बाल-भोजन में भ्रष्टाचार का जहर
July 14, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

बाल-भोजन में भ्रष्टाचार का जहर

by
Jul 20, 2013, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 20 Jul 2013 12:40:24

 

जिस समय देश के राष्ट्रपति भवन से लेकर विधायकों और सांसदों तक के लिए लजीज व्यंजन तैयार हो रहे थे, ठीक उसी समय बिहार के छपरा जिले के एक स्कूल में दोपहर का भोजन अर्थात सरकारी भाषा में मिड-डे-मील दो दर्जन से ज्यादा बच्चों के लिए जहर बन गया। 23 बच्चे मौत के मुंह में समा गए और नेताओं का मुंह तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं देने के लिए खुल गया। विभिन्न नेताओं की रंग बिरंगी प्रतिक्रियाएं सुनते हुए ऐसा लगा ही नहीं कि इस बाल संहार से उनका हृदय उद्वेलित हुआ है।

छपरा घटना के एक दिन बाद ही दूसरे जिले, मधुबनी में भी विषाक्त भोजन से दो दर्जन से ज्यादा बच्चे बीमार हुए। गंभीर स्थिति में ये बच्चे उपचाराधीन हैं और समाचार यह भी है कि इनमें से भी दो बच्चों की मृत्यु हो गई है, शेष की हालत गंभीर है।

यह ठीक है कि स्कूल में भोजन खाने के बाद इतनी बड़ी संख्या में बच्चे पहली बार मारे गए, पर सच यह भी है कि देश के अनेक भागों में यदा-कदा बच्चों के भोजन में से कीड़े, मक्खियां आदि निकलने के समाचार मिलते रहे हैं। 

सवाल यह है कि जो भोजन बच्चों को दिया जाता है, क्या कभी किसी नेता ने उस भोजन को चखा है? यह देखा है कि वह भोजन खाने योग्य है या नहीं? कभी उन सब्जियों को हाथ लगाकर भी देखा है कि मनुष्य तो क्या, वे पशु के खाने के योग्य नहीं हैं? यह सच है कि वे उद्घाटन समारोहों में फूल-मालाएं गले में लटकाने के लिए अवश्य जाते हैं और भाषण देकर आ जाते हैं।

मेरा मानना है कि पूरे देश में बच्चे यह भोजन खा रहे हैं। जहां अच्छा भोजन मिलता है वहां बच्चे कुपोषण से मुक्त भी हो गए हैं। यह भी नहीं है कि सभी जगह उतनी लापरवाही से खाना बनाया जाता है, जैसी लापरवाही या साजिश छपरा में देखी गई। यह भी सच है कि जितना ध्यान बच्चों के भोजन पर देना चाहिए, उतना नहीं दिया जाता और फिर भ्रष्टाचार, कमिशन खोरी और अपना घर भरने की घटिया ललक, जो इस देश के प्रशासन और शासन में पाई जाती है, के कारण भी बच्चे ऐसा भोजन खाने को विवश हैं जो खाने योग्य नहीं होता।

भारतवर्ष में एक अनुमान के अनुसार, बारह करोड़ बच्चे स्कूलों में प्रतिदिन भोजन करते हैं। विश्व में कहीं भी ऐसी महत्वाकांक्षी योजना नहीं जिसके अंतर्गत इतनी बड़ी संख्या में एक ही समय बच्चों को भोजन दिया जाता हो। पर उतना ही कटु सत्य यह भी है कि बच्चों के भोजन पर जिस तरह दूसरे देशों में ध्यान दिया जाता है, अपने यहां नहीं दिया जाता। एक निश्चित जानकारी के अनुसार अमरीका में अगर कहीं भी बच्चों के साथ कोई दुर्घटना हो जाती है तो वहां के राष्ट्रपति स्वयं दुर्घटनास्थल पर पहुंचते हैं, बच्चों की चिंता करते हैं। पर अपने देश में इतने बच्चों के काल का ग्रास बनने के बाद भी देश के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति एक शब्द भी नहीं बोले और संभवत: जनता के गुस्से के डर से मुख्यमंत्री भी छपरा से दूर रहे। यह अलग बात है कि विरोधी पार्टियों ने प्रदर्शन भी किए, सरकारी संपत्ति भी तोड़ी और सरकार हटाने की मांग कर डाली।

इस महत्वाकांक्षी 'मिड डे मील' योजना के आयोजकों ने स्कूलों में भोजन पकाने और खिलाने का आदेश तो दे दिया, पर इसके लिए जिस मूलभूत ढांचे और मानव शक्ति की आवश्यकता थी, वह नहीं दी। जब अध्यापकों को ही यह काम सौंप दिया कि खाना तैयार करवाओ, निरीक्षण करो और बच्चों को भोजन परोस दो, तो उसके जो कुपरिणाम होने थे, वे सामने आ रहे हैं। कई दिनों तक टीवी चैनलों पर बिलखते माता-पिता और साथ ही छोटी सी परातनुमा थाली में परोसी जा रही वह खिचड़ी दिखाई जाती रही, जो अगर विधायकों, सांसदों और इस देश के उन नेताओं को खानी पड़े जो प्रधानमंत्री द्वारा आयोजित भोज में आठ हजार रुपये का खाना एक थाली में खाते हैं तो वे निश्चित ही इसे देखकर मौके से खिसक जाएं। ध्यान देने योग्य यह है कि अपने देश में बच्चों के स्वास्थ्य और भविष्य के प्रति सरकारें और राजनेता बिल्कुल गंभीर        नहीं हैं।  

देश के सैकड़ों बच्चे रोज लापता हो रहे हैं, लाखों सड़कों पर भिक्षा मांगते हुए उन लोगों का शिकार हो जाते हैं जो देह व्यापार और मानव अंगों की तस्करी के लिए इन बच्चों का दुरुपयोग करते हैं। एक बड़ी संख्या में ऐसे बच्चे भी हैं जो सामाजिक सुरक्षा एवं बाल विकास विभाग की जेलों में सुधार गृह के नाम पर बंद किए गए हैं। पिछले दिनों गुड़गांव में जो बच्चे हुक्का पीते, शराब पीते नाचते हुए पकड़े गए उन्हें तो कानून वालों ने उनके माता-पिता को वापस सौंप दिया, पर जो छोटे-छोटे बच्चे कोई साधारण अपराध करते भी पकड़े जाते हैं तो उनको पुलिस पीटती है और फिर वे बाल जेल में यातनाएं सहने के लिए पहुंचा दिए जाते हैं। कारण स्पष्ट है कि गुड़गांव में पकड़े गए बच्चे शिक्षित एवं समर्थ परिवारों के थे और बाल जेलों में बंद बच्चे अमूमन लावारिस और बेसहारा व अति गरीब परिवारों के होते हैं।

इस देश का बाल कल्याण विभाग कहां सोया हुआ है, आज तक हम जान नहीं सके, न उसे देख सके हैं। जिस देश में बच्चों के भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए बनाए गए आयोग भी राजनीति का शिकार होते हैं और अधिकतर ऐसे व्यक्तियों को उनका अध्यक्ष बना दिया जाता है जो केवल लाल बत्ती वाली गाड़ी में घूमने और अपना राजनीतिक दबदबा बनाए रखने के लिए 'चेयरमैन' बनते हैं, उस देश में ऐसी स्थिति देखकर आश्चर्य नहीं होता।

सवाल अब यह है कि छपरा में 'मिड-डे-मील' से दो दर्जन से भी ज्यादा बच्चों की मृत्यु होने के बाद क्या देश की सरकार जागेगी? क्या मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अधिकारी बच्चों को भोजन देने के लिए वैसी ही सुरक्षित व्यवस्था करेंगे जैसी घर में अपने बच्चों के लिए करते हैं? क्या सरकार यह विश्वास दिला पाएगी कि इसके बाद कम से कम बाल भोजन को रिश्वतखोरों और बेइमानों के चंगुल से मुक्त कर लिया जाएगा और कोई ऐसी व्यवस्था हम ढूंढ लेंगे, जिससे बच्चों अर्थात देश के भविष्य के साथ कोई खिलवाड़ न हो, गरीब मां स्कूल में रोटी के लिए बच्चा भेजकर उसकी लाश उठाने को मजबूर न हो? लक्ष्मीकांता चावला

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

नूंह में शोभायात्रा पर किया गया था पथराव (फाइल फोटो)

नूंह: ब्रज मंडल यात्रा से पहले इंटरनेट और एसएमएस सेवाएं बंद, 24 घंटे के लिए लगी पाबंदी

गजवा-ए-हिंद की सोच भर है ‘छांगुर’! : जलालुद्दीन से अनवर तक भरे पड़े हैं कन्वर्जन एजेंट

18 खातों में 68 करोड़ : छांगुर के खातों में भर-भर कर पैसा, ED को मिले बाहरी फंडिंग के सुराग

बालासोर कॉलेज की छात्रा ने यौन उत्पीड़न से तंग आकर खुद को लगाई आग: राष्ट्रीय महिला आयोग ने लिया संज्ञान

इंटरनेट के बिना PF बैलेंस कैसे देखें

EPF नियमों में बड़ा बदलाव: घर खरीदना, इलाज या शादी अब PF से पैसा निकालना हुआ आसान

Indian army drone strike in myanmar

म्यांमार में ULFA-I और NSCN-K के ठिकानों पर भारतीय सेना का बड़ा ड्रोन ऑपरेशन

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

नूंह में शोभायात्रा पर किया गया था पथराव (फाइल फोटो)

नूंह: ब्रज मंडल यात्रा से पहले इंटरनेट और एसएमएस सेवाएं बंद, 24 घंटे के लिए लगी पाबंदी

गजवा-ए-हिंद की सोच भर है ‘छांगुर’! : जलालुद्दीन से अनवर तक भरे पड़े हैं कन्वर्जन एजेंट

18 खातों में 68 करोड़ : छांगुर के खातों में भर-भर कर पैसा, ED को मिले बाहरी फंडिंग के सुराग

बालासोर कॉलेज की छात्रा ने यौन उत्पीड़न से तंग आकर खुद को लगाई आग: राष्ट्रीय महिला आयोग ने लिया संज्ञान

इंटरनेट के बिना PF बैलेंस कैसे देखें

EPF नियमों में बड़ा बदलाव: घर खरीदना, इलाज या शादी अब PF से पैसा निकालना हुआ आसान

Indian army drone strike in myanmar

म्यांमार में ULFA-I और NSCN-K के ठिकानों पर भारतीय सेना का बड़ा ड्रोन ऑपरेशन

PM Kisan Yojana

PM Kisan Yojana: इस दिन आपके खाते में आएगी 20वीं किस्त

FBI Anti Khalistan operation

कैलिफोर्निया में खालिस्तानी नेटवर्क पर FBI की कार्रवाई, NIA का वांछित आतंकी पकड़ा गया

Bihar Voter Verification EC Voter list

Bihar Voter Verification: EC का खुलासा, वोटर लिस्ट में बांग्लादेश, म्यांमार और नेपाल के घुसपैठिए

प्रसार भारती और HAI के बीच समझौता, अब DD Sports और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर दिखेगा हैंडबॉल

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies