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पश्चिम बंगाल के कूचबिहार जिले में एक जगह है हल्दीबाड़ी। यह इलाका बंगलादेश सीमा से सटा हुआ है इसलिए संवेदनशील है, इसलिए अवैध घुसपैठियों का आना-जाना रहता है, इसलिए सुरक्षा एजेंसियों की निगाह में इलाके का खास महत्व है। यहां पर एक मजार है- हुजूर साहब। साल में एक बार सवाब मेले के दिनों में यहां खूब भीड़ जुटती है और इसीलिए इस मजार पर प्रदेश की ममता सरकार जरूरत से ज्यादा मेहरबान दिखती है।
हुआ यह कि पिछली 23 अगस्त को ममता सरकार के एक मंत्री गौतम देव मजार पर कई प्रकल्पों का शिलान्यास करने आए थे जिसके लिए उनकी सरकार ने 4 करोड़ 12 लाख रुपए खजाने से निकालकर अलग रख छोड़े हैं। पूछने पर बताया गया कि इस पैसे से मजार के आसपास सड़कें बनेंगी, खूबसूरती लायी जाएगी, महिलाओं के ठहरने के लिए अलग से ठिकाना बनेगा, नहाने के घाट बनेंगे, हल्दीबाड़ी बाजार से मजार तक की सीधी तारकोल की सड़क बनेगी, चारदीवारी बनेगी, पानी की टंकी बनेगी। ऐसे आठ काम तड़ से गिना दिये गये जो उस मजार पर आने वालों और वहां रहने वाले मुसलमानों का 'भला' करेंगे।
यह तो अबकी बार की बातें हैं। पिछली बातें बतायें तो, यहां रहने वाले मुसलमानों की पुरानी मांग को मानते हुए तब खुद ममता बनर्जी ने ही 2 करोड़ रुपए मंजूर किये थे। अब दोनों को जोड़ लीजिए, कुल हो गए 6 करोड़ 12 लाख रुपए। ममता सरकार की दरियादिली पर मुस्लिम बाग-बाग हो गये, सवाब कमेटी के दो सचिवों, जलालुद्दीन और लतीकुर्रहमान ने स्थानीय विधायक अर्द्धराय प्रधान, रवीन्द्र नाथ घोष और उत्तर बंग विकास मंत्री गौतम देव की खुलकर तारीफ की। गौतम देव ने सीना चौड़ा करते हुए कहा, 'ममता सरकार हल्दीबाड़ी के लिए विकास के लिए प्रतिबद्ध है, जबकि पिछली वाम मोर्चा सरकार ने तो इस ओर देखा तक नहीं था।' मजार पर लगने वाले सालाना मेले सवाब पर पिछले साल 27 दिसम्बर को ममता बनर्जी खुद उद्घाटन करने पहुंची थीं और तब उन्होंने 'विकास' के लिए 2 करोड़ रुपए खड़े-खड़े दे दिये थे।
ऐसे में, मजार पर यूं बांछें खिलाने वाली और बजट से पैसे दिलाने वाली ममता सरकार के खजाने की हालत पर नजर डालना जरूरी होगा। आंकड़ा जुलाई का है। रिजर्व बैंक को 2.26 लाख करोड़ रुपए की देनदारी थी। फिर जुलाई और अगस्त महीने में सरकारी कर्मचारियों को पगार देने के लिए कर्जा लेना पड़ा, उसी में से पेंशन देनी पड़ी। तृणमूल सरकार बनने के बाद से सरकारी खर्चा बहुत बढ़ गया है, लिहाजा खजाना खस्ताहाल है। कई जिलों में तो खुद मुख्यमंत्री ने सांस्कृतिक कार्यक्रमों पर करोड़ों रुपए खर्च किये हैं। विपक्ष ने कई बार सवाल उठाये पर सरकार ने मुंह सिल लिया। चालू वित्त वर्ष में राज्य सरकार ने अब तक रिजर्व बैंक से 5 बार कर्जा लिया है- 14 अप्रैल को 1000 करोड़ रु., 2 मई को 1000 करोड़ रु., 18 जून को 2000 करोड़ रु. और 2 जुलाई को 1000 करोड़ रु.। पिछले वित्त वर्ष में, सूत्रों के अनुसार, राज्य पर 1.96 लाख करोड़ रु. की देनदारी थी। 2013 में वह बढ़कर 2.26 लाख करोड़ रु. हो गयी। 2014 तक इसके 2.47 लाख करोड़ रु. होने का अंदाजा है। लेकिन आर्थिक तंगहाली के बावजूद मजार और मुसलमानों के लिए ममता सरकार का दिल बहुत बड़ा रहता ही है। वैसे इमामों के भत्ते पर उच्च न्यायालय ने रोक लगाकर सरकार को मर्यादा में रहने का संकेत तो कर ही दिया है। बासुदेब पाल
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