रिश्तों की मजबूत गांठ
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रिश्तों की मजबूत गांठ

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Dec 20, 2014, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 20 Dec 2014 12:56:06

अंक संदर्भ: 30 नवम्बर,2014

आवरण कथा 'कठिन डगर,मजबूत कदम' नई सरकार का विश्व के विभिन्न देशों के साथ एक कूटनीतिक एवं सशक्त प्रयास है। जिस प्रकार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विश्व के तमाम देशों के साथ मित्रता व उनके साथ मिलकर कार्य करने की प्रतिबद्धता जताई है वह अपने आप में एक महत्वपूर्ण कदम है। वर्षों से विश्व के कई देशों के साथ भारत के संबंध हाशिए पर गए थे और कुछ तथाकथित स्वार्थी देशों के साथ ही संबंध बनाकर यहां की पार्टियां और नेता उनका एवं अपना स्वार्थ सिद्ध कर रहे थे। लेकिन हाल ही में हुए सत्ता परिवर्तन से विदेश नीति में भी परिवर्तन आया है, जिसका स्पष्ट असर देश देख रहा है।
—मनोहर मंजुल,पिपल्या-बुजुर्ग(म.प्र.)
ङ्म आज जिस प्रकार विश्व के अनेक देशों में उन्माद मचा हुआ है और वह सभी बारूद के ढेर पर बैठे हुए हैं। ऐसे में ये उन्मादी तत्व भारत में भी इसी प्रकार का वातावरण तैयार करना चाहते हैं जो अन्य इस्लामिक राष्ट्रों में है। भारत आज पूरे विश्व की निगाहों में है और सभी राष्ट्र भारत की ओर टकटकी लगाए देख रहे हैं। ऐसे में प्रत्येक भारतवासी का कर्तव्य है कि वह इस प्रकार की शक्तियों को भारत में सिर ही न उठाने दें। क्योंकि भारत आज दुनिया के साथ कदमताल मिलाने को तैयार है।
—नचिकेता वत्स,लारी,अरवल(बिहार)
ङ्म भारत ने आस्ट्रेलिया के साथ पांच समझौते कर अपनी मित्रता को एक नई दिशा दी है। भारत में हुए परिवर्तन और बढ़ती हुई शक्ति पर आस्टे्रलियाई प्रधानमंत्री का कहना कि भारत उभरता हुआ सुपर पॉवर है यह अपने आप में बड़ी बात है।
—राममोहन चन्द्रवंशी
विट्ठल नगर,टिमरनी(म.प्र.)
ङ्म देश ने जिस प्रकार परिवर्तन कर एक नई सरकार को केन्द्र में विराजमान किया है वह अपने आप में एक अनोखा फैसला है। जनता ने अपने फैसले के माध्यम से संदेश दिया है कि वह अब देश बेचने वालों के साथ नहीं है। कुछ वर्षों से देखा जाए तो देश की वर्तमान परिस्थिति जितनी अच्छी होनी चाहिए उतनी नहीं है। सवाल है कि इस सबके लिए कौन जिम्मेदार है? वर्तमान में आई नरेन्द्र मोदी सरकार देश को एक नए रूप में ले जाने का तैयार है। विश्व के अनेक देश आज भारत को हाथो-हाथ ले रहे हें क्योंकि वे जानते हैं कि भारत दिन-प्रतिदिन आर्थिक शक्ति के रूप में उभर रहा है।
—युगल किशोर सिंह, भागलपुर(बिहार)
ङ्म आज भारत विश्व में अपना एक अलग स्थान बना रहा है। शान्ति और सभी के विकास के नारे को प्रमुखता के साथ उठाकर नरेन्द्र मोदी दुनिया में अनेक देशों के साथ मित्रता का संदेश दे रहे हैं। आज भारत के लिए एक महत्वपूर्ण समय है क्योंकि जिस प्रकार का नेतृत्व उसे इस बार मिला है उतना सशक्त नेतृत्व शायद ही कभी मिला हो। ऐसे में जरूरत है कि प्रत्येक देशवासी देश को मजबूत करने और इसे सशक्त बनाने में सहयोग करे। क्योंकि सहयोग सिर्फ सरकार या राजनीति में रहकर नहीं होता,बल्कि वह किसी न किसी रूप में अच्छा कार्य करके हो सकता है। सही मायने में यही भारत माता की पूजा-अर्चना होगी।
—विकास कुमार 'बागी'
ग्राम व पो.-खुड्डा, मुजफ्फरनगर(उ.प्र.)
समाजवाद का ढोंग
हाल ही में सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने जिस विलायती वैभव के साथ अपना जन्मदिन मनाया वह समाजवाद के नाम पर एक तमाचा है। अपने आप को समाजवाद का चेहरा बताने वाले मुलायम जनता के पैसों का खुला दुरुपयोग करते हैं। इससे पहले ये समाजवादी लोग सैफई महोत्सव के नाम पर जनता की गाढ़ी कमाई को समाजवाद की आड़ में लुटाते रहे हैं। हद तो तब हो जाती है जब राज्य के वरिष्ठ मंत्री आजम खां इस कार्यक्रम में हुए खर्चे के प्रश्न पर खुलेआम कहते हैं कि यह पैसा तालिबान से आया है। असल में यही इनका चेहरा है जो इन्होंने अपने बयान के माध्यम से जाहिर किया है।
—वीरेन्द्र सिंह, ग्वालियर(म.प्र.)
आयुर्वेद अपनाने पर हो जोर
देश का दुर्भाग्य है कि कुछ कुचक्रों के कारण आयुर्वेद को मुख्यधारा की चिकित्सा पद्धति से हटाकर दोयम दर्जे की चिकित्सा पद्धति कर दिया गया। कभी यही पद्धति हमारी प्रमुख चिकित्सा पद्धति हुआ करती थी, लेकिन षड्यंत्रपूर्ण प्रयास ने इसे भुलाने और इसे नष्ट करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। आज तो अधिक से अधिक लोगों को इस पर से भरोसा ही उठ गया है। उनको अंग्रेजी दवाइयों पर ही विश्वास है,जबकि उनके दुष्परिणाम से वे बेखबर हैं। आज जरूरत है कि अपनी पुरानी पद्धति के चलन को पुन: जीवन्त करके उसको मुख्यचिकित्सा पद्धति से जोड़ा जाए। इसके लिए सरकार को प्रमुख प्रयास करना होगा तभी यह कार्य सफल होगा।
—मनीष रठोरिया
मंडी की नाल, उदयपुर(राज.)
ङ्म वास्तव में हमारे देश के ऋषि-मुनियों की यह प्राकृतिक चिकित्सा मानव समाज को अमूल्य भेंट है। यदि प्रत्येक मानव योग,ध्यान व प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति को अपने जीवन में उतार ले तो उसका जीवन सुव्यवस्थित हो जायेगा। आज हम देखते हैं कि अंग्रेजी दवाइयों से फायदा कम जबकि उसके दुष्परिणाम ज्यादा देखने को मिलते हैं। वर्तमान में नित नई बीमारियां विश्वभर में फैल गई हैं,जिनका एलोपैथी में इलाज ही नहीं है जबकि प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति में इसका इलाज है।
—सताराम बेनीवाल, जालौर(राज.)
देश को सशक्त करें
आज देश के अधिकतर लोग प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से अनेक आशा लगाए हैं। कुछ तो इसमें व्यक्तिगत आशाएं भी शामिल हैं। जिन लोगों की व्यक्तिगत आशाएं हैं वे जान लें कि इन आशाओं को पालने से उनको कुछ मिलने वाला नहीं है सिवाय निराशा के , क्योंकि देश की जनसंख्या इतनी ज्यादा है कि प्रत्येक व्यक्ति की इच्छाओं की पूर्ति नहीं की जा सकती। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को स्वयं चाहिए कि वह देश व यहां की व्यवस्था को मजबूत करने में किसी न किसी रूप में सहायता करें,न कि स्वयं की इच्छाओं की पूर्ति के लिए आशा करें।
—डॉ.कृष्ण नारायण पाण्डेय
राजाजीपुरम्,लखनऊ(उ.प्र.)

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