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अंक सन्दर्भ: 23 मार्च, 2014

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Apr 12, 2014, 12:00 am IST
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राहुल बोल, झूठ का ढोल

दिंनाक: 12 Apr 2014 13:45:19

आवरण कथा ह्यफिर झलकी नादानीह्णसे स्पष्ट होता है कि कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी अपने भाषणों में बेबुनियाद बातों का सहारा लेकर लोगों को उद्वेलित कर रहे हैं। लेकिन वे सोचते हैं कि लोग उनकी बातों को गम्भीरता से लेते हैं,पर ऐसा नहीं है। तथ्यों और सच से कोेसों दूर उनकी बातें आम जनता के लिए सिर्फ और सिर्फ मजाक ही होती हैं।

-राममोहन चंदवंशी
विट्ठल नगर -टिमरनी
जिला-हरदा,(म.प्र.)
० रा.स्व.संघ पर निशाना साध कर राहुल गांधी अपने बेतुके बयानों से केवल मुसलमानों को भावनात्मक रूप से उकसाते हैं। वे ऐसे बयानों से साम्प्रदायिक वैमनस्य बढ़ाने का काम कर रहे हंै। देश की जनता को समझना चाहिए कि आज देश को ऐसे नेताओं की जरूरत नहीं है,जो हिन्दू-मुसलमान को आपस में लड़ाकर सत्ता का सुख और अपना मतलब सिद्ध करते हैं। देश को आज ऐसे नेताओं की जरूरत है,जो सभी वगोंर्, सम्प्रदायों को साथ लेकर एकता कायम करें।
-हरिओम जोशी
चतुर्वेदी नगर,भिण्ड(म.प्र.)
० राहुल गांधी के अनर्गल प्रलापों से उनकी व उनकी पार्टी की छवि धूमिल हो रही है। महात्मा गांधी की हत्या का सहारा लेकर वे संघ पर निशाना साधते हैं और अपने भाषणों में कहते हैं कि ह्यसंघ ही इसके लिए जिम्मेदार है और इसीलिए उस पर प्रतिबंध लगाया गया था।ह्ण लगता है, उन्हें इसके आगे की जानकारी नहीं है। गांधी हत्या में जिस प्रकार संघ पर द्वेष पूर्वक प्रतिबंध लगाया गया था, उसी प्रकार बिना शर्त प्रतिबंध हटाया भी गया था, क्योंकि संघ का दूर-दूर तक इससे कोई संबंध नहीं था। वषोंर् से जिस झूठ का सहारा लेकर कांग्रेस सत्ता का आनन्द ले रही है, शायद वह वेला समाप्त होने वाली है। जनता आज सब कुछ जान चुकी है।
-सुहासिनी प्रमोद वालसंगकर
दिलसुखनगर(आं.प्र)
० कांग्रेस इस समय अपरिपक्व नेतृत्व और कुपित मानसिकता के दलदल में फंसी हुई है। जिस प्रकार पूरे देश में नरेन्द्र मोदी की लहर चल रही है,उससे न केवल राहुल गंाधी बल्कि पूरी कांग्रेस घबराई हुई है। इसी घबराहट के चलते कांग्रेस का प्रत्येक नेता वोट पाने के लिए देश को तोड़ने से लेकर लोगों को लड़ाने तक से बाज नहीं आ रहा है। आम जनता को ऐसे नेताओं और पार्टी की मानसिकता को समझना चाहिए ,जो सिर्फ और सिर्फ देश को लड़ाने की सोचते रहते हैं।
-राम पाण्डेय
ग्राम-शिवगढ़,जिला-रायबरेली(उ.प्र.)
० जो राजनीति में सिर्फ वोट बैंक के गणित में लगे रहते हैं ,वे देश और जनता को क्या देंगे? आजादी के 67 सालों में अधिकतर समय सत्ता के सिंहासन पर विराजमान रहने वाली कांग्रेस ने जनता को क्या दिया? ये तमाम सवाल आज किसी व्यक्ति के नहीं हैं बल्कि देश की जनता के हैं और कांग्रेस को चाहिए कि वह इन सवालों का जवाब दे।
-हरिहर सिंह चौहान
जंबरीबाग नसिया,इन्दौर (म.प्र.)
समय समझने का
आज अगर हिन्दू प्रताड़ना व अपमान के लिए कोई दोषी है तो निश्चित रूप से यह कहना गलत नहीं होगा कि इसका कारण और कोई नहीं स्वयं हिन्दू ही है। व्यक्तिगत हितों और स्वार्थों ने उसे संगठित नहीं होने दिया। वैचारिक मतभिन्नता ही उसके लिए घातक सिद्ध हो रही है। लेकिन अब समय है इन सभी चीजों को भूलने का। क्योंकि आगामी लोकसभा चुनाव में हम ऐसे प्रत्याशी को वोट दें,जो हिन्दूहित और देशहित दोनों साथ लेकर चले।
-रमेश कुमार मिश्र
कान्दीपुर,जिला-अम्बेडकर नगर(उ.प्र.)
नक्सली अब बर्दाश्त नहीं
आज नक्सलवाद के अत्याचार से त्रस्त जनता के लिए अब देश भर में आवाज उठाने जरूरत है। सेवा क्षेत्र के तमाम एन.जी.ओ,राजनीतिक संगठन व राजनीतिज्ञ नक्सलवादी क्षेत्रों की समस्या से मुंह मोड़कर अपने-अपने लक्ष्य साधने में व्यस्त रहते हैं, जिससे नक्सलवादियों का हौसला बढ़ता है। लेकिन आज राज्य व केन्द्र सरकारों को एकजुट होकर नक्सलवाद की समस्या के खिलाफ कड़ा निर्णय लेना होगा क्योंकि अब यह रोग लाइलाज होने के कगार पर है।
-पंकज शुक्ला
खदरा,लखनऊ(उ.प्र.)
तुष्टीकरण की सियासत
देश के सामने सबसे बड़ा सवाल यह है कि जो कांग्रेस भारत में रहने वाले सभी लोगों को एक समान समझती है, वही समय-समय पर मुस्लिम तुष्टीकरण कर अन्य मत,पंथों को नीचा क्यों दिखाती है? साथ ही जैसे ही लोकसभा चुनाव की रणभेरी बजी, उसने वे सभी पुरानी बातें करनी शुरू कर दीं,जिनसे लोगों के मन में दुर्भावना उत्पन्न होती है आखिर क्यों? ये सभी चीजें बताती हैं कि उसकी कथनी और करनी में समानता नहीं है। वह वोट के लिए कुछ भी कर सकती है और कोई भी झूठ बोल सकती है।
– खुशाल सिंह कोली
फतेहपुर सीकरी,आगरा(उ.प्र.)
देशहित में करें वोट
देश की जनता को चाहिए कि आगामी लोकसभा चुनाव में सभी ऐसे उम्मीदवार को को वोट दें, जो जातिवाद और वंशवाद का पोषक न हो,जिसके लिए राजनीति पूजा का पुष्प हो एवं जिसके मन में भारत को अखण्ड बनाने का संकल्प हो। ऐसे उम्मीदवार जिस दिन संसद में बैठ गए उस दिन भारत को पुन: वही गौरव मिल जायेगा,जो पहले कभी भारत का हुआ करता था।
-डॉ.प्रणव कुमार बनर्जी
पेण्ड्रा, जिला-बिलासपुर(छ.ग.)
० इस बार का लोकसभा चुनाव वास्तव में हमारे देश व समस्त हिन्दू समाज के लिए कई मायनों में परीक्षा की घड़ी है। क्योंकि 10 वर्ष से केन्द्र में चल रही कांग्रेस की सरकार ने देश को मजबूत करने के बजाय इतना कमजोर कर दिया है कि इसका अन्दाजा भी लगा पाना मुश्किल है। कांग्रेस ने हर वह क्षेत्र कमजोर किया है,जहां भारत को मजबूती के साथ खड़ा होना था।
-डॉ. सुशील गुप्ता
बेहट बस स्टैण्ड,सहारनपुर(उ.प्र.)
कांग्रेस मुक्त हो भारत
आज देश को ऐसे नेतृत्व की जरूरत है,जो कांग्रेस मुक्त भारत का निर्माण कर सके और हम सभी को खुशी है कि उस विकल्प के रूप में देश की जनता को श्री नरेन्द्र मोदी मिल चुके हैं। भ्रष्टाचार मुक्त, कालाधन मुक्त ,घोटाला मुक्त भारत ही राष्ट्र को खुशहाली दे सकता है। इसलिए आगामी चुनाव में सभी चीजों को छोड़कर सिर्फ और सिर्फ देश के लिए मतदान करें।
-निमित जायसवाल
मुरादाबाद(उ.प्र.)
० संप्रग-2 के कार्यकाल में कांग्रेस व उसके सहयोगियों ने देश को लूटा यह आज किसी से छिपा नहीं है। देश भय,भूख और भ्रष्टाचार से गुजर रहा है,लेकिन कांग्रेस को इसकी चिन्ता नहीं है। उसको तो सिर्फ एक ही चिन्ता है कि कैसे इस बार भी आम जनता को बरगलाकर उसके वोटों को हथिया जाए । आज देश की जनता को इस कुचाल को समझना होगा और लोकसभा चुनाव में मंुहतोड़ जवाब देना होगा।
-आशुतोष श्रीवास्तव
सी/3082,राजाजीपुरम्,लखनऊ(उ.प्र)
सवालों के घेरे में मीडिया
देश के कुछ मीडिया संस्थान आज केजरीवाल जैसे नेताओं को लेकर देश को गुमराह कर रहे हैं। उनकी सच्चाई बताने के बजाय उन पर पर्दा डालकर उनके चेहरों को ढकने का प्रयास करते हैं। मीडिया का काम होता है सच को सामने लाना, पर वह अपने कार्य में ईमानदारी नहीं बरत रही है। सवाल यह है कि मीडिया का भी यह खेल कब तक चलेगा? क्या पैसे के लालच ने उसे इतना अंधा बना दिया है कि वह सच को झूठ और झूठ को सच बताने पर आमादा है? ये तमाम सवाल आज उसके सामने हैं,जिनका उसे जवाब देना है क्योंकि मीडिया की साख दिनोंदिन घटती जा रही है।
-शाजिया खान
खैरनगर,मेरठ (उ.प्र.)

युवराज के मुंह पर ताला क्यों

भष्टाचार और घोटालोंे से बुरी तरह ग्रस्त कांग्रेस पार्टी को जब ऐसा एहसास हुआ कि जनमत दिनांे-दिन उसके विरुद्घ होता जा रहा है,तब प्रतिकूल जनमत को अनुकूल बनाने के लिए उसने तरह-तरह के प्रयास करने शुरू कर दिए। खासकर कांग्रेस पार्टी के प्रधानमंत्री पद के अघोषित उम्मीदवार राहुल गांधी ने कुछ ऐसे तेवर दिखाने शुरू किए, जैसे भ्रष्टाचार को जड़-मूल से नष्ट करने के लिए किसी महापुरुष का अवतरण हो गया हो। इसी के चलते दो साल से ज्यादा सजा पाए सांसदों एवं विधायकों की सदस्यता रद्द करने एवं पुन: चुनाव लड़ने के लिए अपात्र घोषित करने का सर्वोच्च न्यायालय का जो फैसला आया, उसे निष्प्रभावी करने के लिए केन्द्र की संप्रग सरकार ने अक्तूबर 2013 में एक अध्यादेश राष्ट्रपति के पास भेजा।इस अध्यादेश के समर्थन मंें कांग्रेस पार्टी के प्रमुख प्रवक्ता अजय माकन पत्रकार वार्ता को संबोधित कर ही रहे थे कि अचानक वहां राहुल गांधी प्रगट हो गए और उपरोक्त अध्यादेश को बकवास और कूडे़ में फेंकने योग्य बताकर फाड़ दिया। जब किसी पत्रकार ने अजय माकन से पूछा कि अब आपका क्या कहना है, तो अजय माकन ने जवाब दिया कि जो राहुल गांधी का मत है, वही पूरी कांग्रेस पार्टी का मत है। खैर, राहुल गांधी के इस रुख के बाद पूरी कांग्रेस पार्टी और सरकार शीर्षासन करने लगी।भ्रष्टाचार-विरोधी छवि बनाने के चक्कर में कांग्रेस ने संसद के शीतकालीन सत्र में लोकपाल कानून पारित किया। जिसे आदर्श लोकपाल नहीं कहा जा सकता। इसी की तर्ज पर सिटीजन चार्टर एवं अन्य कुछ भ्रष्टाचार विरोधी बिल पारित कराने के लिए वे इस सत्र में जोर आजमाइश करते दिखाई दिए। लेकिन फिर भी कई बिल पारित नहीं हो पाए। ऐसे में अब राहुल गांधी जगह-जगह यह कहते फिर रहे हैं कि विपक्ष के असहयोग के चलते ये भ्रष्टाचार विरोधी बिल पारित नहीं हो पाए। ऐसी स्थिति में विपक्ष का बड़ा सवाल यह है कि पूरे पांच साल कांग्रेस पार्टी क्या करती रही? आखिर अपने शासनकाल के अंतिम दिनों एवं लोकसभा चुनाव के समय ही इन बिलों को पास कराने की सुध क्यों आई?हम भ्रष्टाचार के विरोध में हैं,यह बताने के लिए कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी ने लोकपाल कानून भले बना दिया हो, लेकिन इसे पास कराने में प्रमुख विपक्षी दल भाजपा के योगदान को नकारा नहीं जा सकता। साथ ही गौर करने का विषय यह है कि मात्र लोकपाल कानून बना, लोकपाल का गठन नहीं हुआ। दूसरी महत्वपूर्ण बात यह कि निष्पक्ष और सशक्त लोकपाल न बन पाए, इसके लिए कांग्रेस पार्टी के नेताओं का प्रयास सतत जारी है। राहुल गांधी भ्रष्टाचार मुक्त भारत की बात तो करते हैं लेकिन उनकी कथनी और करनी में जमीन आसमान का अन्तर है। क्योंकि जिन लालू यादव को बचाने के लिए संप्रग सरकार अध्यादेश ला रही थी,राहुल गांधी के विरोध के चलते उसे वापस लेना पड़ा। उन्हीं लालू यादव की पार्टी राजद से बिहार में लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का गठबंधन हो गया है।अब यह बताने की जरूरत नहीं कि चारा घोटाले को लेकर लालू यादव को सजा हुई है और वे जमानत पर इस समय बाहर हैं। भ्रष्टाचार के विरुद्ध अपने को बहुत बड़े योद्धा बताने वाले राहुल गांधी पता नहीं इन सब बातों को लेकर क्यों चुप हैं? क्या उन्हें इन तमाम सवालों के जवाब जनता को नहीं देने चाहिए?
– वीरेन्द्र सिंह परिहार

मजहब के ठेकेदार

वोटों की मंडी सजी, हाजिर है सामानजाति-धर्म की खुल गयीं, फिर से कई दुकान।फिर से कई दुकान, मोल-तोल है जारीदेखें कौन लगाए सबसे कीमत भारी।कह ह्यप्रशांतह्ण मजहब के ठेकेदार आ रहेनये-पुराने आश्वासन फिर उन्हें भा रहे॥ – प्रशांत

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