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सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्री ने दी कड़े कदम उठाने को मंजूरी
देश की केन्द्रीय सत्ता समेत पूरे देश को झकझोर देने वाले दरभा (जगदलपुर, छत्तीसगढ़) के नक्सली हमले में घायल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केन्द्रीय मंत्री विद्या चरण शुक्ल की भी आखिरकार 11 जून को सांसें थम गईं। नक्सली हमले में श्री शुक्ल को तीन गोलियां लगी थीं और उनका गुड़गांव के मेदांता मेडिसिटी अस्पताल में इलाज चल रहा था। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा पर गत 25 मई, 2013 को हुए नक्सली हमले में छत्तीसगढ़ कांग्रेस के अध्यक्ष नंद कुमार पटेल एवं उनके पुत्र, पूर्व मंत्री और सलमा जुडूम के प्रणेता महेंद्र कर्मा, पूर्व विधायक उदय मुदलियार समेत 27 लोग मारे गए थे जबकि 31 घायल हुए थे।
इसके पश्चात गत 10 जून को दिल्ली में नक्सली समस्या से निपटने के लिए प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह ने एक सर्वदलीय बैठक बुलाई। इसमें नक्सली हिंसा के खिलाफ लाए गए प्रस्ताव को आम सहमति से पारित किया गया। प्रस्ताव के अनुसार सरकार नक्सलियों के सफाए के लिए दोतरफा रणनीति अपनाएगी। इसके मुताबिक नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षा बलों का सघन अभियान चलाने के साथ-साथ विकास कार्यों में तेजी लाने पर जोर दिया जाएगा। सर्वदलीय बैठक से पूर्व पिछले दिनों हुए आंतरिक सुरक्षा सम्मेलन और उसके बाद नक्सल प्रभावित राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक के दौरान भी नक्सलियों के सफाए की बात जोर-शोर से उठी। नक्सलियों के पांच बड़े नेताओं के खात्मे की बात भी इस दौरान सामने आई।
लेकिन नक्सलियों की ताकत को कमतर नहीं आंकना चाहिए। स्थानीय प्रशासन की नाक में दम करने वाले नक्सली आज अत्याधुनिक हथियारों से लैस और पूरी तरह से प्रशिक्षित हैं। इनका खुफिया तंत्र भी बहुत मजबूत है, जिसके द्वारा यह हर घटना को बखूबी अंजाम देते हैं। कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा पर जो हमला हुआ वह नक्सलियों ने अपने त्रीस्तरीय सूचना तंत्र में बेहतरीन तालमेल के बल पर किया। हमले की जिम्मेदारी लेने वाली दंडकारण्य विशेष क्षेत्रीय समिति की संख्या भी आज बढ़कर पांच हजार के करीब पहुंच गई है। इस समिति में गुरिल्लाओं की 10 कंपनियां हैं जिनके पास एके-47, इन्सास और एसएलआर जैसे अत्याधुनिक हथियार हैं। नक्सलियों का महिला दस्ता भी बहुत खूंखार है।
सरकार ने बड़े नक्सली नेताओं को मारने का फरमान तो जारी कर दिया लेकिन सुरक्षा बलों के पास नक्सली क्षेत्रों का ठीक नक्शा भी नहीं है जोकि नक्सलियों के विरुद्ध रणनीति का एक कमजोर पहलू है। जिसके चलते कई बार सुरक्षा बल इन जंगलों में भटक चुके हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार इस दुरूह इलाके में लगभग 15 हजार नक्सली सुरक्षा बलों के लिए चुनौती बने हुए हैं। हालांकि सीआरपीएफ द्वारा इस संबंध में गृह मंत्रालय को लिखे पत्र के बाद गृह मंत्रालय ने इसरो और सर्वे ऑफ इंडिया को नक्शा तैयार करने की जिम्मेदारी दी है। इस बीच कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा पर हमले की जांच कर रही एजेंसियों को शुरुआत से ही कांग्रेस के ही भीतरी लोगों पर शक है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की शुरुआती जांच के अनुसार नक्सलियों तक हर जानकारी पहुंच रही थी, जिसकी मदद से नक्सलियों ने घटना को अंजाम दिया। इस मामले में जांच एजेंसी ने कोंटा से कांग्रेस विधायक कवासी लखमा से गहन पूछताछ की है। एजेंसी लखमा से दोबारा पूछताछ करेगी।
यह है नई रणनीति
गत 10 जून को नई दिल्ली में प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे, रक्षा मंत्री एके एंटनी, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, भाजपा नेता अरुण जेटली व सुषमा स्वराज, जद (यू) अध्यक्ष शरद यादव, बसपा प्रमुख मायावती, सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव समेत राकांपा, बीजद, नेशनल कांफ्रेंस और वामदलों के नेता शामिल हुए। बैठक में प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह ने कहा कि नक्सलियों के विरुद्ध रणनीति को और दुरूस्त तथा मजबूत करने की जरूरत है। बैठक में निम्न प्रस्ताव पारित हुए हैं-
ʉ केंद्र व संबंधित राज्य सरकारें नक्सलग्रस्त क्षेत्रों से नक्सलियों के सफाए के लिए दोतरफा रणनीति अपनाए।
ʉ सुरक्षा बलों का सघन अभियान चले और विकास कार्यों में तेजी आए।
ʉ सशस्त्र उग्रवाद को कुचलने के लिए सभी वैध तरीकों का इस्तेमाल हो।
ʉ घातक माओवादी विचारधारा किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं।
ʉ राज्य माओवादियों के खिलाफ संघर्ष की कमान संभालें और केंद्र सरकार इस संबंध में समस्त सहायता उपलब्ध कराएगी।
ʉ इस मुद्दे पर कोई समझौता नहीं होगा।
बढ़ रही है नक्सलियों की ताकत
'सेंटर फार लैंड वारफेयर स्टडी' ने अपनी रपट में कहा है कि छत्तीसगढ़ में दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी में नक्सलियों की संख्या 4500-5000 तक पहुंच गई है। अध्ययन में कहा गया है कि आज दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी में छापामार गुरिल्लाओं की 10 कंपनियां मौजूद हैं। माओवादी गुरिल्लाओं की प्रत्येक कंपनी में 25-30 एके-47, इन्सास और एसएलआर राइफल्स हैं। उन्होंने स्पेशल गुरिल्ला स्क्वॉड भी बना लिए हैं।
मजबूत सूचना तंत्र
नक्सलियों ने त्रीस्तरीय सूचना तंत्र खड़ा किया है। इन्होनें पीपुल्स सीक्रेट सर्विस और मिलिट्री इंटेलीजेंस गठित किया है, जो अन्य सहयोगी संगठनों के साथ मिलकर काम करते हैं। स्टेट मिलिट्री कमीशन के गठन के बाद साल 2012 में नक्सलियों ने हमले और तेज करने के इरादे से मिलिट्री इंटेलीजेंस (एमआई) भी बना ली। एमआई पुलिस और सुरक्षा बलों से संबंधित हर तरह क जानकारी रखती है।
पुख्ता सुरक्षा घेरे में नक्सली नेता
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि बड़े नक्सली नेता बड़े क्षेत्र में फैले जंगल के बीच तीन स्तरीय सुरक्षा घेरे में रहते हैं। पहला घेरा जन मिलिशिया यानी जनसेना है। जन मिलिशिया के बाद नक्सलियों का प्रशिक्षित सैन्य दस्ता आता है। यह पूरी तरह प्रशिक्षित होता है। प्रशिक्षित सैन्य दस्ते के भीतर वरिष्ठ नेताओं की सुरक्षा में लगा विशेष दस्ता होता है, जो उन्हें घेरे हुए चलता है। ये घेरे 3-4 किलोमीटर के दायरे में फैले हैं।पाञ्चजन्य ब्यूरो
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