन टेक्नोलॉजी
मर्चेंट नेवी
मल्टीमीडिया कोर्स
डिजाइनिंग कोर्स
जानकारी लेकर ही आगे बढ़ें
बाजार में बारहवीं के बाद ही अधिकांश राहें खुल रही हैं। आजकल परंपरागत कोर्सों के अलावा कई ऐसे प्रोफेशनल, वोकेशनल एवं ऑफबीट कोर्स भी हैं जो छात्रों के सपने में रंग भर सकते हैं। ये सभी कोर्स बाजार की मांग के मुताबित तैयार किए गए हैं जो जॉब ओरिएंटेड तो हैं ही, साथ ही छात्रों को समकक्ष डिग्री भी उपलब्ध करवाते है। इस क्रम में छात्रों को थोड़े से मार्गदर्शन की आवश्यकता पड़ती है। इसके लिए माता-पिता अथवा काउंसलर उपयुक्त होते हैं। जो उनकी हर तरह की जिज्ञासा को शांत कर सकते हैं। इस संदर्भ में छात्रों को सलाह दी जा सकती है कि वे बारहवीं के बाद अपने प्रोफेशन को लेकर किसी काउंसलर से बातचीत कर लें तो उन्हें कई तरह की सम्यक जानकारी मिलती है तथा प्रतिस्पर्धात्मक दौड़ के लिए वे कमर कसकर भी तैयार रहेंगे।
वोकेशनल कोर्स : कम समय में बेहतर ज्ञान
वोकेशनल कोर्स ज्यादातर विवि. अथवा महाविद्यालय द्वारा संचालित किए जा रहे हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय इन कोर्सों के लिए एक जाना-पहचाना नाम है। यहां हर साल वोकेशनल कोर्सों के लिए छात्रों की भीड़ लगती है। इन कोर्सों की खासियत यही है कि ये अल्प अवधि के होते हैं तथा इनकी फीस भी बहुत कम होती है। इसलिए छात्र आसानी से इसे कर सकता है। बड़े शहरों में तो लोग प्रमोशन अथवा एक्स्ट्रा डिग्री के लिए इन वोकेशनल कोर्स को प्राथमिकता दे रहे हैं।
ऑफिस मैनेजमेंट
मटेरियल मैनेजमेंट
एडवर्टाइजिंग/पब्लिक रिलेशन्स
फिजिकल एजुकेशन
फायर फाइटिंग
एचआर मैनेजमेंट ल्ल फूड प्रोसेसिंग
टूरिज्म एवं टे्रवल मैनेजमेंट
बिजनेस डाटा प्रोसेसिंग
ट्रांसलेशन ल्ल लैंग्वेज कोर्स

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अधिकांश छात्र अथवा उनके अभिभावक किसी प्रतिष्ठित संस्थान में एडमिशन पाने के लिए दिन-रात एक किए होते हैं। इसके पीछे उनकी सोच यही होती है कि यदि किसी अच्छे कॉलेज में दाखिला मिल जाएगा तो उनकी किस्मत संवर जाएगी। जबकि वास्तविकता यही है कि छात्र के अंदर यदि काबिलियत है और वह खुद की मेहनत पर यकीन रखता है तो उसे ऊंचाई तक पहुंचने से कोई नहीं रोक सकता। मिशन-एडमिशन के दौर में उनका दाखिला यदि किसी प्रतिष्ठित कॉलेज में हो जाता है तो यह अच्छी बात है लेकिन किन्हीं कारणों से यदि वे उसमें एडमिशन पाने में असफल रहते हैं तो यह मानकर चलें कि उनका कोई नुकसान नहीं होने वाला । ऐसे कई लोग मिलेंगे जिन्होंने सामान्य कॉलेज में पढ़ाई करके भी अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है। इसमें सबसे जरूरी है कि छात्र पहले यह देखें कि उनकी प्राथमिकताएं क्या हैं। जो विषय वह पढ़ना चाहते हैं क्या वह उस कॉलेज में है? छात्र विषय के चयन में कोई समझौता न करें। वही पढ़ें जिसमें उनकी रुचि है?

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