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राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के पक्ष में बनने लगा माहौल
-पाञ्चजन्य ब्यूरो
राजग (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) की धमक संप्रग (संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन) में हड़कंप मचा रही है, यह अब कोई छिपी बात नहीं है। भाजपा की ओर से प्रधानमंत्री पद के दावेदार नरेन्द्र मोदी की बढ़ती लोकप्रियता बता रही है कि देश या विदेश, किसी के लिए भी अब इस केसरिया उफान को नजरअंदाज करना संभव नहीं है। एक तरफ देश के राजनीतिक गलियारों में कांग्रेस की बौराई बयानबाजी भाजपा की ताकत बनी है वहीं दूसरी ओर अरुणाचल प्रदेश पर चीन के अतिक्रमण को लेकर मोदी के तीखे स्वरों पर भी उन्हें तालियां मिली हैं। खास बात यह है कि चीन द्वारा अपनी विस्तारवादी नीतियों को लेकर पेश की गई सफाई और पिछले दिनों अमरीकी राजदूत की गुजरात जाकर मोदी से हुई मुलाकात को भी राष्ट्रवादी ताकतों के सामने विश्व बिरादरी के बदले रुख के तौर पर देखा जा रहा है। जाहिर है, अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर भारतीय लोकतंत्र का यह परिवर्तन अब धुंधला नहीं, बेहद साफ है।
देश की सबसे पुरानी पार्टी (कांग्रेस) के लिए शगुन कुछ अच्छे नहीं हैं। हालांकि पार्टी के रणनीतिकार हाथ-पैर मारते हैं, मगर इसमें कुशलता कम, बौखलाहट ज्यादा झलकती है। हाल ही में विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद का नरेन्द्र मोदी पर विवादास्पद बयान, केन्द्रीय गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे का सोशल मीडिया को कुचल देने वाला बयान, कांग्रेसियों द्वारा चुनावी सर्वेक्षणों पर रोक लगाने की मांग या फिर पी. चिदम्बरम के मोदी की रैलियों से टैक्स वसूल करने वाला बयान कांग्रेस का हर दाव उल्टा ही पड़ा है।
22 फरवरी को पूर्वोत्तर में रैली को संबोधित करते हुए नरेन्द्र मोदी ने कहा कि ह्यधरती पर कोई भी अरुणाचल प्रदेश को भारत से नहीं छीन सकता है।ह्ण उन्होंने कहा कि चीन को विस्तारवादी नीति छोड़नी ही होगी। यह पहली बार था कि जब मोदी विदेशी मसले पर लगातार भारत की धरती पर अतिक्रमण करने वाले चीन को लेकर बेबाकी से बोले। उन्होंने असम, अरुणाचल और त्रिपुरा में तीन अलग-अलग रैलियों को संबोधित किया। पूर्वोत्तर कभी भाजपा का गढ़ नहीं रहा। मगर जब मोदी ने यहां लोगों की भारी भीड़ के सामने कहा कि इस बार देश में विकास का सूर्योदय यहीं से होगा, तो जनसैलाब का समर्थन पार्टी को जोश दिलाने के लिए काफी था।
इस पूरे प्रचार अभियान में भाजपा ने स्थानीय मुद्दों से सीधे जुड़ते हुए नया जनाधार तलाशा है। मोदी ने असम के सिलचर में रैली को संबोधित करते हुए जब कहा कि केन्द्र सरकार बंगलादेश से घुसपैठ रोकने में असफल रही है तो मानो उन्होंने सीधे जनता की नब्ज पर हाथ रख दिया। अपनी खास शैली में जब उन्होंने कहा कि- यहां के लोग बंगलादेश से और पूरा पाकिस्तान मुझसे परेशान है- तो जनसैलाब के आखिरी छोर पर भी तालियां गूंज रही थीं।
अंतरराष्ट्रीय एजेंसी ने भी माना, लहराएगा भाजपा का परचम
लोकसभा चुनावों में भाजपा की सफलता पर सवाल लगाने वालों की बात को एक प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय एजेंसी 'पीईडब्ल्यू रिसर्च सेंटर' के सर्वे ने खारिज कर दिया है। एजेंसी के सर्वे के मुताबिक लोकसभा चुनावों में देश में भाजपा को सबसे ज्यादा लोगों का समर्थन मिलेगा। देशभर में सात दिसंबर 2013 से शुरू हुआ यह सर्वे 12 जनवरी 2014 तक किया गया। जनसंख्या की दृष्टि से बड़े देश के 15 राज्यों में यह सर्वे किया गया। सर्वे में लोगों से भाजपा और कांग्रेस को लेकर उनकी राय पूछी गई। सर्वे में 10 में से सात लोगों ने देश में हो रही गतिविधियों और सरकार के कामकाज को लेकर असंतोष प्रकट किया। वर्तमान राजनीतिक परिस्थितियों में सबसे ज्यादा लोग भाजपा को समर्थन देने के पक्ष में हैं। सर्वे के अनुसार भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी की ख्याति और उन्हें पसंद करने वाले लोगों की संख्या राहुल गांधी के मुकाबले कहीं ज्यादा है। सर्वे में मात्र 29 प्रतिशत लोग देश में रही गतिविधियों को लेकर संतुष्टी जताई जबकि 70 प्रतिशत लोगों ने असंतुष्टि जताई। आने वाले लोकसभा चुनावों को लेकर 63 प्रतिशत लोगों ने भाजपा के पक्ष में अपनी सहमति जताई। जबकि 10 में से केवल 2 लोगों ने कांग्रेस को समर्थन देने की बात की। जबकि अन्य राजनैतिक दलों को लेकर कुल लोगों में से 12 प्रतिशत ने अपना समर्थन देने की बात कही। शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में लोगों की सहमति एक ही प्रकार की थी। ग्रामीण क्षेत्रों में 64 प्रतिशत ने तो शहरी क्षेत्रों में 60 प्रतिशत लोगों ने एक जैसी राय दी।
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