स्वामी विवेकानन्द के विचारों को आचरण में उतारें
|
स्वामी विवेकानन्द के विचारों को आचरण में उतारना आज की आवश्यकता है। स्वामी विवेकानन्द ने कहा था, बलवान बनो, शक्ति की उपासना करो, क्योंकि निर्बल की बात कोई नहीं सुनता। दुर्बल के सत्य की कोई कीमत नहीं होती,पर शीलविहीन शक्ति समाज को अवनति की तरफ ले जाती है।ह्णयह कहना था राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत का। श्री भागवत 12 जनवरी को नागपुर में स्वामी विवेकानन्द सार्द्धशती समारोह समिति, नागपुर की ओर से आयोजित ह्ययुवा शंखनाद रैलीह्ण को सम्बोधित कर रहे थे। इसमें 30 हजार से अधिक युवा उपस्थित थे। इस अवसर पर अभिनेता विवेक ओबराय, सुपर-30 के जनक एवं गणितज्ञ आनंद कुमार के साथ ही नागपुर के महापौर प्रो़ अनिल सोले, सार्द्धशती समारोह समिति, विदर्भ के अध्यक्ष श्री विलास काले, श्री समीर बेंद्रे, सोमदत्त करंजेकर समेत नगर के खेल, पर्यावरण और अध्यात्म जगत के गणमान्य युवा प्रतिनिधि उपस्थित थे। कार्यक्रम के प्रारंभ में अतिथियों ने स्वामी विवेकानन्द की प्रतिमा पर पुष्पार्पण किया।
डॉ. भागवत ने आगे कहा कि बिना मेहनत, बिना परिश्रम के किसी भी लक्ष्य को नहीं प्राप्त किया जा सकता। महान उद्यम और कड़ी तपस्या से ही ध्येय की सिद्घि होती है। इसलिए युवा भारत को कठोर तपस्या, कठिन परिश्रम का व्रत लेना होगा। फौलादी स्नायु, मजबूत आत्मबल और गंगा की तरह निर्मल मन बनाकर ही सूर्य जैसी प्रखर तेजस्विता को धारण किया जा सकता है। इसी से विवेक शक्ति विकसित होती है और जो व्यक्ति पूर्ण प्रामाणिकता से कार्य करता है उसी के शब्दों पर समाज विश्वास करता है। डॉ़ भागवत ने कहा कि स्वामी विवेकानन्द के विचारों को हमारी पुरानी पीढ़ी ने अपने चरित्र में ढाला था और तब जाकर देश को स्वतंत्रता मिली। उनकी प्रेरणा से ही समाज में सुधार आया। उन्होंने बताया कि आद्य सरसंघचालक डॉ़ हेडगेवार कलकत्ता में मेडिकल पढ़ाई के दौरान रामकृष्ण मठ जाया करते थे। मठ के अनेक सेवा कायोंर् में वे सक्रिय भूमिका निभाते थे। डॉ़ भागवत ने बताया कि संघ के द्वितीय सरसंघचालक श्रीगुरुजी गोलवलकर ने स्वामी अखंडानन्द (स्वामी विवेकानन्द के गुरुभाई) से दीक्षा ली थी। इस प्रकार संघ के मूल में ही स्वामी विवेकानन्द के विचार निहित हैं।
सरसंघचालक ने युवाओं को सचेत करते हुए कहा कि आज हमारे समाज में पश्चिमी जगत के अन्धानुकरण का फैशन चल रहा है। लोग अपनी भाषा, संस्कृति, धर्म और सभ्यता को अभिव्यक्त करने के लिए शरमाते हैं। पर हमारा देश महान है, हमारी संस्कृति महान है, इसलिए हमें इस पर गौरव होना चाहिए। अपना देश, अपनी संस्कृति, अपना धर्म और अपने लोग के साथ हमें आगे बढ़ना है।
युवा शंखनाद कार्यक्रम में आए सुपर-30 के जनक और गणितज्ञ आनंद कुमार ने कहा कि स्वामी विवेकानन्द के विचारों पर आधारित 1 रुपये की किताब ने उनके जीवन को सही दिशा दी। जब वे शिक्षा जगत में छाए उदासीनता को अनुभव कर रहे थे, तब स्वामी विवेकानन्द के विचारों ने उन्हें आत्मबल प्रदान किया। इतना ही नहीं गरीब छात्रों को शिक्षित कर उन्हें स्वावलंबी बनाने की प्रेरणा भी उन्हें स्वामीजी के विचारों से मिली। आनंद कुमार ने उपस्थित युवाओं को स्वामी विवेकानन्द की पुस्तकों को पढ़ने का आह्वान किया।
वहीं अभिनेता विवेक ओबराय ने भी बताया कि उनके पिताजी अभिनेता सुरेश ओबराय भी बचपन में उन्हें स्वामी जी के संदेशों को रोज पढ़कर सुनाया करते थे। उन्होंने कहा कि स्वामी जी का वह सन्देश, जिसमें कहा गया था-ह्यवही जीवित हैं जो दूसरों के लिए जीते हैं, शेष तो मृतप्राय जीव हैंह्ण, ने उनके जीवन को सेवाकायोंर् के लिए प्रेरित किया। कार्यक्रम के प्रारंभ में सांस्कृतिक कार्यक्रम के अंतर्गत देशभक्ति गीत, लघु नाटिका, तलवारबाजी, शंखनाद और ढोल वादन ने सम्मलेन में उल्लासपूर्ण वातावरण बना दिया।
्रगत 13 जनवरी को दिल्ली सेवा भारती के तत्वावधान में पहाड़गंज में ह्यसेवित जन मिलनह्ण समारोह आयोजित हुआ। इस समारोह के मुख्य अतिथि थे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह श्री भैयाजी जोशी। समारोह को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा कि हम श्रेष्ठ पूर्वजों की सन्तान हैं। हम दुर्बल नहीं हैं। हमें अपने अन्दर की महानता को जागृत करना है और समाज की छोटी-छोटी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए तन-मन-धन से आगे आना है। समाज में जिन लोगों को शिक्षा नहीं मिली है,उन्हें शिक्षा देना,जिन्हें संस्कार नहीं मिला है,उन्हें संस्कारित करना और जो स्वावलम्बी नहीं बने हैं,उन्हें स्वावलम्बी बनाना हमारी प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि सेवा का दायित्व बड़ा दायित्व है। किसी की सेवा करते समय मन में यह भाव नहीं रहना चाहिए कि हम सेवा कर रहे हैं,बल्कि यह हमारा कर्तव्य है का भाव रहना चाहिए। समारोह में दिल्ली सेवा भारती के विभिन्न प्रकल्पों में शिक्षित और संस्कारित युवाओं ने अपने-अपने अनुभव सुनाए।
इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सेवा प्रमुख श्री सुहास राव, राष्ट्रीय सेवा भारती के अध्यक्ष श्री सूर्य प्रकाश टोंक,दिल्ली सेवा भारती के अध्यक्ष श्री तरुण गुप्ता सहित अनेक कार्यकर्ता उपस्थित थे।
टिप्पणियाँ