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15 दिसम्बर को जलपाईगुड़ी में भव्य जनजाति सम्मेलन स्वामी विवेकानन्द सार्द्घ शती के उपलक्ष्य में संपन्न हुआ। कार्यक्रम में सैकड़ों वनवासी युवक एवं युवतियों ने बीरपाड़ा अस्पताल से एस.टी. क्लब मैदान तक जुलूस निकाला। इस अवसर पर उपस्थित सभी युवक एवं युवतियां पारंपरिक वेश-भूषा में अपने हाथों में भगवा ध्वज लिए हुए थे। इस अवसर पर हुए विशाल जनजाति सम्मेलन में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के केन्द्रीय कार्यकारी मंडल के सदस्य श्री सुनील पद गोस्वामी ने कहा कि आज हम सभी को स्वामी विवेकानन्द के विचारों को अपने जीवन में उतारने की जरूरत है। स्वामी विवेकानन्द कई बार ऐसे आत्मविस्मृति उदाहरण के लिए उस सिंहशावक की कहानी दोहराते थे जो भेडि़यों के झुण्ड में रहकर बड़ा हुआ और भेडि़यों की ही तरह रहता था। फिर एक दिन एक सिंह ने पकड़कर उसे यह अहसास दिलाया कि वह भेडि़या नहीं सिंह है। तब जाकर उस सिंहशावक को अपने मूल स्वरूप का आभास हुआ। श्री गोस्वामी ने कहा कि स्वामी जी ने इसी प्रकार हमारे समाज को उसके मूल स्वरूप का आभास कराकर उसको जागरण करने का अभूतपूर्व कार्य किया है। कार्यक्रम के अध्यक्ष उधोगपति शेरसिंह चौधरी ने कहा कि देश के विकास में युवाओं की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इसलिए युवाओं को चाहिए कि वे स्वामी विवेकानन्द के विचारों से सीख लेकर अपने देश व जीवन को एक उन्नति के मार्ग पर ले जाएं। कार्यक्रम में वनवासी समाज के तीन हजार से ज्यादा लोग उपस्थित थे, जिसमें बच्चे,वृद्घ, महिलाएं सभी शामिल थे।
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