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q हमारे घर में आने वाला पेयजल हजारों लोगों के परिश्रम और करोड़ों रुपए खर्च होने के बाद आता है। इसलिए गिलास में उतना ही पानी लें जितनी की प्यास लगी हो। प्रयास करें कि गिलास में जूठा पानी न बचे।
q कुल्ला या दाढ़ी बनाते समय नल को खोलकर न रखें। जब ब्रश को गीला करना हो तभी नल को खोलें। यह भी हो सकता है कि आप छोटे मग में पानी लेकर दाढ़ी बनायें। ऐसा करने से ही प्रतिदिन हजारों गैलन पानी बच सकता है।
q हाथ धोते समय भी बहुत लोग नल को खोलकर छोड़ देते हैं। फिर गीले हाथ पर साबुन लगाते हैं उसके बाद हाथ धोते हैं। इसके बाद ही नल को बंद करते हैं। हाथ गीला करने के बाद नल को बंद कर दें और जब जरूरत हो तब नल खोलें।
q बहुत लोग नल के नीचे बैठकर स्नान करते हैं। कुछ लोग नल के नीचे बाल्टी लगाते तो हैं पर जब तक नहाते हैं तब तक नल खुला रहता है। बाल्टी से पानी गिरता रहता है और लोग साबुन लगाते रहते हैं। ऐसा नहीं होना चाहिए। पहले बाल्टी भर लें उसके बाद स्नान करें। बाद में आवश्यकता हो तो और पानी ले सकते हैं।
q अक्सर लोग पाइप से कूलर भरते हैं। पाइप लगाकर लोग भूल जाते हैं और पानी नीचे गिरने लगता है। अगर थोड़ा सा ध्यान रखा जाय तो हम रोजाना लाखों लीटर पानी बचा सकते हैं।
q मशीन से कपड़े धोने के बाद उन्हें बाल्टी में डुबोकर खंगालें। मशीन में पानी डालकर खंगालने से बहुत अधिक पानी खर्च होता है। ऐसी मशीन भी इस्तेमाल न करें जिससे ज्यादा पानी खर्च होता हो।
q बर्तन साफ करते समय भी नल शुरू से अन्त तक खुला रहता है। बर्तन गीला करने के बाद नल बंद कर दें और जब बर्तनों में साबुन लग जाय तब नल खोलें। इस तरह महिलाएं पानी की बचत कर सकती हैं।
q पानी की टंकी भरने के लिए लोग मोटर चलाकर छोड़ देते हैं। टंकी भरने के बाद पानी नीचे गिरता रहता है। आजकल बाजार में सिर्फ 150-200 रु. में 'वाटर अलार्म' मिलता है। अपनी टंकी में इसे जरूर लगाएं। जब टंकी भर जाएगी तो 'अलार्म' आपको सूचित करेगा कि टंकी भर गई है, मोटर बंद करो।
q अगर आपके शौचालय में पश्चिमी शैली का 'कमोड' लगा हो तो 'फ्लश' के अन्दर एक लीटर पानी भरी बोतल डाल दें। इससे 'फ्लश' का बटन दबाने से पानी कम गिरेगा किन्तु बहाव में कोई कमी नहीं आएगी। लोगों को पता होना चाहिए कि पश्चिमी शैली के 'कमोड' की बनावट ऐसी है कि उसकी सफाई के लिए एक साथ 12 से 14 लीटर पानी की जरूरत पड़ती है। यानी शौच के बाद जब आप एक बार 'फ्लश' करते हैं तो करीब 14 लीटर पानी खर्च हो जाता है। आजकल बाजार में कम पानी में साफ होने वाले 'कमोड' आ गए हैं, आप उन्हें लगा सकते हैं।
q लोग पानी के पाइप से घर धोते हैं। यह पानी की बर्बादी ही है। घर की सफाई पोंछे से ही करें।
q कुछ लोग पाइप से गाड़ी भी धोते हैं और पशु भी नहलाते हैं। कपड़ा गीला कर के भी गाड़ी साफ की जा सकती है। पशु को तालाब या नदी में ही नहलाने का प्रयास करें। यदि ऐसा न हो सके तो बाल्टी में पानी लेकर मग से पशु को नहलाएं।
q मिट्टी से भरे किसी बर्तन को साफ करने के लिए पहले पानी से न धोएं। उसे पहले कपड़े से साफ कर लें उसके बाद पानी से खंगाल लें। इस तरह के बर्तन को सीधे पानी से धोने से बहुत ज्यादा पानी खर्च होता है।
q मिट्टी के घड़े का पानी रोजाना न बदलें। जब उसे साफ करें तो उसका बचा पानी किसी दूसरे बर्तन में रख लें। इस पानी का उपयोग अन्य किसी कम हो सकता है।
q जब गर्मी शुरू होती है तो वातानुकूलित यन्त्र (ए सी) की धुलाई में कई लीटर पानी खर्च हो जाता है। ए सी को पहले कपड़े और हवा के 'प्रेशर' से साफ किया जाय। फिर उसे पानी से धोया जाय तो बहुत पानी बच सकता है।
q गन्ने और तम्बाकू की खेती के लिए बहुत पानी चाहिए। ऐसी खेती के लिए खास व्यवस्था करके पानी की खपत कम की जाए।
q मांस को साफ रखने में बहुत पानी खर्च होता है। कत्लखानों में रोजाना लाखों लीटर पानी बहाया जाता है। इसलिए शाकाहारी बनें और पानी को बचाएं।
q घर के पौधों में पीने वाला पानी डालने से बचें। इन पौधों के लिए आप बर्तन धोते समय पानी बचा सकते हैं। जब बर्तन धोएं तब उस पानी को किसी बड़े बर्तन में जमा कर लें और वही पानी पौधों में डालें। .घर के ए सी से निकलने वाला पानी भी पौधों में डाल सकते हैं। यह पानी इन्वर्टर की बैटरी में भी डाला जा सकता है।
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