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संसद पर हमले के दोषी अफजल को फांसी पर लटकाए जाने का जम्मू-कश्मीर के राष्ट्रवादियों ने तो स्वागत किया किन्तु आश्चर्यजनक रूप अलगाववादियों के साथ ही कश्मीर घाटी में मुख्यधारा के कुछ राजनीतिक दलों ने केन्द्र सरकार के इस फैसले की निंदा की। कांग्रेस के साथ गठबंधन कर सत्ता का सुख पाने वाले नेशनल कान्फ्रेंस के मुख्यमंत्री उमर अब्दुला भी इसमें पीछे नहीं हैं।
9 फरवरी की सुबह अफजल को फांसी पर लटकाए जाने का समाचार मिलते ही भाजपा सहित सभी राष्ट्रवादी संगठनों ने इसे 'देरी से उठाया गया एक उचित कदम' बताया और जम्मू सहित कई स्थानों पर युवाओं ने जश्न मनाया। उनका कहना था कि इससे आतंकवादियों का मनोबल कमजोर होगा और यह धारणा टूटेगी कि भारत एक कमजोर देश है। ऐसी ही कुछ प्रतिक्रिया लद्दाख में देखने को मिली। लेकिन कश्मीर घाटी में अलगाववादी तत्व सक्रिय हो गए। तोड़फोड़ की आशंका को ध्यान में रखते हुए और स्थिति पर नियंत्रण रखने के लिए पहले ही कर्फ्यू लगा दिया गया था, इसके बाद भी कुछ स्थानों पर उग्र प्रदर्शन हुए, जिसमें तीन लोगों मारे गए और अनेक घायल हुए।
सबसे विचित्र बात यह है कि मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और उनके सत्तारूढ़ दल नेशनल कांफ्रेंस के साथ ही विरोधी दल पीडीपी ने भी केन्द्र सरकार की कार्यप्रणाली की आलोचना की। इन्होंने अलगाववादियों के स्वर में स्वर मिलाते हुए अफजल गुरू को फांसी दिये जाने को अनुचित और अमानवीय बताया है। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि अफजल को फांसी पर राजनीतिक कारणों से लटकाया गया, जबकि ऐसे कई अन्य विषय लटक रहे हैं। उन्होंने यहां तक कह दिया कि इससे कश्मीर के युवकों में अलगाववादी और भारत से दूरी की भावना बढ़ेगी। केन्द्रीय गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने उमर अब्दुल्ला के वक्तव्य पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की तो उनके पिता व केन्द्रीय मंत्री डा. फारुख अब्दुल्ला ने यह कहकर स्थिति संभाली कि अफजल को कानूनी प्रक्रिया के अन्तर्गत ही फांसी दी गई।
केन्द्रीय स्तर पर माकपा के नेता सीताराम येचुरी ने अपने दल की ओर से केन्द्र सरकार के इस कदम का समर्थन किया किन्तु कश्मीर में इसी दल के नेता तथा विधायक मोहम्मद यूसुफ तारागामी ने अफजल की फांसी को अनुचित और अमानवीय बताया। पूर्व केन्द्रीय गृहमंत्री तथा पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के नेता मुफ्ती मोहम्मद सईद ने अपने ही ढंग से इस विषय पर अलगाववादियों की भाषा बोली और यह सुझाव दिया कि अफजल का शव उसके परिजनों को सौंप दिया जाए ताकि उसे घाटी में दफनाया जा सके। अफजल की फांसी पर राजनीति कर एक-दूसरे से आगे निकलने की होड़ में ये राजनीतिक अलगाववादी दल घाटी का माहौल बिगाड़ने पर आमादा है, जिसके गंभीर दुष्परिणाम हो सकते हैं।
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