विभूश्री
May 9, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

विभूश्री

by
Mar 2, 2013, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

समाजसेवा और गोसेवा के प्रेरक व्यक्तित्व

दिंनाक: 02 Mar 2013 14:13:42

भारत भूमि पर अनेक विभूतियां जन्म लेती रही हैं जिन्होंने अपना संपूर्ण जीवन समाज और देश के उत्थान में समर्पित कर दिया। इसी गरिमामयी परम्परा की एक कड़ी थे लाला हरदेव सहाय। उन्होंने शिक्षा के प्रचार-प्रसार, साहित्य लेखन, समाजसेवा और स्वाधीनता संग्राम में तो अपना अमूल्य योगदान दिया ही, गोसेवा की दिशा में उनके अवदान को कभी विस्मृत नहीं किया जा सकता। उनके जीवन के अनेक पहलुओं को समेटती और उनके द्वारा समाजहित में किए गए प्रमुख कार्यों को रेखांकित करती पुस्तक 'विलक्षण विभूति लाला हरदेवसहाय' कुछ समय पूर्व प्रकाशित होकर आई है। प्रख्यात पत्रकार और लेखक शिवकुमार गोयल ने गागर के सागर भरते हुए इस पुस्तक में लाला जी के व्यक्तिव और कृतित्व के अनेक आयामों को इसमें संकलित किया है।

इस पुस्तक को मुख्यत: दो भागों में बांटा गया है। पहले भाग में उनके जीवन परिचय का संक्षिप्त वर्णन किया गया है। दूसरे भाग में उनके सान्निध्य में रहे कुछ लोगों के प्रेरक संस्मरण मौजूद हैं। इनके अलावा पुस्तक के आरंभ में कुछ दुर्लभ चित्रों के माध्यम से लाला जी के जीवन और उनसे जुड़े लोगों की सुंदर झांकी प्रस्तुत की गयी है। हरियाणा राज्य के हिसार जिले में जन्मे लाला हरदेव सहाय की प्रारंभिक शिक्षा गांव में ही हुई लेकिन उन्हें बचपन में ही जो उच्च कोटि के संस्कार मिले, उससे उनके भीतर देशभक्ति की उमंग उठती रहती थी। यही वजह रही कि 1921 में एक ओजस्वी भाषण देने के आरोप में ब्रिटिश शासन ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। उनके प्रारंभिक जीवन में ही यह झलक मिलती थी कि वे केवल देश की स्वाधीनता के लिए संघर्ष नहीं करना चाहते थे बल्कि उन बिन्दुओं पर भी विचार करते थे, उस दिशा में भी कार्य करना जरूरी समझते थे, जिससे भारत स्वाधीनता के बाद सशक्त और संपन्न बन सकेगा। यही वजह थी कि वे हिन्दी माध्यम से शिक्षा के प्रचार-प्रसार के लिए प्रयासरत रहे। साथ ही स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए शिल्पशाला की स्थापना की। गांव-गांव में हिन्दी शिक्षा के प्रसार की दिशा में उनके प्रयत्नों की वजह से ही उन्हें हरियाणा में ग्रामीण शिक्षा का जन्मदाता माना गया था। इसके अलावा उन्होंने समाज में जहां कहीं भी जिस तरह की भी जरूरत होती, अपनी सेवा देने के लिए वे तुरंत आगे आते थे। ऐसे अनेक उद्धरण इस पुस्तक में दिए गए हैं। कांग्रेस के ध्वज तले स्वाधीनता आंदोलन की लड़ाई लड़ने वाले लाला जी का कांग्रेस से मोहभंग कैसे हुआ? कैसे उनका पंडित नेहरू में विचार-मतभेद हुआ, इस बारे में भी पुस्तक में चर्चा की गई है।

लाला जी जिस कार्य के लिए कभी नहीं भुलाए जाएंगे, वह थे गोरक्षा की दिशा में उनके द्वारा किए गए प्रयास। इस बारे में भी पुस्तक में विस्तार से बताया गया है। लाला जी द्वारा किस तरह भारतीय गोसवेक समाज की स्थापना की गई? किस तरह उनके प्रयत्नों से संविधान में गोहत्या निषेध की धारा 48 जोड़ी गई, यह सब इस पुस्तक में वर्णित है। पुस्तक के दूसरे खंड में भक्त रामशरण दास, मास्टर सीताराम वर्मा, लाला जी के सुपौत्र रामप्रताप गुप्ता और रामनिवास गुप्ता और गंगा सिंह तंवर के संस्मरण संकलित किए गए हैं। साथ ही कुछ अन्य नेताओं और विभूतियों के लाला जी के संबंध में दिए गए विचार भी संकलित हैं। पुस्तक के आमुख में  आर्ट ऑफ लिविंग के प्रणेता श्री श्री रविशंकर ने कहा है- 'लाला हरदेवसहाय जी पुरानी पीढ़ी के अग्रणी, तपस्वी राष्ट्रनायक व परम गोभक्त थे। यह अत्यन्त दुर्भाग्य की बात है कि लालाजी के गोहत्या बंदी के सपने को गोभक्त साकार नहीं करा पाए हैं। यदि सभी एकजुट होकर गोहत्या पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगाए जाने की जोरदार मांग करें तो किसी की भी ताकत नहीं है कि यह कार्य पूरा न हो। गोवंश हमारी संस्कृति का मेरुदण्ड है। उसकी रक्षा होनी ही चाहिए।'

पुस्तक का नाम –  विलक्षण विभूति-लाला हरदेव सहाय

लेखक        –  शिवकुमार गोयल

प्रकाशक     –   भारत गोसेवक समाज,

                    3 सदर थाना रोड, दिल्ली-06

मूल्य             –  200           पृष्ठ  –  120

दूरभाष               – (011) 23611910

मनुष्य को पापी समझना पाप है!

शिकागो धर्म सम्मेलन में 30 वर्ष के एक यूवा  भारतीय संन्यासी द्वारा विश्व के तमाम विद्वानों, धर्म गुरुओं के समक्ष हिन्दू धर्म और हिन्दुत्व की विलक्षण व्याख्या ने लोगों को आश्चर्यचकित कर दिया था। स्वामी विवेकानंद के इसी व्याख्यान के परिणामस्वरूप भारत की धार्मिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक छवि पहली बार विश्व पटल पर प्रभावी ढंग से उद्घाटित हुई थी। हिन्दुत्व को एक संकीर्ण विचारधारा मानने वाले विश्व समुदाय के समक्ष पहली बार उसके भीतर समाए विराट स्वरूप और मानवीय सरोकारों के दर्शन हुए। इस दृष्टि से देखा जाए तो सन् 1893 में अमरीका के शिकागो शहर में हुए विश्व धर्म सम्मेलन ने न केवल स्वामी विवेकानंद को वैश्विक जगत में प्रसिद्धि दिलवाई बल्कि भारत की छवि पर पड़ी धूल को साफ करने का भी काम किया। इसी दृष्टिकोण पर कुछ समय पूर्व 'विश्व धर्म सम्मेलन-1893' शीर्षक से एक पुस्तक प्रकाशित होकर आई है। इसके द्वारा उस सम्मेलन में हुए अनेक विद्वानों के भाषणों को संक्षिप्त रूप से समझने का अवसर तो मिलता है। साथ ही, स्वामी जी के दिव्य उद्बोधन के भी अंश पढ़ने को                     मिलते हैं।

समीक्ष्य पुस्तक के पहले खंड में उस दौर की धार्मिक व सामाजिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डाला गया है। इसके बाद लेखक क्रमश: अगले अध्यायों में स्वामी जी के धर्म सम्मेलन में जाने की तैयारी, अमरीका के लिए उनकी समुद्री यात्रा, धर्म सम्मेलन के पहले, आठवें और पन्द्रहवें दिन से लेकर उसके समापन तक का वर्णन है। पुस्तक के दूसरे खंड में कुछ उल्लेखनीय भाषणों को संकलित किया गया है। 11 सितम्बर, 1893 से 27 सितम्बर, 1893 तक चले इस धर्म सम्मेलन में अलग अलग सत्रों में स्वामी जी द्वारा तेजस्वी वाणी में दिए गए अद्भुत विचारों को पढ़कर अनुमान लगाया जा सकता है कि वे ऐतिहासिक क्षण कैसे रहे होंगे जब स्वामी जी ने हजारों विद्वानों को सम्मोहित कर दिया था। 18 सितम्बर के मध्यान्ह सत्र में हिन्दू धर्म पर दिया गया स्वामी जी का उद्बोधन अभूतपूर्व था। इसमें उन्होंने हिन्दू धर्म के मर्म को कुछ इस रूप में अनावृत्त किया कि वहां उपस्थित श्रोतागण और विद्वान पहले तो उद्वेलित हुए, फिर उनसे प्रभावित हो गए। उनका कहना था, 'हिन्दू धर्म तुम्हें पापी कहना अस्वीकार करता है। तुम तो आत्मा हो। तुम इस मृर्त्युभूमि पर देवता हो। तुम भला पापी? मनुष्य को पापी कहना ही पाप है। यह मानव स्वभाव पर घोर लांछन है। उठो! आओ! हे सिंहों! इस मिथ्या भ्रम को झटककर फेंक दो कि तुम भेड़ हो। तुम तो जरा-मरण रहित नित्यानंदमय आत्मा हो।' उनका यह कथन हिन्दू धर्म की उस विराट मान्यता को सामने लाता है जो मानवता को ही सच्चा और संपूर्ण धर्म मानता है।

शिकागो में स्वामी विवेकानंद द्वारा दिए गए वे भाषण इसलिए भी ऐतिहासिक बन गए क्योंकि उनके पहले किसी भी भारतीय धर्मगुरु ने भारतीयता और हिन्दुत्व की विश्व समुदाय के सामने इतने गहन रूप में व्याख्या नहीं की थी। हिन्दू धर्म की सनातनता, विराटता और विलक्षणता के चलते  जन्मीं कुछ रूढ़ियों को भी स्वामी जी ने सरल व तर्क पूर्ण ढंग से सामने रखा और विश्व को उनसे सहमत होना पड़ा। कहना होगा कि सदियों से तरह-तरह की गुलामी और अराजकता का दंश झेल रहे भारत को उसकी धार्मिक, सांस्कृतिक पहचान की याद दिलाने में स्वामी विवेकानंद की भूमिका अविस्मरणीय रहेगी।

इस पुस्तक को तैयार करते हुए लक्ष्मी निवास झुनझुनवाला ने शिकागो सम्मेलन के शब्द चित्र उकेरने में सफलता पाई है, इसमें कोई संदेह नहीं।

 

पुस्तक का नाम –    विश्व धर्म सम्मेलन-1893

लेखक      – लक्ष्मी निवास झुनझुनवाला

प्रकाशक        –      प्रभात प्रकाशन, 4/19

                    आसफ अली रोड

                    नई दिल्ली- 02

पृष्ठ           – 188  मूल्य – 250 रुपए

दूरभाष               – (011)23289777

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

यह युद्ध नहीं, राष्ट्र का आत्मसम्मान है! : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने ऑपरेशन सिंदूर को सराहा, देशवासियों से की बड़ी अपील

शाहिद खट्टर ने पीएम शहबाज शरीफ को बताया गीदड़

मोदी का नाम लेने से कांपते हैं, पाक सांसद ने पीएम शहबाज शरीफ को बताया गीदड़

ऑपरेशन सिंदूर पर बोले शशि थरूर– भारत दे रहा सही जवाब, पाकिस्तान बन चुका है आतंकी पनाहगार

ड्रोन हमले

पाकिस्तान ने किया सेना के आयुध भण्डार पर हमले का प्रयास, सेना ने किया नाकाम

रोहिंग्या मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद अब कुछ शेष नहीं: भारत इन्‍हें जल्‍द बाहर निकाले

Pahalgam terror attack

सांबा में पाकिस्तानी घुसपैठ की कोशिश नाकाम, बीएसएफ ने 7 आतंकियों को मार गिराया

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

यह युद्ध नहीं, राष्ट्र का आत्मसम्मान है! : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने ऑपरेशन सिंदूर को सराहा, देशवासियों से की बड़ी अपील

शाहिद खट्टर ने पीएम शहबाज शरीफ को बताया गीदड़

मोदी का नाम लेने से कांपते हैं, पाक सांसद ने पीएम शहबाज शरीफ को बताया गीदड़

ऑपरेशन सिंदूर पर बोले शशि थरूर– भारत दे रहा सही जवाब, पाकिस्तान बन चुका है आतंकी पनाहगार

ड्रोन हमले

पाकिस्तान ने किया सेना के आयुध भण्डार पर हमले का प्रयास, सेना ने किया नाकाम

रोहिंग्या मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद अब कुछ शेष नहीं: भारत इन्‍हें जल्‍द बाहर निकाले

Pahalgam terror attack

सांबा में पाकिस्तानी घुसपैठ की कोशिश नाकाम, बीएसएफ ने 7 आतंकियों को मार गिराया

S-400 Sudarshan Chakra

S-400: दुश्मनों से निपटने के लिए भारत का सुदर्शन चक्र ही काफी! एक बार में छोड़ता है 72 मिसाइल, पाक हुआ दंग

भारत में सिर्फ भारतीयों को रहने का अधिकार, रोहिंग्या मुसलमान वापस जाएं- सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

शहबाज शरीफ

भारत से तनाव के बीच बुरी तरह फंसा पाकिस्तान, दो दिन में ही दुनिया के सामने फैलाया भीख का कटोरा

जनरल मुनीर को कथित तौर पर किसी अज्ञात स्थान पर रखा गया है

जिन्ना के देश का फौजी कमांडर ‘लापता’, उसे हिरासत में लेने की खबर ने मचाई अफरातफरी

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies