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आपदा के आठ दिन बाद पधारे कांग्रेस के 'युवराज'

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Jun 29, 2013, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 29 Jun 2013 12:47:08

 

इतनी बड़ी राष्ट्रीय आपदा के समय कांग्रेस के 'युवराज' कहां थे, क्या कर रहे थे, यह किसी को भी पता नहीं। जब शोर मचा कि इस राष्ट्रीय आपदा के समय कांग्रेस के 'युवराज' कहां हैं तो उन्हें बुलाया गया और दूसरे ही दिन उन्हें उत्तराखण्ड में घुमा दिया गया। युवराज भी पीड़ितों से ऐसे मिले मानो वे इस मामले में सभी नेताओं से सबसे ज्यादा गंभीर हैं। राहुल हर जगह गए। जहां तक हेलिकॉप्टर जा सकता था वहां तक हेलिकॉप्टर से गए और बाकी जगह सड़क मार्ग से गए। उनके लिए कोई कानून नहीं था। युवराज के आगे-पीछे सायरन बजाती गाड़ियां भागती रहीं, उनके साथ कांग्रेसी मंडराते रहे और साथ में सरकारी अधिकारी पसीना पोंछते हुए भागते रहे। विपक्षी नेताओं ने यह सवाल उठाया कि क्या युवराज के आने से राहत कार्यों में बाधा नहीं पहुंच रही है? तो बड़ी निर्लज्जता के साथ कहा गया कि अब वहां सब कुछ सामान्य हो गया है इसलिए किसी वी आई पी के दौरे से कुछ दिक्कत नहीं हो रही है। तो फिर लोगों ने ऐसे भी सवाल उठाए कि जब सब सामान्य हो गया है तो फिर वहां इतने राहतकर्मी क्या कर रहे हैं, राहुल को वहां क्यों घुमाया गया? इस पर गृहमंत्री शिंदे ने राहुल का बचाव करते हुए कहा कि वीआईपी दौरे पर सिर्फ तीन-चार दिन के लिए रोक लगी थी।

साफ है कि कांग्रेस राहत में भी राजनीति कर रही है। जब विपक्ष का कोई नेता आपदाग्रस्त क्षेत्रों का दौरा करना चाहता है तो कहा जाता है कि इससे राहत कार्यों में व्यवधान पैदा होगा। पर कांग्रेसी युवराज को तुरन्त हर जगह जाने की अनुमति मिल जाती है।

उल्लेखनीय है कि कुछ ही दिन पहले जब गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी आपदाग्रस्त क्षेत्रों का दौरा करने देहरादून पहुंचे तो उनसे कहा गया कि वी आई पी के दौरे से राहत कार्यों में बाधा आएगी। भाजपा का मानना है कि उस समय कांग्रेस मोदी के दौरे से डर गई थी। कांग्रेसियों को लगा कि यदि उनके युवराज से पहले मोदी पीड़ितों से मिल लेंगे तो कांग्रेस की भद्द पिट जाएगी। इसलिए कांग्रेस ने मोदी को दौरा करने से रोका। इसके बाद कांग्रेस के बड़े नेता राहत सामग्री भेजने और युवराज को उत्तराखण्ड भेजने के अभियान में लग गए। और जैसे ही राहुल विदेश से आये दिल्ली स्थित कांग्रेस मुख्यालय से राहत सामग्री भेजने के लिए कार्यक्रम आयोजित हुआ, जिसमें सोनिया गांधी और राहुल भी मौजूद थे। इस कार्यक्रम के बाद युवराज को उत्तराखण्ड ले जाया गया।

फेसबुक पर मना 'पप्पू दिवस'

उत्तराखण्ड में इतनी बड़ी आपदा आई पर 'युवराज' का आठ दिन तक कहीं कोई पता नहीं। उनका कोई बयान भी नहीं आया। फेसबुक और ट्विटर पर ऐसी चर्चा रही कि जनाब अपना 43वां जन्म दिन मनाने के लिए विशेष विमान से विदेश गए हैं। साथ में उनकी विदेशी महिला मित्र और कुछ अन्य साथी हैं। गौरतलब है कि कांग्रेस ने इस बात का खण्डन भी नहीं किया है। किन्तु सोशल मीडिया का सशक्त माध्यम बने फेसबुक और ट्विटर पर युवराज की इस असंवेदनशीलता पर जबर्दस्त प्रतिक्रिया हुई। इन सबने 20 जून को 'पप्पू दिवस' मनाया। जनता पार्टी के अध्यक्ष सुब्रह्मण्यम स्वामी ने लिखा Yo rahul so dump… that celebrate the buddhu diwas. इसको 2142 लोगों ने पसन्द किया और 778 ने इसे आपस में बांटा और 212 लोगों ने प्रतिक्रियाएं भी दीं। इन प्रतिक्रियाओं पर प्रतिक्रिया देने वालों की संख्या हजारों में रही। इन सबने राहुल की अच्छी खबर ली।

यहां प्रस्तुत हैं राहुल के जन्मदिवस को 'पप्पू दिवस' या 'बुद्दू दिवस' बताने वाले फेसबुकिया पाठकों की कुछ प्रतिक्रियाएं–

अमित लिखते हैं- 'जब उनकी सबसे ज्यादा जरूरत होती है तो वे विदेश में रहते हैं। पर चुनाव के समय किसी गरीब या दलित के घर खाना खाने चले जाते हैं।'

वहीं प्रमोद शर्मा लिखते हैं- 'राहुल गांधी को आज आपना जन्म दिन केदारनाथ जाकर वहां पीड़ित लोगों की मदद करके मनाना चाहिए था। वैसे राहुल गांधी शायद यह नहीं कर सकते हैं क्योकि देश से बाहर हैं। कांग्रेस के उपाध्यक्ष होने के नाते इस आपदा पर अभी तक उनका कोई बयान भी नहीं आया फिर भी कुछ लोग राहुल को भविष्य का पीएम कह रहे हैं।' एक अन्य पाठक ने कहा, 'पप्पू अपना जन्मदिन विदेश में ही क्यों मनाता है? वे किस हैसियत से विशेष विमान से विदेश जाते हैं? उसका खर्चा पप्पू खुद उठाता है या भारत सरकार देती है?'

यह भी बताते चलें कि मुम्बई पर हमले के बाद भी राहुल शहीद मेजर संदीप उन्नीथन के घर संवेदना जताने गए और वहां से लौटते ही दक्षिण दिल्ली स्थित एक फार्म हाउस में आयोजित पार्टी में रात भर जश्न मनाते रहे थे। अपने बालसखा समीर शर्मा (कैप्टन सतीश शर्मा के पुत्र) के विवाह पूर्व की संगीत संध्या में राहुल सुबह तक देर तक नाचे। उनकी इसअसंवेदनशीलता पर तब भी तीखे कटाक्ष हुए थे।

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