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Jul 13, 2013, 12:00 am IST
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पाकिस्तानी सुन्नी उलेमाओं का फतवा

दिंनाक: 13 Jul 2013 12:35:03

इस्लाम से बाहर तालिबान!

सुनने में खबर अटपटी लगती है, क्यों कि उस पाकिस्तान से आई है जहां कट्टरवादी तत्वों के ज्यादातर बयान मुलम्मा चढ़े होते हैं। खबर यह है कि पिछले दिनों वहां के तकरीबन पचास सुन्नी उलेमाओं ने मिलकर एक फतवा जारी किया है जिसके तहत आतंकी संगठन तहरीके तालिबान, या कहें पाकिस्तानी तालिबान को इस्लाम से बाहर कर दिया गया है। फतवे को देखें तो उसमें कहा गया है, 'किसी की जान लेना सबसे बड़ा जुर्म है। यह न तो जायज है, न इसके लिए कोई माफी दी जा सकती है।' फतवे के मुताबिक, अब तालिबान 'ख्वारिज' यानी 'इस्लाम से निकाला गया' हो गया है। यह फतवा जारी करने वाली इत्तेहाद काउंसिल के प्रमुख उलेमा साहिबजादा हामिद रजा ने इसकी मांग की थी। काउंसिल ने उस पर चर्चा चलाई और आखिरकार फैसला इस फतवे के रूप में सामने आया। फतवे में कहा गया कि 'स्कूलों, बाजारों, मस्जिदों, अस्पतालों, मजारों, कब्रिस्तानों और सुरक्षाबलों पर जो हमले किए जाते हैं वह जिहाद नहीं है, वह तो आतंकवाद है।' मलाला पर हमले के वक्त भी कुछ ऐसा ही विचार रखने वाले इन उलेमाओं का मानना है कि 'स्कूली छात्राओं का खून करने वाले इस्लाम के ही नहीं, मुल्क के भी दुश्मन हैं। फिदायीन हमले हराम हैं, विदेशी मेहमानों की हत्या घिनौना काम है।' इतना ही नहीं, काउंसिल की सरकार से मांग है कि उन्मादी विचारों को हवा देने वाले मदरसों में क्या पढ़ाया जा रहा है, उसकी पड़ताल की जाए। मुल्क के तमाम बाशिंदे इसमें सरकार का साथ दें, तालिबान के खिलाफ सरकार जो भी कार्रवाई करे, उसमें वे साथ खड़े रहें।फतवे पर एक विशेषज्ञ की टिप्पणी थी कि लगे हाथ काउंसिल हाफिज सईद जैसों पर भी कुछ कहती। वह बताती कि हाफिज सीमा पार क्या साजिश रच रहा है, उसे वे किस नजरिए से देखते हैं।

हिन्दी बोलकर फिर धमका गए चीनी

पता नहीं इस सरकार का कैसा इंतजाम है कि सरहदी खबरें दिल्ली अक्सर देर से पहुंचा करती हैं। इस देरी की वजह से देश को कई मर्तबा भारी नुकसान भी उठाना पड़ता है। पर 'युवराज' की सरकार को उससे ज्यादा परिवार पर वारी वारी जाने की चिंता है। खबर पहंुचने में देरी के चलते ही अभी अप्रैल में 30 से ज्यादा चीनी सैनिक लद्दाख में हमारी सरहद के इस ओर 20 किलोमीटर अंदर तक आकर डेरे-तंबू लगाकर बैठ गए थे और भारत सरकार 'शांतिपूर्ण कूटनीतिक विकल्प' तलाश रही थी। चीनी जैसे नाज-नखरों के साथ लौटे थे उसको कौन भूला होगा। तब लगा था कि भारत सरकार उस घटना से सबक लेकर चौकन्नी होगी और लद्दाख के चूमार इलाके में चीनियों की खुलेआम आवाजाही पर लगाम कसने के इंतजाम करेगी। लेकिन न जी, सरकार को और काम कम हैं जो देश की सीमाओं की इतनी चिंता करे! चीनी यह बखूबी जानते हैं और इसीलिए, एक बार फिर चूमार से देर से दिल्ली पहुंची एक खबर ने झकझोर दिया। अभी 17 जून को चीनी फौजियों की एक टुकड़ी गश्त करते हुए फिर से हमारे चूमार इलाके में सरहद के काफी अंदर तक आ धमकी थी। इतना ही नहीं, उन्होंने वहां निगरानी को लगे हमारी   सेना के कैमरों और उपकरणों को तोड़ कर मलबा अपने थैलों में भर लिया। वे कैमरे भारतीय सेना ने अप्रैल में वहां से अपने टीन के ढांचे वगैरह उखाड़ने के बाद चौकसी को लगाए थे।

हैरानी की बात यह भी है कि वे चीनी सैनिक फर्राटे से हिन्दी बोल रहे थे। वहां चूमार के लोगों को हिन्दी  में ही डपटते हुए उन्होंने वही रटा-रटाया जुमला बोला, 'यह हमारी जगह है, यहां से चले जाओ।' 3 जुलाई को फ्लैग मीटिंग में चीनी अफसरों ने टूटे कैमरे भारत के अफसरों को लौटाए। बताते हैं, खुफिया एजेंसियों ने भारत सरकार को घटना की जानकारी दी थी जिसकी भारत-तिब्बत सीमा पुलिस ने पुष्टि की थी। लेकिन अब कहा जा रहा है कि उत्तराखण्ड में जल-प्रलय से जूझती सरकार ने उस मौके पर दूसरे देश से बहस में न उलझने का फैसला किया। भारत के रक्षा मंत्री ए. के. एंटोनी कुछेक दिनों में बीजिंग जाने वाले हैं। चीनी फौजियों की घुसपैठ पर वहां उन्हें दो टूक बात करनी ही चाहिए, ऐसा भारत के कई रक्षा विशेषज्ञों का कहना है।

 

इजिप्ट में रक्तपात, 60 की मौत

इजिप्ट में पिछले दिनों सेना के तख्तापलट के बाद से मुरसी के समर्थक उस इमारत के बाहर डेरा डाले थे जिसमें, माना जाता है, मुरसी को हिरासत में रखा गया है। लेकिन 7 जुलाई की देर रात फौजियों ने मुरसी के समर्थकों पर गोलियां चला दीं। इस कार्रवाई में इन पंक्तियों के लिखे जाने तक 60 लोगों की मौत हो चुकी थी, 300 से ज्यादा घायल हुए थे। गोलीबारी पर अपनी सफाई देते हुए सेना ने कहा कि पहले हथियारबंद हमलावरों की तरफ से गोलियां चलाई गई थीं। माना जा रहा है कि मुल्क में फौजी जनरलों और मुरसी समर्थकों के बीच हफ्ते भर से चली आ रही तनातनी बढ़ गई है।

पाकिस्तान में मुरसी के पक्ष में जुलूस

उधर पाकिस्तान में मुरसी को कुर्सी से हटाने के विरोध में बच्चों को आगे करके जुलूस निकाले गए। कराची में 7 जुलाई को जमाते इस्लामी वालों ने मुरसी की तस्वीरें लेकर जुलूस निकाला, इजिप्ट के सेनाध्यक्ष अल-सीसी की फोटो जलाई।  आलोक गोस्वामी

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