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अमरीका मध्य पूर्व में इलाकाई नीतियों में फेरबदल करने की गरज से गड़बड़ फैला रहा है। सीरिया में आज जो कुछ भी चल रहा है वह अमरीका का षड्यंत्र है। अमरीका चाहता है कि सीरिया में तनाव पैदा किया जाए और फिर ह्यस्थितियां सुधारनेह्ण के नाम पर सहयोगी देशों के साथ मिलकर फौजी दखल दी जाए और सीरिया पर अपनी दादागिरी चलाई जाए। यह कहना था भारत में सीरिया के राजदूत डा़ रिआद कामेल अब्बास का। वे गत 7 सितम्बर को नई दिल्ली के इंडिया इंटरनेषनल सेन्टर में ह्यसीरिया संकटह्ण पर एक सेमिनार में अपने विचार रख रहे थे। डा़ अब्बास ने इन बातों को सिरे से नकार दिया कि सीरिया शासन ने अपने नागरिकों पर रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल किया है। हालांकि उन्होंने इस बात से इनकार नहीं किया कि सीरिया के पास रासायनिक हथियार हैं। लेकिन उनके अनुसार, ह्यवे निरोधक के रूप में हैं।ह्ण डा़ अब्बास ने कहा कि सीरिया नहीं चाहता कि रासायनिक हथियारों से लैस उससे दुर्भावना रखने वाले पड़ोसी देश उसे इन हथियारों से धमकाएं इसलिए निरोधक के तौर पर सीरिया ने ये हथियार रखे हैं। उन्होंने अमरीका को चुनौती दी कि वह साबित करे कि सीरिया ने अपने नागरिकों पर रासायनिक हथियार इस्तेमाल किये हैं। कट्टर वहाबी सोच वाले तत्वों से सीरिया के संघर्ष के बारे में उन्होंने कहा कि सीरियावासियों के खुलेपन वाले जनजीवन से वहाबी सुन्नी चिढ़ते हैं और उन्हें मुसलमान नहीं मानते जबकि, उनके अनुसार, वे अलवी मत को मानने वाले मुसलमान ही हैं। इतना ही नहीं, डा अब्बास की मानें तो सीरिया सीमापार जिहाद से जूझ रहा है, जिसके पीछे सऊदी अरब और कतर जैसे देशों का पैसा लगा है। सीरियाई राजदूत ने अपने देश में जातीय हिंसा के आरोपों को भी खारिज करते हुए कहा, वहां सब मजहबों को मानने वाले मिलजुलकर रहते हैं, कोई तनाव नहीं है। दमिश्क और अलेप्पो के सुन्नी भी अलवी मजहब के राष्ट्रपति बशर अल असद का समर्थन करते हैं। उन्होंने यहां तक कहा कि सीरिया में अल कायदा की ही एक शाखा जिहाद छेड़े हुए है, जिसको अमरीका परोक्ष रूप से समर्थन दे रहा है। उन्होंने सावधान किया कि अगर अमरीका सीरिया पर हमला बोलता है तो मध्य पूर्व में भारी उथल-पुथल मच जाएगी। सेमिनार में सीरियाई पत्रकार डा़ वाइल अव्वाद ने मध्य-पूर्व की भूराजनीति और अमरीकी दखल की विस्तृत जानकारी देते हुए कहा कि अमरीका इस इलाके में गड़बड़ी फैला कर अपने स्वार्थ साधना चाहता है। ऐसा उसने पहले कई देशों में किया है। इस मौके पर जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के प्रो़ ए. के़ महापात्र और सेमिनार की आयोजक आईपीएफ संस्था के मानद निदेशक प्रो़ राकेश सिन्हा ने भी सीरिया संकट पर अपने विचार रखे। प्रतिनिधि
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