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गोभक्तों के रोष के आगे टिक नहीं पाया सरकारी दस्ता
केन्द्र की कांग्रेसनीत संप्रग सरकार की शह पर अपनी सेकुलर नीतियों पर चलते हुए दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित की कांग्रेस सरकार हिन्दू आस्थाओं पर चोट करने के मानो मौके तलाशती रहती है। राजधानी में सरकार के अधिकांश महत्वपूर्ण संस्थानों के बिल्कुल पास बनी अवैध मजारों और दरगाहों की तरफ से शीला सरकार हमेशा आंखें मूंदे रहती है। लेकिन अखबारों में आए दिन ऐसे अभियानों के बारे में छपता रहता है जिसमें कभी किसी मंदिर की दीवार ढहाई जाती है तो कभी किसी संस्कृत पाठशाला को अवैध बताकर हटाया जाता है। यह सब वही सरकार करती है जिसको रोहिणी के सार्वजनिक पार्क में दिनोंदिन ऊंची होती जा रही मस्जिद नहीं दिखती, करबला में सरकारी भूमि पर मुस्लिमों का जबरन कब्जा नहीं दिखता।
इसी कड़ी में अभी 15 मई को दिल्ली विकास प्राधिकरण का एक दस्ता स्थानीय पुलिस के संरक्षण में शास्त्री पार्क में सालों से चल रही गोशाला को तोड़ने जा पहुंचा। साथ गए प्राधिकरण के अधिकारियों ने दलील दी कि इसे हटाने का आदेश है। बुल्डोजर 600 गायों को आसरा दे रही इस गोशाला पर चढ़ने ही वाला था कि ढेरों स्थानीय गोभक्त वहां एकत्र हो गए और प्राधिकरण की कार्रवाई का जमकर विरोध किया। श्रद्धालुओं में बड़ी संख्या में महिलाएं भी थीं। गोलोक गोधाम सेवा ट्रस्ट द्वारा संचालित इस गोशाला में स्वस्थ गायों के अलावा विकलांग गायें भी पाली जा रही हैं। स्थानीय लोगों की इससे आस्था जुड़ी है। यही वजह थी कि सरकारी अधिकारियों और पुलिस के दुर्व्यवहार को सहते हुए भी वे गोशाला की रक्षा के लिए वहीं खड़े रहे। हारकर अधिकारियों को बुल्डोजर लौटाने पड़े और गोशाला बच गई।
विश्व हिन्दू परिषद, बजरंग दल और रा.स्व.संघ के अनेक कार्यकर्ताओं ने सेकुलर सरकार की इस कार्रवाई की तीखी भर्त्सना करते हुए वहां प्रदर्शन किया। विहिप दिल्ली के महामंत्री सत्येन्द्र मोहन ने दोषियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की मांग की। क्षेत्रीय गोरक्षा प्रमुख श्री राष्ट्र प्रकाश ने सरकार को चेताया कि वह गोभक्तों को प्रताड़ित करने से बाज आए। इस घटनाक्रम के संदर्भ में गोभक्तों का एक प्रतिनिधिमंडल दिल्ली के राज्यपाल से भी मिला। प्रतिनिधि
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