सऊदी अरब में नारकीय जीवन जी रहे हैं भारतीय
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सऊदी अरब में नारकीय जीवन जी रहे हैं भारतीय

by
Mar 10, 2014, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 10 Mar 2014 15:11:37

पैसा कमाने के लालच में बहुत सारे भारतीय खाड़ी के देशों में जाते हैं। वहां उनके साथ किस तरह का व्यवहार किया जाता है,यह जब पता चलता है तो रोंगटे खड़े हो जाते हैं। सऊदी अरब से आए एक सज्जन ने जो बताया वह दिल दहला देने वाला है। ये सज्जन सऊदी अरब के एक शहर रियाद के बाहरी क्षेत्र में एक केमिकल फैक्ट्री में काम करते थे। एक साल पहले वे वहां गए थे। जाते ही उनका पासपोर्ट जब्त कर लिया गया। रहने के लिए उन्हें फैक्ट्री के ही एक हिस्से में बने एक बड़े हॉल में भेज दिया गया। वहां पहले से ही कुछ भारतीय और ज्यादा संख्या में पाकिस्तानी और बंगलादेशी नागरिक रह रहे थे।
उनके वहां पहुंचते ही एक बंगलादेशी नागरिक ने कहा कि आज से तुम जूठी थालियां और बर्तन साफ करोगे। यह काम करने के बाद ही फैक्ट्री जाओगे। उस हॉल में कुल 22 लोग रह रहे थे। इतने लोगों के जूठे बर्तनों को साफ करने में बहुत समय लगता था। इसलिए उन्होंने एक दिन बर्तन साफ करने से मना कर दिया। इसके बाद तो उन पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा। पहले उन्हें मारा-पीटा गया और एक दिन अफवाह उड़ा दी गई कि इन्होंने इस्लाम कबूल कर लिया है,पर ये नमाज नहीं पढ़ते हैं। यह बात फैक्ट्री के आला अधिकारियों को भी बता दी गई। इसके बाद उनको कभी फैक्ट्री से बाहर जाने नहीं दिया गया। रात में उन्हें जंजीर से जकड़ कर रखा जाता था। उन्हें जबरन नमाज पढ़ने और सऊदी अरब की वेशभूषा धारण करने को कहा जाता था। उन्हें टेलिफोन और इन्टरनेट से भी दूर रखा गया। उन्हें कभी तनख्वाह भी नहीं दी गई,जबकि काम पूरे समय लिया गया।
कुछ दिनों के बाद वे बीमार रहने लगे, फिर भी उनसे काम करवाया गया। जब वे शारीरिक रूप से बेहद कमजोर हो गए तो उन्हें एक दिन फैक्ट्री के एक अधिकारी ने कहा कि तुम्हारे लिए भारत जाने का टिकट बन गया है,भारत जाओ। और वे एक दिन बिल्कुल खाली हाथ भारत आ गए। उनके कुछ परिजन भी सऊदी अरब में रहते हैं। उन्होंने कहा कि जब उनके सारे लोग भारत वापस आ जाएंगे तब वे वहां रह रहे भारतीयों की नारकीय दशा खुलकर बताएंगे।
इधर हाल ही में भारतीय मीडिया में भी एक खबर आई है कि सऊदी अरब में उत्तर प्रदेश और बिहार के 500 मजदूर बंधक बना कर रखे गए हैं। कई बार सऊदी पुलिस से शिकायत भी की गई है, किन्तु कोई सुनवाई अब तक नहीं हुई है। कितने ही परिजनों ने भारत सरकार से अपील की है कि वह उन मजदूरों को सऊदी अरब के चंगुल से छुड़ाए।
कुनमिंग में क्रूरता भी कांप उठी
पिछले दिनों चीन के कुनमिंग शहर के रेलवे स्टेशन पर इस्लामी जिहादियों ने हमला करके 33 लोगों की हत्या चाकू और तलवार से कर दी,और करीब 150 लोगों को बुरी तरह घायल कर दिया। कहा जा रहा है कि लोग टिकट लेने के लिए कतार में खड़े थे,उसी समय 10-12 जिहादी आ धमके और लोगों को चाकू और तलवार से गोद-गोद कर मार डाला। ये सभी हमलावर काले कपड़े पहने थे। माना जा रहा है कि ये हमलावर प्रतिबंधित संगठन ह्यपूर्वी तुरिस्तान इस्लामिक आन्दोलनह्ण से जुड़े हुए हैं। यह पहला अवसर है जब इस संगठन के गुर्गों ने सिंक्यांग प्रान्त से बाहर इतनी बड़ी घटना को अंजाम दिया है। चीन सरकार ने कहा है कि इस घटना से जुड़े जिहादियों को कड़ी सजा दी जाएगी। उल्लेखनीय है कि चीन के स्िंाक्यांग प्रान्त में उइगर मुसलमानों की बहुलता है। ये लोग पिछले कुछ वर्षों से अलग सिंक्यांग प्रान्त की मांग कर रहे हैं,जहां शरियत का कानून लागू होगा। यह भी माना जाता है कि इन उइगर मुसलमानों को दुनिया की अन्य जिहादी तत्वों का समर्थन प्राप्त है। अपनी मांग मनवाने के लिए ये उइगर जिहादी हिंसा का सहारा ले रहे हैं।
पाकिस्तान में उठी हिन्दुओं के हक की बात
पाकिस्तान में अल्पसंख्यक हिन्दुओं को न तो ठीक से जीवन-यापन करने का अधिकार है और न ही अपने वर्षों पुराने मन्दिरों में प्रवेश का। पाकिस्तान में किसी मन्दिर पर सरकारी कब्जा है,तो किसी मन्दिर पर आसपास के लोगों ने कब्जा कर लिया है। पाकिस्तानी हिन्दू इन मन्दिरों को बचाने और उनमें प्रवेश करने के लिए वर्षों से संघर्ष कर रहे हैं,किन्तु सरकार के पक्षपाती रवैये से उन्हें इस मामले में कोई सफलता हाथ नहीं लग रही है। हां,कभी-कभी पाकिस्तानी अदालतों के कुछ फैसलों से उन्हें थोड़ी राहत जरूर मिल जाती है। पिछले दिनों पाकिस्तानी हिन्दुओं को ऐसी ही एक राहत देने वाली बात पाकिस्तान के सर्वोच्च न्यायालय ने कही है। सर्वोच्च न्यायालय की कराची पीठ ने प्रेम प्रकाश पंथ के अमरापुर स्थान मन्दिर में हिन्दुओं को प्रवेश न देने के मामले की सुनवाई के दौरान सिंध सरकार से अल्पसंख्यक अधिकारों पर जवाब मांगा है। उल्लेखनीय है कि इस मन्दिर में हिन्दुओं का प्रवेश कई वर्षों से मना है। रिझो मल्ल नामक एक हिन्दू ने इस मन्दिर में हिन्दुओं के प्रवेश की मांग करते हुए एक याचिका सर्वोच्च न्यायालय में दाखिल की थी। इस समय इस मन्दिर परिसर में एक सरकारी विद्यालय चल रहा है। याचिका में कहा गया है कि जब भी कोई हिन्दू मन्दिर में प्रवेश करना चाहता है तो उसे विद्यालय प्रबंधन रोकता है। मुख्य न्यायाधीश तसादुक हुसैन जिलानी की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा है कि पाकिस्तान का संविधान मुल्क में धार्मिक अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा को संरक्षित करने की बात करता है। सर्वोच्च न्यायालय यह सुनिश्चित करेगा कि अल्पसंख्यकों के ये अधिकार हर तरह से सुरक्षित हों। पीठ ने इस मामले की जांच अतिरिक्त महाधिवक्ता अदनान करीम को करने को कहा है।
हाल ही में पाकिस्तान के सर्वोच्च न्यायालय में हिन्दुओं से जुड़ा एक और मामला पहुंचा है। पाकिस्तान हिन्दू काउंसिल के संरक्षक रमेश कुमार ने सर्वोच्च न्यायालय से आग्रह किया है कि कराची स्थित हिन्दू जीमखाना भवन का उपयोग केवल हिन्दुओं को करने की अनुमति दी जाए। उल्लेखनीय है कि इस हिन्दू जिमखाना का निर्माण 1926 में हिन्दू समुदाय ने मनोरंजन के उद्देश्य से किया था।
युगांडा में समलैंगिकता अपराध
हाल ही में युगांडा ने समलैंगिकता विरोधी कानून बनाया है। इस कानून के अनुसार समलैंगिकता को बढ़ावा देना भी अपराध माना गया है। यदि आरोप सिद्ध हो जाए तो व्यक्ति को आजीवन कारावास की सजा भी हो सकती है। इस कड़े कानून का अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर विरोध हो रहा है। इसके बावजूद युगांडा के राष्ट्रपति योवेरी मुसेवेनी इस कानून को लागू करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। राष्ट्रपति मुसेवेनी के इस रुख की आलोचना पश्चिमी राष्ट्र कर रहे हैं। विश्व बैंक ने तो युगांडा को दिया जाने वाला कर्ज भी रोक लिया है। यह कर्ज युगांडा की स्वास्थ्य सेवाओं को दुरूस्त करने के लिए दिया जाना था। विश्व बैंक के अध्यक्ष यंग किम ने कहा है कि इस कड़े कानून से यौन अधिकारों का हनन होता है। इससे बहुराष्ट्रीय कम्पनियां युगांडा में पंूजी निवेश करने से बचेंगी। उन्होंने यह भी कहा कि विश्व बैंक इस कानून के उन पक्षों पर गौर करेगा जिनसे हमारी परियोजनाओं और हमारे समलैंगिक कर्मचारियों पर बुरा असर पड़ता हो। वहीं अमरीकी विदेश मंत्री जॉन केरी ने भी युगांडा के इस कानून की आलोचना की है। अमरीका में तो इस कानून के खिलाफ प्रदर्शन भी हो रहे हैं। प्रश्न है कि युगांडा के इस समलैंगिकता विरोधी कानून का अमरीका में इतना विरोध क्यों हो रहा है? जानकारों का कहना है कि इस कानून से उन अमरीकी नागरिकों का हित बाधित हो रहा है,जो समलैंगिक जीवन व्यतीत करते हैं और विभिन्न बहुराष्ट्रीय कम्पनियों में काम करते हैं। प्रस्तुति: अरुण कुमार सिंह

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