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अंक–सन्दर्भ 17 मार्च, 2013
आवरण कथा द्भयम की बहन को किसने पहुंचाया यामलोक?द्भ्य में यमुना और साबरमती नदी की हालत दिखाई गई है। यदि सरकार चाहे तो क्या नहीं कर सकती है। गुजरात की मोदी सरकार ने मात्र 9 साल में मृतप्राय साबरमती नदी को जिन्दा कर दिया, जबकि दिल्ली में खरबों रुपए खर्च होने के बावजूद यमुना नदी नाले में तब्दील होती जा रही है। यमुना सफाई के नाम पर कुछ लोग सरकारी खजाने की सफाई कर रहे हैं।
–गणेश कुमार
कंकच्च्बाग, पटना (बिहार)
यमुना हो या गंगा- इन पवित्र नदियों को स्वच्छ बनाने के नाम पर अब तक चार योजनाएं बनी हैं। किन्तु एक भी योजना सफल नहीं हुई। एक बच्च्ी वजह है सरकार की नीति। सरकार किसी को नाराज नहीं करना चाहती है। इसलिए वह कानपुर में चमच्च्े के कारखानों से निकलने वाले नालों को बन्द नहीं करती है। जबकि कानपुर से आगे इन्हीं नालों के कारण गंगा सबसे अधिक मैली है। यही हाल यमुना के साथ भी है।
–आशीष शुक्ला
कानपुर (उत्तर प्रदेश)
सम्पादकीय द्भयम से ना टकरानाद्भ्य में यमुना की दुर्दशा, सरकार की प्रदूषण के प्रति निष्क्रियता एवं संवदेनहीनता का अच्छी तरह प्रस्तुतीकरण हुआ है। जिस प्रकार यमुना प्रदूषित हो रही है वह जलीय जीवों के साथ-साथ मानव के लिए भी खतरा है। अगर नदियों के प्रति सरकार का रवैया इसी प्रकार रहा तो वह दिन दूर नहीं जब नदियों का अस्तित्व संकट में होगा।
–रमेश कुमार मिश्र
ग्राम– कान्दीपुर, पत्रा. कटघरमूसा
जिला–अम्बेडकर नगर (उ.प्र.)
यमुना नदी की दुर्दशा और कलकल बहती साबरमती पर अच्छी जानकारी मिली। द्भकांग्रेस का डीएनएद्भ्य भी मजेदार लगा। संघ के बारे में महापुरुषों के विचार भी बच्च्े अच्छे लगे।
–रूप सिंह
महरौली, ललितपुर (उत्तर प्रदेश)
नदियां जीवनदायिनी हैं। इन्हीं नदियों के पानी से हमारी प्यास बुझती है, उन खेतों की सिंचाई होती है जहां हमारे लिए अन्न पैदा होते हैं। हमारे ज्यादातर तीर्थ भी नदियों के तट पर स्थित हैं। दुर्भाग्यवश यदि गंगा नहीं रही तो क्या हरिद्वार, वाराणसी जैसे तीर्थों का अस्तित्व बचेगा? बिल्कुल नहीं। इसलिए इन नदियों को किसी भी सूरत में बचानी होगी।
–विकास कुमार
शिवाजी नगर, वडा, जिला–थाणे (महाराष्ट्र)
शाखा जाएं
डा. सतीश चन्द्र मित्तल का लेख द्भइन्होंने जाना संघ क्या हैद्भ्य संघ-विरोधियों को जरूर पढ्ढना चाहिए। आज कुछ लोग राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर बेतुकी बातें करते हैं। डा. हेडगेवार ने यदि संघ जैसा राष्ट्रवादी संगठन खच्च न किया होता तो आज हिन्दू समाज की दशा कैसी होती इसकी कल्पना ही सिहरन पैदा कर देती है। देश विरोधी और स्वार्थी लोग ही संघ को लेकर गलत-बयानी कर रहे हैं। ऐसे लोग संघ को नजदीक से जानने के लिए शाखा जाएं।
–उदय कमल मिश्र
गांधी विद्यालय के समीप, सीधी-486661 (म.प्र.)
काटजू की नीयत खराब
श्री राजनाथ सिंह द्भसूर्यद्भ्य ने अपने लेख द्भयह क्या कर रहे हैं काटजू?द्भ्य में प्रेस काउन्सिल के अध्यक्ष मार्कण्डेय काटजू के असंवैधानिक कार्यों को उजागर किया है। प्रेस काउन्सिल का काम किसी दंगे की जांच करना नहीं है। किन्तु काटजू ने पिछले दिनों फैजाबाद (उ.प्र.) में हुए दंगों की जांच एक वामपंथी पत्रकार के जरिए करवाई। काटजू की नीयत पर लोगों को सन्देह होने लगा है। उन्होंने उ.प्र. के अन्य दंगों की जांच क्यों नहीं करवाई?
–ठाकुर सूर्यप्रताप सिंह सोनगरा
कांडरवासा, रतलाम-457222 (म.प्र.)
खामोश क्यों?
पाकिस्तान की मौजूदा हालत को रेखांकित करता आलेख द्भपाकिस्तान टूटेगा या टिकेगाद्भ्य में लेखक श्री मुजफ्फर हुसैन ने बताया है कि ईश निन्दा के नाम पर गैर-मुस्लिमों को मौत के घाट उतारना, उनके बुनियादी अधिकार समाप्त करना आम बात हो गई है। हिन्दुओं और ईसाइयों को प्रताच्च्ति करना, अहमदियों और शियाओं को मस्जिद के अन्दर मारना क्या जायज है? पाकिस्तान की इस क्रूर और नापाक हरकत पर विश्व समुदाय की खमोशी आश्चर्यजनक है।
–मनोहर द्भमंजुलद्भ्य
पिपल्या–बुजुर्ग, प. निमाच्च्-451225 (म.प्र.)
इसलिए बेबस है भारत
पिछले दिनों एक लेख द्भआतंकवाद के सामने भारत बेबस क्यों?द्भ्य पढ्ढा। सरकार का यह कहना दुर्भाग्यपूर्ण है कि आतंकवादी घटनाओं में मुस्लिम युवकों के नाम आने के बावजूद उनकी गिरफ्तारी में सावधानी बरती जाए। इन्हीं सरकारी नीतियों के कारण भारत आतंकवाद के सामने बेबस है।
–गोपाल महतो
गांधीग्राम, जिला–गोड्डा (झारखण्ड)
वचित्र स्थिति है कि सरकार एक तरफ कहती है कि आतंकवाद के आरोप में मुस्लिम युवाओं की गिरफ्तारी पर सावधानी बरती जाए, वहीं यही सरकार निर्दोष कुछ हिन्दुओं को वर्षों से जेल में बन्द रख रही है। इस सरकार ने इतिहास से कुछ नहीं सीखा है। इसलिए आएदिन निर्दोषों का खून बह रहा है।
–नाथूराम शर्मा आयेन्दु
1380 (1), ध्यानचन्द कालोनी
सीमरी बाजार, झांसी-284003 (उ.प्र.)
शक
शक होता सबसे ज्यादा खतरनाक
शक महलों को कर देता खाक
शककर्ता शक में होता अंधा
उसे लगता अपना भी गंदा
जब सब राख हो जाता
तब शकी महोदय समझ पाता
–घनश्याम बेलानी द्भगुलाबद्भ्य
79, शान्ति नगर, कटनी-483504 (म.प्र.)
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