विविध : मिला अक्षम को 'सक्षम' बनाने का मंत्र
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गत दिनों जबलपुर (म.प्र.) में विकलांगों के लिए कार्य करने वाली संस्था 'सक्षम' का तीन दिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन आयोजित हुआ। इसका उद्घाटन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह श्री भैयाजी जोशी ने किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि सेवा मन से होती है,योजना से नहीं। सेवा करने के लिए कोमल ह्दय की आवश्यकता होती है। उन्होंने कहा कि हम सभी सामान्यत: दिखाई देने वाली विकलांगता पर ध्यान देते हैं, जबकि विकलांगता की श्रेणी में हर कोई आता है। अन्तर केवल इतना है कि कोई शारीरिक रूप से विकलांग है, तो कोई स्वार्थ और अहंकार से विकलांग है। उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता समन्वय परिवार ट्रस्ट के अध्यक्ष महामंडलेश्वर स्वामी अखिलेश्वरानन्द गिरि जी महाराज ने की। 'सक्षम' के राष्ट्रीय संगठन मंत्री डॉ. कमलेश कुमार ने कहा कि कोई विकलांग अपने परिवार या समाज पर बोझ नहीं है। यदि उसकी प्रतिभा को निखरने का अवसर दिया जाए तो वह स्वावलम्बी बन सकता है। सम्मेलन में एक दिन मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान भी पधारे। उन्होंने कहा कि इस सृष्टि पर ईश्वर की इतनी अनुकम्पा है कि कोई अक्षम नहीं होता, विशेषकर विकलांगों में अद्भुत क्षमता होती है। अधिवेशन का समापन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सेवा प्रमुख श्री सुहासराव हिरेमठ के उद्बोधन से हुआ। उन्होंने कहा कि सेवा मंें इतनी शक्ति होती है कि बड़े से बड़ा अपराधी भी समाज की मुख्यधारा से जुड़ जाता है। समापन समारोह में धन्यवाद ज्ञापन करते हुए 'सक्षम' के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. मिलिन्द माधव कसेवकर ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी में शामिल किए गए कार्यकर्ताओं की जानकारी दी। अधिवेशन में देशभर से 901 प्रतिनिधि शामिल हुए।
'आजादी के इतने वषोंर् बाद देखने को मिल रहा है कि हमारे देश की सीमाओं में घुसपैठ करने वाले हमारे पड़ोसी देश अब सीमा में रहना सीख रहे हैं तथा इससे देश का मान बढ़ा है। यह इसलिए संभव हो रहा है कि देश के आम नागरिक जागरूक हो रहे हैं और देश को एक मजबूत नेतृत्व मिला है। बाहरी सीमाओं की सुरक्षा के साथ-साथ हमें आज आंतरिक दुश्मनों से भी जागरूक होकर लड़ने की जरूरत है। इसके लिए आवश्यक है कि एक राष्ट्र और एक जन की भावना को प्रबल किया जाए और यह तभी संभव है जब हर हाल में हमारा आपसी भाईचारा व देश की अखण्डता बनी रहे।' ये बातें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकारी मण्डल के सदस्य श्री इंद्रेश कुमार ने कहीं। वे गत दिनों होशियारपुर (पंजाब) में आयोजित एक गोष्ठी में पत्रकारों के साथ बातचीत कर रहे थे। उन्होंने कहा कि अगर देश में अराजकता, अलगाववाद, आतंकवाद तथा हिंसा फैलाने वाले वार्ता व प्यार से नहीं मानते तो उनके लिए दंड की नीति अपनाने में हमें परहेज नहीं करना चाहिए ताकि देश की एकता बनी रहे।
एक अन्य प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि जब तक हम मां, बेटी और बहन की धारणा को नहीं अपनाएंगे तब तक महिलाओं पर हो रहे अत्याचारों को रोक नहीं सकते। इस अवसर पर अनेक गणमान्य लोग मौजूद थे। ल्ल प्रतिनिधि
'आधुनिक भारत के शिल्पी थे महामना'
'पंडित मदनमोहन मालवीय सच्चे अथोंर् में भारत की पुरानी और पश्चिम की आधुनिक शिक्षा को एकसूत्र में बांधना चाहते थे। इसे काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में साफ देखा जा सकता है।' ये विचार हैं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्णगोपाल के। वे 16 नवम्बर को दिल्ली में आयोजित एक संगोष्ठी को सम्बोधित कर रहे थे। संगोष्ठी का विषय था 'काशी हिन्दू विश्वविद्यालय : महामना का कीर्तिकलश'। उन्होंने कहा कि मालवीय जी ने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में सभी आधुनिक विषयों की शिक्षा की व्यवस्था जरूर की, लेकिन उसमें भारत के मौलिक दर्शन को बरकरार रखा। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के प्रवेश द्वार पर लिखा गया पहला श्लोक बताता है कि वे कोई रोजगार का दफ्तर नहीं, बल्कि हिन्दुत्व का प्रसार करने वाला मंदिर निर्मित करना चाहते थे, जो वहां आने वाले छात्रों को अध्यात्म की सीख दे।
वरिष्ठ भाजपा नेता डॉ़ मुरली मनोहर जोशी ने कहा कि जो लोग आधुनिक भारत के निर्माण का श्रेय जवाहरलाल नेहरू को देते हैं, वे गलत हैं। यह मदनमोहन मालवीय की दूरदृष्टि थी, जिसके तहत 1916 में स्थापित काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में उन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई शुरू कराई। देश के औद्योगिक और वैज्ञानिक विकास के असली शिल्पी मालवीय जी थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता लखनऊ विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ़ देवेंद्र प्रताप सिंह ने की। इस अवसर पर काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रों का सम्मान भी किया गया। कार्यक्रम का आयोजन 'पूर्व छात्र: काशी हिन्दू विश्वविद्यालय' ने किया था। प्रतिनिधि
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