भुवनेश्वर में भारतीय मजदूर
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संघ की राष्टय कार्यकारिणी की बैठक विनिवेश के खिलाफ देश भर में होगा आंदोलन
भारतीय मजदूर संघ की तीन दिवसीय अखिल भारतीय कार्यकारिणी की बैठक गत 23 से 25 अगस्त तक भुवनेश्वर के उत्कल विपन्न सहायता समिति कार्यालय में संपन्न हुई। सम्मेलन का उद्घाटन भारतीय मजदूर संघ के अध्यक्ष सी़ के़ साजीनारायणन ने किया। अवसर पर राष्टÑीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह श्री दत्तात्रेय होसबले, मजदूर संघ के महामंत्री श्री बैजनाथ राय भी उपस्थित थे ।
बैठक में केन्द्र सरकार की सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों के विनिवेश का विरोध किया गया । केन्द्र सरकार के इस फैसले के खिलाफ भारतीय मजदूर संघ ने एक प्रस्ताव पारित किया। प्रस्ताव में कहा गया है कि केन्द्र सरकार सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों के विनिवेश की प्रक्रिया को तत्काल बंद करे। सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों में हो रहे विनिवेश के खिलाफ भारतीय मजदूर संघ पूरे देश में आंदोलन करेगा। देश भर की समस्त इकाइयों को इस संबंध में व्यापक जनजागरण करने के लिए कहा गया है। इसी क्रम में आगामी अक्तूबर 21 से 28 के दौरान समस्त सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों के सामने रैली, धरना व प्रदर्शन आदि किये जाने का निर्णय किया गया है। भामस ने तय किया है कि 22 नवम्बर 2103 को देश के सभी ब्लॉक मुख्यालयों में प्रदर्शन करके भारत सरकार की तमाम योजनाओं के सही क्रियान्वयन की मांग की जाएगी। संगठन की ओर से प्रधानमंत्री को एक ज्ञापन भी सौंपा जाएगा।
भारतीय मजदूर संघ के राष्टÑीय अध्यक्ष सी़ के़ साजी नारायणन ने देश की आर्थिक स्थिति की समीक्षा करते हुए कहा कि वर्तमान चुनौतिपूर्ण स्थिति से निपटने में भारतीय मजदूर संघ की महत्वपूर्ण भूूमिका है। सरकार की गलत नीतियों के कारण देश में रोजगार घट रहे हैं तथा ऋण बढ़ता जा रहा है। उन्होंने कहा कि आज की स्थिति में वैश्विकरण नहीं बल्कि स्वदेशी का रास्ता अपनाना पड़ेगा। इस अवसर पर राष्टÑीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह श्री दत्तात्रेय होसबले ने कहा कि देश को वर्तमान स्थिति से उबारने के लिए लोगों में जनजागरण की आवश्यकता है। भारतीय मजदूर संघ एक जन संगठन है इस कारण इस जनजागरण में मजदूर संघ की व्यापक भूमिका होगी। उन्होंने ने कहा कि भारतीय मजदूर संघ देश के सबसे बड़े मजदूर संगठन के रूप में उभरा है। आगामी समय में भी मजदूर संघ पहले स्थान पर ही रहेगा।
इस अवसर पर महात्मा गांधी नरेगा योजना में संशोधन तथा वर्तमान आर्थिक परिदृश्य पर प्रस्ताव पारित किये गये। देश के आर्थिक परिदृश्य पर पारित प्रस्ताव में आर्थिक सुधार कार्यक्रम को बंद कर स्वदेशी अर्थशास्त्र अपनाने, ‘मैन्युफैक्चरिंग’ तथा कृषि क्षेत्र पर जोर देने, कार्पोरेट कंपनियों व अमीरों से बकाया कर वसूलने, भ्रष्टाचार को समाप्त करने तथा कालेधन को वापस लाने की मांग की गई है । समन्वय नंद
‘समस्यायों की चर्चा से नहीं, प्रयास करने से निकलेगा समाधान’
‘सूचना के इस युग में आज कहीं भी जानकारी का अभाव नहीं है, इसलिये समस्याओं के बारे में भी हमें पता ही है। आज समस्याओं की चर्चा का समय नहीं है, प्रयास करने से ही समाधान निकलेगा।’ यह कहना है राष्टÑीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह सम्पर्क प्रमुख श्री अरुण कुमार का। गत २४ अगस्त को नई दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में संघ के सम्पर्क विभाग की दिल्ली इकाई द्वारा सनदी लेखाकारों के लिये आयोजित गोष्ठी में बोलते हुये श्री अरुण कुमार ने कहा, ‘1950 से ’90 तक द्विध्रुवीय विश्व आज बहु ध्रुवीय हो गया है जिसमें से एक ध्रुव भारत भी है। अन्य ध्रुव साम्राज्यवाद के पोषक होने के कारण विश्व के अनेक देश उनसे न्याय की अपेक्षा नहीं करते। क्योंकि भारत का चिन्तन सभी की भलाई से जुड़ा हुआ है इसलिये लोगों की अपेक्षा भारत से ज्यादा है। लेकिन क्या भारत विश्व की अपेक्षा पूरी कर पायेगा, इस संदर्भ में उन्होंने कहा, हम निराशावादी जैसा व्यवहार करते हैं अर्थात हारी हुई मानसिकता दर्शाते हैं, लेकिन विश्व हमारी योग्यताओं को जानता है। विश्व जानता है कि 60 प्रतिशत व्यापार एशिया क्षेत्र में होता है और उसमें भी सबसे ज्यादा भारत में होता है। कृषि योग्य भूमि आज भी सबसे ज्यादा भारत में है और यह देश जैव विविधताओं से सम्पन्न है। इसके साथ ही सबसे ज्यादा मानव संसाधन भारत में है और अन्य देशों की तुलना में सबसे ज्यादा योग्य युवा भी भारत में हैं जिस समय विश्व की अर्थव्यवस्था डोल रही थी उस समय भी भारत की घरेलू अर्थव्यवस्था डगमगाई नहीं थी।
लेकिन विश्व की आकांक्षाओं पर भारत कैसे खरा उतरेगा, इस विषय में उन्होंने कहा, ‘हमें अपने राजनीतिक, सामाजिक व राष्टÑीय संस्थानों को व्यवस्थित करना होगा। आशा की किरण समाप्त नहीं हुई है, समाज प्रतिक्रिया दे रहा है। अण्णा के आन्दोलन में समाज की सहभागिता, बाबा रामदेव के आन्दोलन में समाज का जुड़ना, श्री श्री रविशंकर के साथ जैसे संतों के साथ समाज जुड़ा है, इससे आशा की किरण नजर आती है। इसलिये हमें निराशा का भाव छोड़कर समाज को साथ लेते हुये आगे बढ़ना चाहिये और संघ इसी कार्य में लगा हुआ है। कार्यक्रम के अध्यक्ष मेवाड़ विश्वविद्यालय के संस्थापक श्री अशोक गाडिया ने कहा, ‘हमें अब सोचने नहीं कुछ न कुछ करने की ओर बढ़ना चाहिये’। संघ के प्रांत संघचालक श्री कुलभूषण आहूजा ने अंत में सभी का धन्यवाद दिया।
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