|
मेरी जानकारी के मुताबिक, चीनी सैनिक 19 नहीं, हमारी जमीन पर दौलत बेग ओल्दी में 27 किलोमीटर अंदर तक आए थे, अब वे पीछे तो हटे हैं, पर शायद 2 किलोमीटर, बस। सरकार के इस दावे की भी अभी पुष्टि नहीं की जा सकती कि वहां 15 अप्रैल से पहले वाली स्थिति कायम हो गई है।
चीन की मंशा यही लगती है कि वे जहां तक अंदर चले आए हैं वहां तक की जमीन उनके कब्जे में आ जाए। कुर्सी की राजनीति में उलझे हमारे नेताओं ने अगर इस बिन्दु पर ढिलाई दिखाई तो चीन लद्दाख की सारी जमीन हड़प लेगा और हम मुंह ताकते रह जाएंगे। उसके लिए फिर मसला सिर्फ अरुणाचल का रह जाएगा। अक्साई चिन को तो वह पहले ही अपनी झोली में मानता है और हम उस पर मुंह सिले बैठे रहते हैं। इस वक्त चीन की इस घुसपैठ के गहरे मायने हैं। वह लद्दाख की 38 हजार किलोमीटर जमीन कब्जाए बैठा ही है, इस घुसपैठ के बाद उसने हम पर यह दबाव बना दिया है कि सीमा का झगड़ा जल्दी निपटाओ। महीने के आखिर में उनके प्रधानमंत्री आने वाले हैं, उस वक्त चीन इसी नक्शे को सामने ले आएगा और उस पर दस्तखत करने को जोर डालेगा। करार होते ही वह कहेगा, चलो, सीमा विवाद सुलझ गया। लेकिन इस आपाधापी में हम अपनी 38 हजार किलोमीटर जमीन खो चुके होंगे। हैरानी की बात है कि सरकार में कोई हमारे अक्साई चिन इलाके को वापस लेने की आवाज क्यों नहीं उठाता? हमें चीन के बनाए किसी नक्शे को न मानते हुए दमदार तरीके से यह कहना चाहिए कि पूरा अक्साई चिन हमारा है, उसे खाली करो।
संसद के 'पूरा जम्मू-कश्मीर हमारा है' वाले प्रस्ताव की बात करें तो यह सुनने में आता है कि भई हालात बदल चुके हैं, उसे भी ध्यान में रखना चाहिए। मुझे दुख है कि विपक्ष भी इस मुद्दे पर मौन है। लद्दाख को हड़पने के बाद चीन की निगाह निश्चित तौर पर अरुणाचल पर जाएगी। वहां भी वह दावा जताएगा। इस सरकार की हालत देखकर चिंता होती है कि देश का क्या होगा। सरकार की कोई विदेश नीति नहीं दिखती, किसी भी चीज पर कोई नीति नहीं दिखती। सरकार को हर 5 साल बाद अपनी कुर्सी की चिंता करनी होती है, बस उसे बचाए रखने के लिए कुछ नीतियां बना ली जाती हैं। जबकि चीन में जो नीति बनती है, वह देश को सामने रखकर बनती है। हमारे यहां तो लोकतंत्र के नाम पर देश को चूना लगाने की भेड़चाल दिखती है। चीन के संदर्भ में मैं तो कहूंगा उसकी कोई गलती नहीं है, सारी गलती हमारी है। अरे भई जब आप अपने घर की रखवाली नहीं करोगे तो दूसरा उसमें घुसकर बैठेगा ही।
टिप्पणियाँ