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0 एक व्यापारी ने हंस पर बैठी सरस्वती का चित्र एक चित्रकार से बनवाया। चित्र पूरा हो गया तो व्यापारी बोला- ह्यइसके पंख जरा नीचे हो गये हैं। इनको थोड़ा ऊपर कर दो।ह्ण चित्रकार ने पंख थोड़े ऊपर कर दिये। अगले दिन वह व्यापारी पुन: आया। चित्र देखा और बोला- ह्यपंख ज्यादा ऊपर हो गये हैं, थोड़ा सा नीचे कर दीजिये।ह्ण
जी ठीक है। चित्रकार बोला।
व्यापारी अगले दिन फिर आया और बोला-हां जी… ठीक हो गया।
चित्रकार बोला- ह्यसेठ जी, मैंने जब पंख ऊपर-नीचे किये तो हंस फड़फड़ाकर सरस्वती समेत उड़ गया। अब तो चित्र ही यहां नहीं है, दूसरा बनवाना हो तो पहले पैसे देकर जाइये।ह्ण
0 एक यात्री ने गुस्से में रेलवे स्टेशन पर स्टेशन मास्टर से शिकायत की कि ह्यचालीस मिनट हो गये हैं। गाड़ी अब तक नहीं पहुंची है।ह्ण
स्टेशन मास्टर ने कहा कि ह्यघबराइये नहीं, यह टिकट चालीस घण्टे तक चल सकता है।ह्ण
0 एक नवविवाहित व्यक्ति ने स्टूडियो पहुंचकर बोला, ह्यहम एक यादगार फोटो खिंचवाना चाहते हैं।ह्ण
फोटोग्राफर बोला, ह्यआप मुस्कराते हुए फोटो खिंचवाइये, जिन्दगी भर याद करेंगे कि कभी मुस्कराया भी करते थे।ह्ण
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