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केरल सरकार ने केरल उच्च न्यायालय में कट्टरपंथी इस्लामी संगठन पोपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई), नेशनल डेमोके्रटिक फ्रंट (एनडीएफ) की घातक गतिविधियों को लेकर एक रपट दाखिल की है जिसमें उल्लेख किया गया है कि पीएफआई और एनडीएफ संगठन के कट्टरपंथी कार्यकर्ता राज्य में 27 साम्प्रदायिक हत्या और हत्या के प्रयास के 86 मामलों में लिप्त हैं। राज्य में 106 साम्प्रदायिक हिंसा के मामले दर्ज किए गए हैं।
इंटर मीडिया पब्लिशिंग लिमिटेड द्वारा एक याचिका दायर की गई थी जिसके जवाब में सरकार ने यह जानकारी उच्च न्यायालय को दी। सरकार ने ह्यतेजसह्ण समाचार पत्र को विज्ञापन देने बंद कर दिए थे क्योंकि समाचार पत्र कट्टरपंथी संगठनों से जुड़ा हुआ माना जाता है। गृह विभाग ने दाखिल की अपनी रपट में कहा है कि पीएफआई संगठन एक सुनियोजित ढंग से कट्टरवादी इस्लाम के प्रसार और लोगों के मतांतरण में जुटा हुआ है। मजहबी सोच को लाभ पहंुचाने के लिए मुस्लिम युवाओं की न केवल भर्ती की जा रही है, बल्कि इस्लाम के कट्टरवादी स्वरूप को न मानने वालों को निशाना बनाया जा रहा है। राज्य सरकार ने न्यायमूर्ति थामस. पी. जोसफ आयोग की रपट का भी उल्लेख किया जिसमें हिन्दू मछुआरे की मराड नरसंहार में निर्मम हत्या कर दी गई थी।
राज्य की रपट में बताया गया है कि एनडीएफ कार्यकर्ता मराड में दो मई, 2003 को हुए नरसंहार में लिप्त रहे थे। उस समय एनडीएफ और पीएफआई की घिनौनी तस्वीर सामने आई थी, जो कि टी. जे. जोसफ और मुवत्तुपुआ के सहयोगी थे। तब दंगाइयों की न केवल आर्थिक रूप से असाधारण मदद की गई थी, बल्कि मामले के दोषी आरोपियों का बचाव भी किया गया था। उस दौरान अनेक सिम कार्ड का प्रयोग किया गया था और 54 पीएफआई के कार्यकर्ता राज्य व जिला स्तर पर दंगे में लिप्त रहे थे।
राष्ट्र विरोधी पीएफआई के 21 कट्टर कार्यकर्ताओं को पुलिस ने नराथ से गिरफ्तार किया था। पुलिस ने उनके पास से विस्फोटक सामग्री, हथियार, देसी बम और ईरान की नागरिकता वाले पहचान पत्र बरामद किए थे। तब तेजस ने समाचार प्रकाशित किया था कि पुलिस ने 21 'निर्दोष' मुस्लिम युवकों को गिरफ्तार किया है, जो कि योगा प्रचार कार्यक्रम ह्यहेल्दी पीपुल, हेल्दी नेशनह्ण में व्यस्त थे। रपट में खुलासा किया गया है कुछ समाचार पत्र समूहों के बोर्ड सदस्य और ब्यूरो प्रमुख भी तेजस की तरह पीएफआई और एसडीपीआई के सक्रिय सदस्य हैं।
यही नहीं तेजस समाचार पत्र की विचारधारा पीएफआई जैसी ही कट्टर है, इसी सोच पर उनकी संपादकीय नीति चलती है। इस समाचार पत्र के माध्यम से राज्य सरकार और दूसरे पंथ के लोगांे की भावनाओं को ठेस पहंुचाई जाती है। राज्य सरकार ने आशंका भी व्यक्त की है कि पीएफआई संगठन को ह्यइंडिया फ्रेटर्निटी फोरमह्ण के जरिए खाड़ी देशों से आर्थिक मदद दी जाती है। यह राशि थेजस समाचार पत्र में मनगढ़ंत समाचार प्रकाशित कराने और अल्पसंख्यक मुस्लिम को बहलाने के काम में ली जाती है। हिन्दू संगठनों क ी एनडीएफ, पीएफआई और तेजस पर प्रतिबंध लगाने की मांग पर राज्य की यूडीएफ सरकार और विपक्षी दल एलडीएफ ने विरोध का पैंतरा अपनाया है क्योंकि इन दोनों की ही नजर मुस्लिम वोट बैंक पर रहती है। लेकिन उच्च न्यायालय में इन संगठनों का तालिबानी रुख उजागर होने के बाद क्या केरल के सेकुलर नेता इन संगठनों के पर कतरने की पैरवी करेंगे? प्रतिनिधि
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