दिल्ली में ‘इन्द्रप्रस्थ नाद’
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ताल, थाप और धुनों का अनोखा संगम
गत 2 अक्तूबर को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ दिल्ली प्रांत द्वारा अम्बेडकर स्टेडियम, दिल्ली में ‘इन्द्रप्रस्थ नाद’ समारोह का आयोजन किया गया। इसमें 807 घोष दल के सदस्यों ने विभिन्न भारतीय रागों पर आधारित धुनें वाद्यों के माध्यम से 24,806 दर्शकों के समक्ष प्रस्तुत की। रात्रि प्रकाश व्यवस्था के बीच स्वयंसेवकों द्वारा भव्य रूप से लयबद्घ तथा विभिन्न आकृतियों में बैैण्ड की प्रस्तुति से दर्शक रोमांचित हो उठे तथा तालियों द्वारा उनका अभिवादन किया। कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह श्री भैया जी जोशी अध्यक्ष के नाते उपस्थित थे। उनके साथ मंच पर उत्तर क्षेत्र के संघचालक श्री बजरंग लाल गुप्त, दिल्ली प्रांत संघचालक श्री कुलभूषण आहूजा, सह-प्रांत संघचालक डा़ श्याम सुन्दर अग्रवाल और पूर्व सेना उपप्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल रवि साहनी उपस्थित रहे।
श्री भैयाजी जोशी ने अपने उद्बोधन में कहा कि आज का यह कार्यक्रम देश के चार महापुरुषों स्वामी विवेकानन्द, महात्मा गांधी, डॉ़ भीमराव अम्बेडकर तथा लाल बहादुर शास्त्री की याद में आजोजित किया गया है, जिन्होंने इस देश को जगाने का प्रयास किया। स्वामी विवेकानन्द का स्मरण करते हुए उन्होंने कहा कि सैकड़ों वर्षों की गुलामी की मानसिकता को मिटाकर स्वामी जी ने हिन्दुओं के मन में गौरव जगाया। उन्होंने कहा कि देश के सभी वर्गों को एक कर गांधी जी ने उनके मन में देशभक्ति को जगाने का कार्य किया। उन्होंने समाज में व्याप्त विषमताओं को समाप्त करने का प्रयत्न किया। जिस वर्ग को समाज दुर्बल मानता है उस वर्ग के प्रति आत्मीयता का भाव रखकर उनके उत्थान का कार्य किया। उन्होंने कहा कि बाबा साहेब ने सब प्रकार की विषमताओं को झिटक कर पढ़ेंगे, बढ़ेंगे, शिक्षित होंगे, संगठित होंगे और हम अपने लिए सब प्रकार के न्याय को प्राप्त कर के रहेंगे, इस प्रकार का आत्मविश्वास उस दुर्बल समाज में जगाने का प्रयास किया और हम सबके लिए संविधान गठित किया। लाल बहादुर शास्त्री का स्मरण करते उन्होंने कहा कि अत्यंत सामान्य परिवार में जन्मे शास्त्री जी ने अपने छोटे से प्रेरणादायी प्रधानमंत्री काल में ही इस देश के लोगों के मन में श्रद्घा व सम्मान का स्थान प्राप्त कर लिया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ इन्हीं भावनाओं को लेकर गत 85 वर्षों से समाज जागरण तथा व्यक्ति निर्माण का कार्य कर रहा है।
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