जहरीली खेती का जवाब जैविक खेती खेती
July 13, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

जहरीली खेती का जवाब जैविक खेती खेती

by
Apr 12, 2014, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 12 Apr 2014 13:39:58

-अजय विद्युत-

जो जमीन हमारा भरण-पोषण करती है उसमें अच्छी पैदावार के लिए रासायनिक खाद और कीटनाशकों के रूप में जहर डाल दिया गया है। इसलिए जो फसल हो रही है उसके दानों में जीवन कम जहर अधिक समा गया है। जो अन्न हम ग्रहण कर रहे हैं वह पोषण न देकर स्वास्थ्य को बिगाड़ रहा है। इसलिए जैविक या प्राकृतिक खेती पर ज्यादा जोर दिया जाने लगा है।
मध्य प्रदेश के बैतूल जिले के स्वेदश चौधरी प्राकृतिक खेती कर रहे हैं। विज्ञान से स्नातक स्वदेश चौधरी रासायनिक खादों के प्रयोग से बहुत परेशान थे। उनके खेतों की उर्वरा-शक्ति खत्म हो रही थी। वे बेहद दु:खी थे। तभी उन्हें 2010 में प्राकृतिक कृषि की जानकारी प्राप्त हुई। वे कहते हैं, ह्यआरंभ में मैंने इसका प्रयोग दो एकड़ की बंजर हो चुकी भूमि पर किया, लेकिन आज मेरी पूरी 30 एकड़ भूमि प्राकृतिक कृषि के माध्यम से स्वस्थ और सुरक्षित है।'
संकल्प: कागज से खेत तक
जीरो बजट कृषि यानी बिना लागत खेती का एक पाठ्यक्रम (कोर्स) है जो कि किसानों को बहुत कम लागत पर प्राकृतिक कृषि के बारे में बताता है। पाठ्यक्रम के दौरान स्वदेश चौधरी ने महाराष्ट्र में अनेक प्राकृतिक कृषि के सफल प्रयोगों को देखा। जो किसान प्राकृतिक कृषि कर रहे थे उन्होंने स्वदेश को प्राकृतिक कृषि की दिल को छूने वाली सच्ची और सफल कहानियां बताईं। इसके बाद उन्होंने भी प्राकृतिक कृषि करने का मन बनाया।
स्वदेश ने एक कागज के टुकड़े पर दो एकड़ भूमि पर प्राकृतिक कृषि करने का संकल्प लिया। अब नतीजा बहुत ही सुखद है। अब वे अपनी पूरी जमीन पर प्राकृतिक खेती कर रहे हैं।
जीरो बजट कृषि का कमाल
स्वदेश ने रासायनिक खादों और कीटनाशकों के इस्तेमाल को लेकर अपने अनुभवों की प्राकृतिक कृषि से तुलना करते हुए बताया, ह्यजब मैंने सोयाबीन उगाया था, 6 क्विंटल की पैदावार हुई थी। लेकिन मैंने देखा कि उसकी पूरी राशि फिर से रसायन खरीदने के ही काम आई, ऐसा प्राकृतिक कृषि में नहीं है।
जब गन्ना खट्टा हुआ…
अनेक प्रकार के रसायन खेती में प्रयोग होते हैं, उनमें से एक थायम भी है, जो कि गन्ने के लिए प्रयोग होता है। इसके प्रयोग से स्वदेश के खेतों में गिलहरियों, सांपों, पक्षियों और कीटों की मृत्यु होने लगी। उन्होंने बताया कि यही वह महत्वपूर्ण कारण है, जिसकी वजह से वे रासायनिक खेती से दूर होने लगे। वह भोजन जो कि पशुओं के लिए खतरनाक है, दुर्भाग्य से हमारे समाज में उसका इतना बड़ा उपयोग होता है।
एक एकड़ भूमि के लिए प्राकृतिक खेती की लागत 300 रु. से अधिक नहीं होती है, और रसायन में यह 2000 रु. प्रति एकड़ होती है। स्वदेश ने इसका कारण बताते हुए कहा कि प्राकृतिक खेती के लिए खाद इसलिए सस्ती होती है, क्योंकि इसके स्रोत घर में ही उपलब्ध होते हैं।
अपना भविष्य संवारें
स्वदेश को अपनी कोमल मिट्टी और भूमि पर गर्व है। अब इसे हाथों से ही खोदा जा सकता है और इसमें केंचुए भी बहुतायत में हैं, जो कि मिट्टी के लिए अत्यंत उपयोगी हैं।
स्वदेश कहते हैं कि रासायनिक खेती करना बहुत बड़ा नुकसान है। बस यूं समझ लीजिए कि आपको तेल लेना है। दो प्रकार के तेल हैं- रिफाइंड और फिल्टर। अधिकतर भारतीय रिफाइंड का प्रयोग करते हंै और यह रसायन से बना होता है। किसानों को यह समझना होगा कि रसायन मिट्टी को जो नुकसान करते हैं वह करते ही हैं, इसके अलावा कृषि के पोषण के लिए खेत में मौजूद बैक्टीरिया को नष्ट करते हैं। वे वातावरण और स्वास्थ्य को बहुत नुकसान पंहुचाते हैं।
आप क्या चुनेंगे…
स्वदेश ने साहस करके अपने भविष्य के लिए सकारात्मकता को चुना। ध्यान और प्राणायाम के नियमित अभ्यास ने उनकी इसमें काफी मदद की। अनेक परेशानियों के बावजूद उनका उत्साह बना रहता है। उन्होंने बताया कि विषमुक्त अर्थात् प्राकृतिक कृषि से मिले प्राकृतिक भोजन से जहां हम खोये स्वास्थ्य को पुन: पाने और गांवों में खुशहाली लाने की पहल कर सकते हैं, वहीं पूरी मानवता की उन्नति और सद्गुणों के रोपण का भी यह बहुत उत्तम तरीका है।
स्वदेश कहते हैं,ह्यमंदी के दौर में खेती के लिए रसायन काफी महंगे हो गए हैं और पहले से ही कर्ज में डूबे हुए किसानों के लिए तो उन्हें खरीद पाना असंभव सा है। फिर उनसे हम खेतों में अमृत की जगह जहर उगाते हैं, वह पाप अलग। जीरो बजट प्राकृतिक कृषि हमारे लिए वरदान है और हमारे उत्पाद को बाजार में भी सही सम्मान और भाव मिल रहा है। ल्ल
(स्रोत: आर्ट ऑफ लिविंग)

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

Iran Issues image of nuclear attack on Israel

इजरायल पर परमाणु हमला! ईरानी सलाहकार ने शेयर की तस्वीर, मच गया हड़कंप

RSS का शताब्दी वर्ष : संघ विकास यात्रा में 5 जनसंपर्क अभियानों की गाथा

Donald Trump

Tariff war: अमेरिका पर ही भारी पड़ सकता है टैरिफ युद्ध

कपिल शर्मा को आतंकी पन्नू की धमकी, कहा- ‘अपना पैसा वापस ले जाओ’

देश और समाज के खिलाफ गहरी साजिश है कन्वर्जन : सीएम योगी

जिन्होंने बसाया उन्हीं के लिए नासूर बने अप्रवासी मुस्लिम : अमेरिका में समलैंगिक काउंसिल वुमन का छलका दर्द

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

Iran Issues image of nuclear attack on Israel

इजरायल पर परमाणु हमला! ईरानी सलाहकार ने शेयर की तस्वीर, मच गया हड़कंप

RSS का शताब्दी वर्ष : संघ विकास यात्रा में 5 जनसंपर्क अभियानों की गाथा

Donald Trump

Tariff war: अमेरिका पर ही भारी पड़ सकता है टैरिफ युद्ध

कपिल शर्मा को आतंकी पन्नू की धमकी, कहा- ‘अपना पैसा वापस ले जाओ’

देश और समाज के खिलाफ गहरी साजिश है कन्वर्जन : सीएम योगी

जिन्होंने बसाया उन्हीं के लिए नासूर बने अप्रवासी मुस्लिम : अमेरिका में समलैंगिक काउंसिल वुमन का छलका दर्द

कार्यक्रम में अतिथियों के साथ कहानीकार

‘पारिवारिक संगठन एवं विघटन के परिणाम का दर्शन करवाने वाला ग्रंथ है महाभारत’

नहीं हुआ कोई बलात्कार : IIM जोका पीड़िता के पिता ने किया रेप के आरोपों से इनकार, कहा- ‘बेटी ठीक, वह आराम कर रही है’

जगदीश टाइटलर (फाइल फोटो)

1984 दंगे : टाइटलर के खिलाफ गवाही दर्ज, गवाह ने कहा- ‘उसके उकसावे पर भीड़ ने गुरुद्वारा जलाया, 3 सिखों को मार डाला’

नेशनल हेराल्ड घोटाले में शिकंजा कस रहा सोनिया-राहुल पर

‘कांग्रेस ने दानदाताओं से की धोखाधड़ी’ : नेशनल हेराल्ड मामले में ईडी का बड़ा खुलासा

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies