चित्रकूट में ‘स्वामी विवेकानंद जी के जीवन में एकात्म मानव दर्शन’ पर संगोष्ठी
|
सकारात्मक सोच रखें, सपने साकार होंगे
गत 25 सितम्बर को चित्रकूट की उद्यमिता विद्यापीठ के विवेकानंद सभागार में ‘स्वामी विवेकानंद जी के जीवन में एकात्म मानव दर्शन’ विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस संगोष्ठी में भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री नितिन गडकरी एवं श्रीमती कंचन गडकरी, रामकृष्ण मिशन वाराणसी के स्वामी वरिष्ठानंद जी, रावतपुरा सरकार महाराज जी, मौलाना जकवान नदवी, स्कॉटलैण्ड यू़ के. के डॉ़ क्रेफर्ड ग्रे, डॉ़ महेशचन्द्र शर्मा, दीनदयाल शोध संस्थान के उपाध्यक्ष श्री शंकर प्रसाद ताम्रकार, प्रधान सचिव भरत पाठक, संगठन सचिव अभय महाजन, उद्यमिता विद्यापीठ की निदेशक डॉ़ नंदिता पाठक सहित छ़ह राज्यों के 635 ग्रामों के 1530 प्रतिभागी शामिल हुए।
उद्घाटन सत्र में स्वामी विवेकानंद जी के जीवन दर्शन पर प्रकाश डालते हुए डॉ़ महेशचन्द्र शर्मा ने कहा यदि हम स्वामी जी के एक-एक वाक्य पर शोध कर उससे प्रेरणा लेकर उसे अपने जीवन व्यवहार में उतारें तो निश्चय भारत महान बनेगा। वे भारत के हर नवयुवक से कहते थे कि वीर बनो, साहसी बनो, जो साहस नहीं कर सकता वह कभी कुछ भी प्रेरणादायी कार्य नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानन्द 39 वर्ष में ही देश दुनिया को बहुत कुछ दे गये। अत: आज की इस गोष्ठी की सार्थकता तभी होगी जब हम उनके दिये गये चिंतन को अपने-अपने व्यवहार में उतारें।
गोष्ठी को आगे बढ़ाते हुए मौलाना जकवान नदवी ने कहा कि स्वामी जी अपने युवा मित्रों से कहते थे सबल बनो, फुटबॉल आपको ईश्वर के नजदीक ले जायेगा। अर्थात् एकाग्रता के साथ-साथ शरीर भी मजबूत बनाने की प्रेरणा। स्वामी जी की बुद्घिमता का उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि वे ग्रंथालय से एक पुस्तक लाते थे और दूसरे दिन दूसरी पुस्तक ले आते थे। पुस्तकालय की देख-रेख कर रहे कार्यकर्ता को आश्चर्य हुआ क्या ये पुस्तक आप पढ़ चुके हैं? तो स्वामी जी ने कहा कि अभी तक मेरे द्वारा ली गई पुस्तकों के बारे में जो कुछ भी पूछना हो पूछ लीजिये। एक विदेशी महिला ने स्वामी जी से पूछा मैं आपकी क्या सेवा कर सकती हूं? तो स्वामी जी ने उत्तर दिया कि आप भारतमाता से प्रेम करो। स्वामी जी का युवाओं से यही आवाह्न रहता था कि आप दृढ़ संकल्पी बनें, दरिद्रनारायण की सेवा करें महिलाओं का सम्मान करें। मौलाना जकवान नदवी ने कहा रामराज्य वह है जिसमें नफरत नहीं है जिसमें नफरत है वह रावण राज्य है।
स्वामी वरिष्ठानंद जी ने विवेकानंद जी के बारे में अनेक छोटे-छोटे उदाहरणों के माध्यम से समझाया कि हमें सर्वप्रथम चरित्र की पवित्रता पर विशेष ध्यान देना चाहिये। घृणा मुक्त रहना चाहिये, दीन दुखियों की सेवा करनी चाहिये। डॉ़ क्रेफर्ड ग्रे ने अपने उद्बोधन में कहा कि मैं राष्ट्रऋषि नानाजी से जब से जुड़ा तब से मुझे काफी नई-नई जानकारी अर्जित करने की प्रेरणा मिली। इसी प्रेरणा का परिणाम है कि मैं एकात्म मानववाद के चिंतक पं़ दीनदयाल उपाध्याय एवं स्वामी विवेकानंद जी के बारे में काफी कुछ जान पाया।
श्री नितिन गडकरी ने विवेकानंद जी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उन्होंने अल्पायु में ही अपने विचारों से दुनियां को जीवन जीने की कि दिशा दिखाई। उन्होंने कहा कि व्यक्ति स्वयं ही अपने भाग्य का निर्माता है। व्यक्ति जब स्वयं का निर्माण करेगा तभी परिवार, समाज, और राष्ट्र उन्नति के शिखर पर जा सकता है। उन्होंने कहा कि दृढ़ इच्छा शक्ति व सकारात्मक सोच ही सपनों की प्राप्ति का सबसे बड़ा आधार है। कथनी और करनी में अंतर विकास का परिचायक नहीं हो सकता। ज्ञान-विज्ञान, तंत्र विज्ञान व संस्कृति का तकनीकी के साथ समन्वय विकास का मंत्र होना चाहिये।
विदेशी वस्तुओं का प्रयोग बंद करो: अ. भा. ग्राहक पंचायत
गत दिनों अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत की राष्टीय कार्यकारिणी एवं कार्यकारी परिषद की बैठक श्री दिगबर जैन समाज काशी,भेलपुर,वाराणसी में सम्पन्न हुई। इसमें 23 प्रांतों से 204 सदस्यों ने भाग लिया।
कार्यक्रम का शुभारम्भ पैसेफिक विश्वविद्यालय के कुलपति भगवती प्रकाश एवं प्रांत संघचालक व वाराणसी के महापौर राम गोपाल मोहले ने किया। इस अवसर पर श्री भगवती प्रकाश ने अपने संबोधन में कहा कि आज भारतीय अर्थव्यवस्था में प्रतिदिन नित नए बदलाव आ रहे हैं जिससे चुनौतियां भी बढ़ रही हैं। ग्राहकों को चाहिए कि विदेशी वस्तुओं का प्रयोग बंद कर स्वदेशी अपनाएं ताकि देश की अर्थव्यवस्था मजबूत हो। इस अवसर पर राष्टीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डा. कृष्ण गोपाल ने अपने संबोधन में कहा कि विदेशी विद्यालयों में शिक्षा प्राप्त नौकरशाही और राजनेताओं के चलते अर्थव्यवस्था व देश की हालत बिगड़ती जा रही है। एक दूसरे को प्रताड़ित कर अधिक से अधिक दौलत कमाने की प्रवृत्ति देश के विकास में बाधक है। इस अवसर पर दो प्रस्ताव भी पारित किए गए। पहले प्रस्ताव में कहा गया है कि राजनीतिक दल ग्राहक पंचायत की मांगों को अपने चुनाव घोषणापत्र में सम्मिलित करें। दूसरे प्रस्ताव में कहा गया है कि तेल का आयात कम कर विदेशी मुद्रा बचाएं।
टिप्पणियाँ