|
ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार माने जाने वाले देवर्षि नारद की जयंती (26 मई) गत दिनों देशभर में पत्रकारिता दिवस के रूप धूमधाम से मनाई गई। इस उपलक्ष्य में अनेक स्थानों पर विभिन्न संगठनों द्वारा अनेक प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किए गए। कहीं पत्रकारों का सम्मान हुआ तो कहीं पत्रकारिता और देश–समाज की स्थिति पर विचार हुआ। इन कार्यक्रमों में बड़ी संख्या में पत्रकार और प्रबुद्ध नागरिकों ने भाग लिया। यहां देश के अनेक प्रमुख स्थानों पर हुए नारद जयंती के कार्यक्रमों की छोटी सी झलक प्रस्तुत है।
व्यवसाय नहीं मिशन ही रहे पत्रकारिता
दिल्ली
इन्द्रप्रस्थ विश्व संवाद केन्द्र के तत्वावधान में कांस्टीट्यूशन क्लब के सभागार में पत्रकार सम्मान समारोह का आयोजन हुआ। यहां सुदर्शन टीवी चैनल के प्रमुख श्री सुरेश चवांगे, हिन्दुस्तान टाइम्स के श्री विवेक सिन्हा और आज तक टीवी चैनल के श्री कृपाल को सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय में प्राध्यापक श्री अशोक टंडन ने की जबकि वक्ता थे हिन्दुस्थान समाचार संवाद समिति के फीचर संपादक एवं भारत-तिब्बत सहयोग मंच के कार्यकारी अध्यक्ष डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री।
साहिबाबाद
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, वैशाली महानगर के तत्वावधान में साहिबाबाद (उ.प्र.) में नारद जयंती समारोह संपन्न हुआ। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता जनता पार्टी के अध्यक्ष डा. सुब्रह्मण्यम स्वामी थे, जबकि अध्यक्षता वरिष्ठ पत्रकार श्री जगदीश उपासने ने की। डा. स्वामी ने कहा कि जिन लोगों ने पत्रकारिता को महज व्यवसाय न मानकर मिशन के रूप में अपनाया, उन्होंने ही प्रेस को लोकतंत्र का चौथा शक्तिशाली स्तंभ बनाकर दिखाया है। मिशनरी पत्रकार भ्रष्टाचार से लड़ते हैं और उसे उजागर करते हैं। श्री जगदीश उपासने ने पत्रकारों की भूमिका व पत्रकारिता के विभिन्न आयामों की महत्ता को बताते हुए पत्रकारों के समक्ष आने वाली चुनौतियों को विस्तार से बताया। साथ ही निष्पक्ष पत्रकारिता करने की बात कही।
मेरठ
विश्व संवाद केन्द्र, मेरठ द्वारा आयोजित नारद कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में रा.स्व.संघ के क्षेत्र प्रचारक श्री शिव प्रकाश उपस्थित थे। उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि स्वदेश का हित-चिंतन हर पत्रकार के लिए होना चाहिए। विश्व संवाद केन्द्र, मेरठ प्रांत द्वारा गाजियाबाद, मुरादाबाद, नोएडा, बुलंदशहर, मुजफ्फरनगर और हापुड़ में भी नारद जयंती के कार्यक्रम आयोजित किए गए। इन कार्यक्रमों में कुल 30 पत्रकारों को सम्मानित किया गया तथा 282 पत्रकार और 328 पत्रकारिता के छात्रों ने भाग लिया।
इलाहाबाद
इलाहाबाद (उ.प्रदेश) में 26 मई को हिन्दुस्थान समाचार के तत्वावधान में देवर्षि नारद जयन्ती हर्षोल्लास से मनाई गई। इस अवसर पर पत्रकारों एवं छायाकारों को सम्मानित भी किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय (भोपाल) के कुलपति प्रो. ब्रज किशोर कुठियाला थे, जबकि अध्यक्षता वरिष्ठ पत्रकार श्री अभिलाष नारायण ने की।
शिमला
विश्व संवाद केन्द्र द्वारा शिमला में पत्रकार सम्मान समारोह आयोजित किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित इंडियन मीडिया सेंटर के राष्ट्रीय सचिव श्री केजी सुरेश थे। समारोह में वरिष्ठ अतिथि के रूप में रा.स्व.संघ के उत्तर क्षेत्र के क्षेत्र प्रचार प्रमुख श्री नरेन्द्र कुमार थे।
रांची
रांची (झारखंड) में हिन्दुस्थान समाचार के तत्वावधान में नारद जयंती समारोह संपन्न हुआ। कार्यक्रम को भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय प्रवक्ता श्रीमती मीनाक्षी लेखी एवं पूर्व महाधिवक्ता श्री अनिल सिंह ने संबोधित किया। कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार श्री बलबीर दत्त विशेष रूप से उपस्थित थे।
देहरादून
देहरादून (उत्तराखण्ड) में विश्व संवाद केन्द्र द्वारा पत्रकार सम्मान समारोह आयोजित किया गया। समारोह की अध्यक्षता हिन्दुस्थान समाचार के संरक्षक श्री लक्ष्मी नारायण भाला ने की, जबकि मुख्य अतिथि थे वरिष्ठ पत्रकार श्री अशोक पांडे। मुख्य वक्ता क्षेत्रीय प्रचार प्रमुख श्री कृपा शंकर थे। नारद जयंती के ऐसे ही कार्यक्रम उत्तराखंड के पिथौरागढ़, काशीपुर और टिहरी में भी संपन्न हुए।
उदयपुर
विश्व संवाद केन्द्र द्वारा उदयपुर (राजस्थान) में 25 मई को 'वर्तमान सामाजिक चुनौतियां एवं पत्रकारिता' विषय पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी को राजस्थान लोक सेवा आयोग के सदस्य डा. परमेन्द्र दशोरा, वरिष्ठ पत्रकार श्री रमेश अग्रवाल ने संबोधित किया। इस अवसर पर रा.स्व.संघ के उत्तर-पश्चिम क्षेत्र के क्षेत्र कार्यवाह श्री हनुमान सिंह राठौर विशेष रूप से उपस्थित थे।
कोटा
कोटा (राजस्थान) में राष्ट्रचेतना अभियान समिति के तत्वावधान में पत्रकार सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। समारोह के मुख्य अतिथि वरिष्ठ पत्रकार श्री गोपाल शर्मा तथा विशिष्ट अतिथि श्री त्रिलोक चन्द्र गोयल थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता कोटा प्रेस क्लब के अध्यक्ष श्री धीरज गुप्ता 'तेज' ने की। यहां कुल 27 पत्रकारों को सम्मानित किया गया।
फरीदाबाद
फरीदाबाद (हरियाणा) में आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ पत्रकार डा. एसपी सिंह ने की, जबकि मुख्य अतिथि थे वरिष्ठ पत्रकार श्री एनके सिंह।
आद्य पत्रकार और आज का 'मीडिया'
ऐसा माना जाता है कि नारद जी दुनिया के प्रथम पत्रकार थे। नारद जी की पत्रकारिता लेखन के रूप में न होकर संवाद के रूप में थी। एक देवता के संदेश को दूसरे देवता तक पहुंचाना उनका मुख्य कार्य था। इसलिए आज भी जो बातचीत को इधर-उधर करता है उसे नारद की उपमा दी जाती है, (हालांकि सकारात्मक रूप में नहीं) लेकिन नारद जी को इस रूप में परिभाषित करना उचित नहीं है। हर युग में एक-दूसरे तक संवाद पहुंचाने के लिए किसी न किसी माध्यम का उपयोग किया जाता रहा है। देवताओं तक बात पहुंचाना आसान नहीं था। उसे केवल नारद जैसे मुनि ही पहुंचा सकते थे। उनकी बातों पर विश्वास भी किया जाता था। इसलिए संवाद वाहक के रूप में उनकी भूमिका अग्रणी मानी जाती थी।
नारद का अर्थ
19 वीं शताब्दी में पत्र-पत्रिकाओं का चलन तेजी से बढ़ने लगा। तब यह सवाल उठा कि इसकी शुरुआत किसने की होगी? भारत की सांस्कृतिक परम्पराओं में नारद जी इस काम के लिए प्रसिद्ध रहे हैं। इसलिए भारतीय भाषाओं के पत्रकारों को लगा कि उनके आद्य देवता केवल और केवल नारद जी ही हो सकते हैं।
संस्कृत भाषा में नारद शब्द का जब संधि विच्छेद करते हैं तो नारो का अर्थ होता है बुद्धि और दा का अर्थ है देने वाला। सामान्य भाषा में 'जो किसी को ज्ञान दे।' परामर्श तो वही दे सकता है। जो स्वयं समझदार हो। हमारी बोलचाल की भाषा में कहें तो जो किसी बात को रद्द न कर सके वही नारद हो सकता है वास्तव में यह गुण उनमें कूट-कूट कर भरा हुआ था। नारद नामक महान पत्रकार ने मालिक के रूप में भगवान विष्णु का चयन कर लिया। उनकी पहचान वीणा थी और मुख से निकालने वाला प्रथम सम्बोधन नारायण… नारायण। इसलिए नारद जो कुछ कहते थे वह तर्क शुद्ध होता था।
पत्रकारिता के रूप
सामान्यतय: यह माना जाता है कि मीडिया के तीन रूप हैं। सर्वप्रथम प्रिंट, दूसरा रेडियो और तीसरा वर्तमान युग का इलेक्ट्रानिक मीडिया। इन दिनों अंग्रेजी का 'मीडिया' शब्द अत्यंत प्रचलित है, किंतु इसका उपयोग पिछले केवल 90 वर्षों से हो रहा है। 1990 तक प्रिंट मीडिया में 1200 करोड़ रुपए की पूंजी लगी हुई थी, आज यह बढ़कर 70 हजार करोड़ रुपए तक पहुंच गई है। जहां तक इलेक्ट्रानिक मीडिया का सवाल है, भारत में 1988 में प्रथम निजी चैनल 'एनडीटीवी' की शुरुआत हुई। इस समय 1400 चैनल पंजीकृत हैं, लेकिन 800 चैनल ही दिखलाए जाते हैं। लगभग 58 करोड़ लोग भारत में टेलीविजन देखते हैं। भारत में 82 हजार 237 समाचार पत्र पंजीकृत हैं। इनकी पाठक संख्या 32 करोड़ 92 लाख 4 हजार 841 है। भारत में लगभग 10 करोड़ लोग रोज समाचार पत्र पढ़ते हैं। मुद्रित मशीनों का इतिहास 230 वर्ष पुराना है। 57 वर्ष पुराना टेलीविजन का इतिहास है। और लगभग 80 से 85 प्रतिशत पाठक अपने अखबार के सम्पादक को नहीं जानते हैं।
मीडिया के अंग
आज की मीडिया के तीन 'ई' अंग माने गए हैं-एजूकेशन, इंटरटेनमेंट और इन्फारमेशन। मीडिया की ताकत तीन 'एम' से पहचानी जाती है-मसल्स, मनी और माफिया। इसी प्रकार पत्रकारिता चार 'सी' के आस-पास घूमती रहती है-क्राइम, क्रिकेट, सिनेमा और सेलेब्रेटी। भारत में 'पेड न्यूज' का चलन भी 1967 के चुनाव से प्रारम्भ हुआ है। राष्ट्रीय स्तर के समाचार पत्रों में यह प्रतिशत 30 है। राज्य स्तर पर 50 और स्थानीय अखबारों में 75 से 90 प्रतिशत तक पेड न्यूज होते हैं। भारत में 28 भाषाओं में अखबार प्रकाशित होते हैं। हिन्दी के पश्चात मलयाली सबसे अग्रणी है। सिंधी और संस्कृत में सबसे कम 81 अखबार हैं। ऊर्दू भाषा में हस्त लेखक (केलीग्राफिस्ट) को भी पत्रकार का दर्जा दिया गया है। महामना हनुमान प्रसाद पोद्दार जी द्वारा प्रारम्भ की गई पत्रिका कल्याण एकमात्र मासिक पत्रिका है जिसका एक भी अंक कभी अप्रकाशित नहीं हुआ। अखबारों पर 'सेंसरशिप' का पहला चाबुक इंदिरा गांधी ने 26 जून, 1975 को मारा था। बाद में उन्होंने इस बात को स्वीकार किया कि आपातकाल में जो गडबड़ियां हुई, उसका सबसे बड़ा कारण अखबारों पर लगाई गई 'सेंसरशिप' ही थी। ¨ÉÖVÉ}¡ò®ú हुसैन
टिप्पणियाँ