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आवरण कथा ‘दागियों के लिए दरवाजे बन्द’ अच्छी लगी। सर्वोच्च न्यायालय ने दागी नेताओं को विधानसभा और संसद से बाहर रखने के लिए बहुत ही अच्छा निर्णय दिया था, किन्तु नेताओं को यह पसन्द नहीं आया। अब सर्वोच्च न्यायालय के इस फैसले को पलटने की तैयारी चल रही है। ऐसा हो भी जाएगा, क्योंकि इस मुद्दे पर सभी राजनीतिक दलों के नेता सहमत हैं। अपने गलत साथियों के लिए भी इन नेताओं ने जो एकजुटता दिखाई है वह आश्चर्य करने वाली है।
-विकास कुमार
शिवाजी नगर,वडा
जिला-थाणे (महाराष्टÑ)
अपने दागी मित्रों को बचाने में सभी दल एक हो गए। काश, ये नेता इस तरह की एकजुटता देश हित से जुड़े किसी मुद्दे पर दिखाते तो क्या मजाल थी कि पाकिस्तान या बंगलादेश हमारी ओर आँख उठाकर देखने की हिम्मत करते। लगता है कि इन नेताओं को देश हित से ज्यादा अपना हित प्यारा लगता है।
-श्याम सुन्दर मण्डल
आसनसोल (प़ बंगाल)
हमारे देश का कानून ऐसा है कि जिस भी राजनीतिक पार्टी की सरकार बनती है वह अपने बदनाम नेता को भी मिनटों में ‘माननीय’ बना देती है। कई ऐसे नेता हैं जो विरोधी दल की सरकार के समय जेल में बन्द रहते हैं और अपनी पार्टी की सरकार बनते ही मंत्री बन जाते हैं। यह कानून में खामी नहीं तो क्या है? उत्तर प्रदेश में राजा भैया एक ऐसे ही नेता हैं। जब बसपा की सरकार थी तो वे जेल में बन्द रहे और सपा की सरकार बनते ही वे ‘माननीय’ बन गए।
-वीरेन्द्र सिंह जरयाल
28-ए, शिवपुरी विस्तार
कृष्ण नगर, दिल्ली-110057
सर्वोच्च न्यायालय के फैसले से राजनीति पर पड़ी मैली चादर हट सकती थी पर अफसोस है कि उस फैसले को नेता स्वीकार नहीं कर रहे हैं। सवाल है कि ये नेता मैली चादर को ओढ़ कर क्यों रहना चाहते हैं? लोग बिल्कुल सही कह रहे हैं कि ये नेता दिखाते कुछ हैं और करते कुछ और हैं। इन्हें लगा कि यदि सर्वोच्च न्यायालय का यह निर्णय लागू हो गया तो उनकी पोल-पट्टी खुल जाएगी इसलिए उन्होंने इसका विरोध किया।
-हरिहर सिंह चौहान
जंवरीबाग, नसिया
इन्दौर-452001(म.प्र.)
जन प्रतिनिधित्व कानून की धारा 8 (4) की आड़ में जेल की हवा खाने वाले नेता भी चुनाव जीत कर लोकसभा या विधानसभा पहुँच जाते हैं। इसलिए सर्वोच्च न्यायालय ने इस धारा को असंवैधानिक घोषित किया था। न्यायालय का यह निर्णय हमारे लोकतंत्र के प्रति सम्मान ही बढ़ाता लेकिन नेताओं को यह रास नहीं आया। नेता अपने को किसी कानून के दायरे में लाना ही नहीं चाहते हैं। सबसे बड़ा संकट यही है।
-हरिओम जोशी
चतुर्वेदी नगर, भिण्ड(म प्र)
भारतीय उलेमा भी ऐसा करें
दृष्टिपात में यह बताया गया है कि पाकिस्तानी सुन्नी उलेमाओं ने तालिबान को इस्लाम से बाहर कर दिया है। यह बहुत ही अच्छी खबर है। भारतीय उलेमा भी इस तरह के निर्णय दें। जो लोग इस्लाम के नाम पर दशहत फैलाते हैं उनकी खबर इस्लाम के बड़े मजहबी नेता खुद लें तो आतंकवाद खत्म हो सकता है। अभी होता यह रहा है कि कोई भी मुस्लिम संगठन किसी भी आतंकी घटना की निन्दा खुल कर नहीं करता है। इसका फायदा आतंकवादियों को मिलता है।
-सुहासिनी प्रमोद वालसंगकर
द्वाराकपुरम, दिलसुख नगर
हैदराबाद (आं.प्र.)
गया के गुनाहगार कहाँ हैं?
शान्ति, अहिंसा और करुणा की ज्ञानस्थली बोधगया को आतंकवादियों ने अपना निशाना बना कर साबित किया कि उनकी मंशा क्या है। भला उन बौद्घों ने आतंकवादियों का क्या बिगाड़ा है,जिन्होंने सदैव शान्ति का सन्देश पूरी दुनिया को दिया है। बिहार सरकार ने सेकुलर बनने के चक्कर में इस घटना को बहुत ही हल्के से लिया है। इसलिए अब तक गया के गुनाहगार पकड़े नहीं गए हैं।
-उदय कमल मिश्र
सीधी-486661(म.प्र.)
महाबोधि मन्दिर पर आतंकी हमले की योजना तो आतंकी मकबूल ने जर्मन बेकारी बम विस्फोट की जांच के दौरान ही बता दी थी। इसके बाद खुफिया एजेंसी आई बी ने भी इसकी जानकारी दी थी। फिर भी यह हमला हुआ। राज्य सरकार और केन्द्र सरकार को राजनीति,घोटालों और भ्रष्टाचार से फुर्सत मिले तब तो और कुछ सोच सकती है। केन्द्र सरकार तो पिछले नौ साल से इशरत जहाँ मामले को घसीट रही है,क्योंकि इसके बहाने नरेन्द्र मोदी को लपेटा जा सकता है। यही नीति आतंकवाद को बढ़ा रही है।
-अरुण मित्र
324, रामनगर, दिल्ली-110051
जो नेता बिना आधार कथित ‘भगवा’ आतंकवाद की बात करते हैं उन्हें वे मजहबी कट्टरवादी क्यों नहीं दिखते हैं जो जगह-जगह बम विस्फोट करके निर्दोषों की जान ले रहे हैं? इन सेकुलर नेताओं की वजह से ही आतंकवादियों के हौंसले बुलंद हैं। आज जरूरत है पूरा देश एकजुट होकर आतंकवाद का विरोध करे और जो लोग आतंकवादियों के पक्ष में दलील दे रहे हैं उन्हें बेनकाब करे। इस देश को आतंकवादियों से जितना खतरा है उससे ज्यादा खतरा उनके आकाओं से है।
-मनोहर मंजुल
पिपल्या-बुजुर्ग, जिला-पश्चिम निमाड़-451225(म.प्र.)
गया में बम विस्फोट करने वाले और बामियान में बुद्घ की मूर्तियों को तोप से उड़ाने वाले एक ही विचारधारा से प्रेरित हैं। शायद इन लोगों ने उस हश्र को भुला दिया है जिसमें अमरीका ने अफगानिस्तान पर अनगिनत बम गिराए थे। लादेन को भी मार गिराया गया। अमरीकी चोट से अभी भी अफगानी उबरे नहीं हैं। न जाने कितने निर्दोष लोग मारे जा चुके हैं,फिर भी इन लोगों को अक्ल नहीं आ रही है। निर्दोषों का खून बहाना ही इन्हें जिहाद लगता है।
-संजीव विनौदिया
गढ़ी कैन्ट,देहरादून (उत्तराखण्ड)
राहत में राजनीति
उत्तराखण्ड में आपदा पीड़ितों को दी जाने राहत सामग्री के पैकेटों पर राहुल गाँधी के मुस्कुराते हुए चित्र लगाना बहुत ही आपत्तिजनक है। राहत में भी राजनीति करना नीच काम है। पर इस काम को कांग्रेसियों ने किया। शायद उन्हें यह नहीं पता कि लोग सब कुछ जानते हैं। जहाँ संवेदनशीलता की जरूरत है वहाँ ऐसी असंवेदनशीलता कांग्रेस ही दिखा सकती है।
-बी एल सचदेवा
263, आई एन ए मार्केट , नई दिल्ली-110023
अलगाव की बू
जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की छोटी सोच के बारे में पढ़ा। हकीकत तो यह है कि अब्दुल्ला खानदान में किसी की भी सोच बड़ी नहीं है। ये लोग हमेशा ऐसी बातें करते हैं जिससे अलगाव की बू आती है। धारा 370 को लेकर अनर्गल बातें करना भी अलगाव का ही परिचायक है। लोगों को उकसाना ही इनके लिए राजनीति है।
-ठाकुर सूर्य प्रताप सिंह सोनगरा
काण्डरवासा, जिला-रतलाम (म.प्र.)
अंक सन्दर्भ-28 जुलाई, 2013
विदेशी पैसे से कब तक गाड़ी चलेगी?
आवरण कथा ‘एफ डी आई-सैम खुश हुआ’ अच्छी लगी। अमरीकी हितों के लिए अपनी अर्थव्यवस्था को दांव पर लगाना संप्रग सरकार का राष्टÑघाती कदम है। रक्षा, दूरसंचार जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में विदेशी कम्पनियों का प्रवेश किसी भी तरह से ठीक नहीं है। आश्चर्य होता है कि सम्बंधित मंत्रालयों की राय के उलट इन क्षेत्रों के द्वार विदेशियों के लिए खोले गए हैं। क्या विदेशी निवेश इन्हीं क्षेत्रों में जरूरी है? क्या विदेशी निवेश पर ही भारत की अर्थव्यवस्था टिकी है? फिर इतनी हाय-तौबा क्यों? जरूरत है भारत के हितों की रक्षा करना। यदि ऐसा होगा तो भारतीयों में इतना दम है कि वे खुद देश की आर्थिक स्थिति को ठीक रख सकते हैं।
-गोपाल
विवेकानन्द मिशन,गाँधीग्राम जिला -गोड्डा (झारखण्ड)
पिछले साल खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी पूँजी निवेश की अनुमति दी गई थी। खुदरा क्षेत्र में विदेशी कम्पनियों ने पैसा नहीं लगाया। सरकार ने जो सोचा था वह नहीं हुआ। इस पर सरकार को विचार करना चाहिए था। ऐसा न करके अब सरकार ने संवेदनशील क्षेत्रों में विदेशियों को आमंत्रित करके ठीक नहीं किया है। रुपया टूटने से कैसे बचे इस पर जोर लगाना चाहिए। किसी बड़े देश की घुड़की से हमें नहीं डरना चाहिए। हमारे हित में जो है वही हमें करना होगा। कोई विदेशी धन हमारे लिए कब तक काम आएगा?
-राममोहन चन्द्रवंशी
अभिलषा निवास, विट्ठल नगर टिमरनी, जिला-हरदा (म.प्र.)
सरकार कह रही है कि एफ डी आई से देश में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और लोग खुशहाल होंगे। इस राय से मैं सहमत नहीं हूँ। जो विदेशी कम्पनियां दूसरे देशों में निवेश करती हैं उनका अपने ही देश में क्या हाल है,यह देखने वाली बात है। इस तरह की अधिकतर कम्पनियां यूरोप या अमरीका की हैं। यदि ये कम्पनियां इतना ही रोजगार देती हैं तो उन्हीं के देशों में बेरोजगारी क्यों बढ़ रही है? सही तो यह है कि इन कम्पनियों की हालत खराब है। ये कम्पनियां खुद अपने कर्मचारियों की छंटनी करती रहती हैं,फिर भी हमारी सरकार इन कम्पनियों की ही पैरवी कर रही है।
-विकास कुमार
शिवाजी नगर,वडा जिला-थाणे(महाराष्टÑ)
सीमा पर आतंक
सीमा पर आतंक है, दिल्ली में है शांति
सत्ता दल फैला रहा, तरह-तरह से भ्रांति।
तरह-तरह से भ्रांति, नहीं बांहों में ताकत
लीपापोती करना ही है जिनकी आदत।
कह ‘प्रशांत’ ऐसे नाकारा लोग जहां हैं
हर दि होता भारत का अपमान वहां है
-प्रशांत
2013
भाद्रपद कृष्ण 5 रवि 25अगस्त, 2013
,, 6 सोम 26 ,,
,, 7 मंगल 27 ,,
,, 8 बुध 28 ,,
(श्रीकृष्ण जन्माष्टमी)
,, 9 गुरु 29 ,,
,, 9 शुक्र 30 ,,
(तिथि वृद्धि)
,, 10 शनि 31 ,,
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