देश को है दिल्ली विश्वविद्यालय से कुछ शिकायतें
July 12, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

देश को है दिल्ली विश्वविद्यालय से कुछ शिकायतें

by
Sep 7, 2013, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 07 Sep 2013 15:46:53

बहरहाल हम यहां दिल्ली विश्वविद्यालय की बात कर रहे हैं। इस विश्वविद्यालय में कन्याकुमारी से लेकर कश्मीर तक के हजारों छात्र आकर पढ़ाई करते हैं। पूर्वोत्तर राज्यों से आकर पढ़ाई करने वाले छात्रों की भी यहां खासी संख्या होती है।
हर बरस यहां दाखिले के लिए मारामारी होती है, जिसमें नजर आता है दिल्ली विश्वविद्यालय का भेदभाव
दिल्ली विश्वविद्यालय में आते ही छात्रों को दाखिले के लिए सबसे पहले सामना करना पड़ता है ऊंची कटऑफ का। दिल्ली में सभी स्कूलों में सीबीएसई बोर्ड की पढ़ाई होती है। सीबीएसई बोर्ड में अंक भी बहुत अच्छे आते हैं। जबकि बिहार, उत्तर प्रदेश,उड़ीसा, बंगाल, कश्मीर समेत तमाम राज्यों के बोर्ड से पढ़ाई करने वाले छात्रों के अंक उतने अच्छे नहीं होते। इसका अर्थ यह कदापि नहीं कि दूसरे राज्यों के बोर्ड से पढ़ाई करके आने वाले छात्र होशियार नहीं होते। अंकों का प्रतिशत कम होना उनके बोर्ड की कार्यशैली का वैसा होना होता है। वहां पर अस्सी फीसदी अंक बेहद अच्छे माने जाते हैं। जबकि सीबीएसई बोर्ड में अंक देने की अपनी अलग कार्यशैली है। दाखिले के लिए ऊंची कटऑफ जारी होने के कारण दूसरे राज्यों से पढ़ाई करने आने वाले बहुत से होशियार छात्रों को यहां दाखिला नहीं मिल पाता है। बावजूद इसके  दिल्ली विश्वविद्यालय दाखिला देने की अपनी प्रणाली में कोई बदलाव नहीं करता है।
प्रमाण पत्रों की अलग से होती है जांच
बिहार और बंगाल से पढ़ाई करके दिल्ली विश्वविद्यालय में दाखिला लेने आने वाले छात्रों के प्रमाण पत्र की अलग से जांच कराई जाती है। ऐसा इसलिए किया जाता है कि कहीं छात्र की तरफ से प्रस्तुत किए गए प्रमाण पत्र फर्जी तो नहीं हैं। इसके चलते दाखिले में काफी समय लगता है और छात्र को मानसिक परेशानी से गुजरना पड़ता है। अनेकों बार ऐसा होता है कि छात्रों को किसी प्रमाण पत्र की कमी बताकर वापस भेज दिया जाता है। सैकड़ों किलोमीटर दूर से यहां दाखिला लेने आए छात्र को वापस जाना पड़ता है। इसके चलते कई बार छात्र दाखिला लेने से वंचित भी रह जाते हैं।
पूर्वोत्तर राज्यों से यहां पढ़ाई करने आने वाले छात्रों के साथ यहां विदेशियों सरीखा व्यवहार किया जाता है। विश्वविद्यालय परिसर में घूमने वाले असामाजिक तत्व उन पर फब्तियां कसते हैं। वहां की छात्राएं खुद को दिल्ली में सुरक्षित महसूस नहीं करतीं। आते जाते उन पर कोई भी फिकरे कस कर निकल जाता है। सरकार छात्रों को सुरक्षा मुहैया कराने का दावा तो करती है, लेकिन करती कुछ नहीं है। नतीजतन अपने ही देश की राजधानी में रहकर पढ़ाई करने वाले छात्र यहां डर-डर कर रहते हैं।
पुस्तकालयों में नहीं हैं हिंदी माध्यम की किताबें
दिल्ली विश्वविद्यालय के पुस्तकालयों में सबसे ज्यादा कमी हिंदी माध्यम की किताबों की होती है। स्नातक स्तर पर तो फिर भी हिंदी में किताबें मिल जाती हैं, लेकिन स्नातकोत्तर स्तर पर हिंदी माध्यम की किताबों का मिलना छात्रों के लिए ढेड़ी खीर होता है। इसके चलते छात्रों को बाहर से पढ़ाई के लिए नोट्स जुटाने पड़ते हैं या फिर महंगे दाम देकर किताबें खरीदनी पड़ती हैं। केन्द्रीय विश्वविद्यालय होने के चलते दिल्ली विवि को यूजीसी और केंद्र सरकार से काफी अनुदान मिलता है। बावजूद इसके यहां के पुस्तकालयों में हिंदी माध्यम की किताबों का हमेशा टोटा ही रहता है। यहां तक की विश्वविद्यालय में दाखिले के फार्म भी अंग्रेजी में होते हैं। जाहिर बात है कि उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे हिंदी भाषी राज्यों से आने वाले छात्र अंग्र्रेजी में खुद को उतना सहज महसूस नहीं करते। इसलिए उन्हें बेहद परेशानी  होती है। वहीं दिल्ली विश्वविद्यालय में सेंट स्टीफन जैसा एक प्रतिष्ठित कॉलेज भी है जो दिल्ली विश्वविद्यालय में होने के बाद भी दाखिले के केंद्रीकृत फार्म स्वीकार नहीं करता है। वह दाखिले के लिए अपनी अलग ही प्रक्रिया अपनाता है। इससे साफ जाहिर होता है कि शिक्षा के लिए समान व्यवस्था का दावा करने वाली सरकार सिर्फ खोखले दावे करती है। 
बाहर से आकर पढ़ाई करने वाले छात्रों को नहीं मिलते छात्रावास
दूसरे राज्यों से आकर दिल्ली विश्वविद्यालय में पढ़ाई करने वाले छात्रों के साथ सबसे बड़ी समस्या यहां आकर ठिकाना तलाशने की होती है। छात्रवृत्ति और शिक्षा ऋण लेकर यहां पढ़ाई करने आने वाले दूसरे राज्यों के छात्रों को विश्वविद्यालय में छात्रावास नहीं मिल पाते हैं। इसका कारण है कि छात्रों की संख्या को देखते हुए पर्याप्त छात्रावासों की व्यवस्था न होना। हर बार सरकारी दावे किए जाते हैं कि बाहर के राज्यों से आकर पढ़ाई करने वाले छात्रों के लिए छात्रावास बढ़ाए जाएंगे, लेकिन हर बार दावे सिर्फ दावे ही रह जाते हैं। उन्हें पूरा नहीं किया जाता है। नतीजतन खामियाजा छात्रों को भुगतना पड़ता है। उन्हें ज्यादा पैसा खर्च कर बाहर निजी छात्रावासों में रहना पड़ता है। यदि सरकार चाहे तो बाहर के राज्यों से आने वाले छात्रों के रहने व दिल्ली विश्वविद्यालय में दाखिला लेने के लिए अलग से नीतियां बना सकती है, लेकिन सरकार सिर्फ कोरे दावे करके ही रह जाती है।

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

मिशनरियों-नक्सलियों के बीच हमेशा रहा मौन तालमेल, लालच देकर कन्वर्जन 30 सालों से देख रहा हूं: पूर्व कांग्रेसी नेता

Maulana Chhangur

कोडवर्ड में चलता था मौलाना छांगुर का गंदा खेल: लड़कियां थीं ‘प्रोजेक्ट’, ‘काजल’ लगाओ, ‘दर्शन’ कराओ

Operation Kalanemi : हरिद्वार में भगवा भेष में घूम रहे मुस्लिम, क्या किसी बड़ी साजिश की है तैयारी..?

क्यों कांग्रेस के लिए प्राथमिकता में नहीं है कन्वर्जन मुद्दा? इंदिरा गांधी सरकार में मंत्री रहे अरविंद नेताम ने बताया

VIDEO: कन्वर्जन और लव-जिहाद का पर्दाफाश, प्यार की आड़ में कलमा क्यों?

क्या आप जानते हैं कि रामायण में एक और गीता छिपी है?

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

मिशनरियों-नक्सलियों के बीच हमेशा रहा मौन तालमेल, लालच देकर कन्वर्जन 30 सालों से देख रहा हूं: पूर्व कांग्रेसी नेता

Maulana Chhangur

कोडवर्ड में चलता था मौलाना छांगुर का गंदा खेल: लड़कियां थीं ‘प्रोजेक्ट’, ‘काजल’ लगाओ, ‘दर्शन’ कराओ

Operation Kalanemi : हरिद्वार में भगवा भेष में घूम रहे मुस्लिम, क्या किसी बड़ी साजिश की है तैयारी..?

क्यों कांग्रेस के लिए प्राथमिकता में नहीं है कन्वर्जन मुद्दा? इंदिरा गांधी सरकार में मंत्री रहे अरविंद नेताम ने बताया

VIDEO: कन्वर्जन और लव-जिहाद का पर्दाफाश, प्यार की आड़ में कलमा क्यों?

क्या आप जानते हैं कि रामायण में एक और गीता छिपी है?

विरोधजीवी संगठनों का भ्रमजाल

Terrorism

नेपाल के रास्ते भारत में दहशत की साजिश, लश्कर-ए-तैयबा का प्लान बेनकाब

देखिये VIDEO: धराशायी हुआ वामपंथ का झूठ, ASI ने खोजी सरस्वती नदी; मिली 4500 साल पुरानी सभ्यता

VIDEO: कांग्रेस के निशाने पर क्यों हैं दूरदर्शन के ये 2 पत्रकार, उनसे ही सुनिये सच

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies