|
आवरण कथा 'उमड़ता जन-ज्वार' बताती है कि गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता दिनों-दिन बढ़ती जा रही है। हमारे यहां हैदराबाद में उनकी रैली बहुत ही सफल रही थी। आंध्र प्रदेश में भाजपा का अभी तक कोई अच्छा जनाधार नहीं है। इसके बावजूद बड़ी संख्या में लोग नरेन्द्र भाई की रैली में आए। भाजपा द्वारा आयोजित यह पहली रैली थी जिसमें लोग पैसा देकर नरेन्द्र मोदी का भाषण सुनने पहुंचे थे।
-प्रमोद प्रभाकर वालसंगकर
1-10-81,रोड न- 8बी,द्वारकापुरम
दिलसुखनगर,हैदराबाद-500060(आं.प्र.)
े रैलियों में नरेन्द्र मोदी के मुख से निकला हर शब्द कांग्रेसी कुशासन को उखाड़ फेंकने में जनता के लिए अहम मंत्र बन गया है। गुजरात दंगे को लेकर फैलाया गया भ्रम और सी बी आई का शिकंजा उल्टा नरेन्द्र मोदी के लिए वरदान साबित हो रहा है। लोग उनको सुनने के लिए उमड़ रहे हैं। नरेन्द्र भाई की भाषण शैली बहुत ही आकर्षक है। ऐसा लगता है कि वे लोगों से सीधा संवाद करते हैं।
-हरिओम जोशी
चतुर्वेदी नगर, भिण्ड(म .प्र.)
े भोपाल की रैली में साढ़े सात लाख से भी अधिक लोग आए। रैली में आए सात लाख इकतीस हजार लोगों ने तो प्रवेश पत्र खरीदा था। इतनी बड़ी राजनीतिक रैली शायद ही कहीं हुई होगी। यही कारण है कि इस रैली में आए लोगों की संख्या जांचने के लिए गिनीज बुक अफ वर्ल्ड रिकार्ड का दल भी आया था। इस रैली में बड़ी संख्या में मुस्लिम भी आए थे। इस कारण दूसरे राजनीतिक दल विशेष रूप से कांग्रेस नरेन्द्र मोदी से भयभीत है।
-ठाकुर सूर्य प्रताप सिंह सोनगरा
काण्डरवासा,जिला-रतलाम (म.प्र.)
े कांग्रेसी कुकमोंर् से आम आदमी बहुत परेशान है। लोगों की आमदनी कम हो रही है और महंगाई बढ़ती जा रही है। संप्रग सरकार से लोग नाउम्मीद हो चुके हैं। उन्हें लगने लगा है कि यदि कोई कुछ कर सकता है वह नरेन्द्र मोदी हैं। आज समय का तकाजा है कि नरेन्द्र मोदी की रैलियां पूरे देश में अधिक से अधिक हों। लोगों में यह विश्वास जगाया जाए कि कांग्रेस-मुक्त भारत में ही सुख-समृद्घि आ सकती है। जब तक कांग्रेस है तब तक भारत कमजोर होता रहेगा।
-पारूल शर्मा
36,तीरथ कालोनी,हर्रावाला
देहरादून-248001(उत्तराखण्ड)
े नरेन्द्र मोदी के आगे आने से ही देश में एक अलग माहौल बन गया है। इसलिए उनकी रैलियों में जन सागर उमड़ पड़ता है। यह कोई साधारण बात नहीं है कि उनकी रैलियों में लाखों की संख्या में लोग आ रहे हैं। इस समय देश में इतनी भीड़ खींचने वाला दूसरा कोई नेता नहीं है।
-बी.आर. ठाकुर
सी-115,संगम नगर, इन्दौर (म.प्र.)
े देश में घट रहीं धटनाओं से लगता है कि मोदी की जीत की बढ़ती संभावनाओं के कारण राजनैतिक पार्टियां अपने समीकरण बदलने को मजबूर हो रही हैं। पहले के राजग के सहयोगी दल या तो भाजपा के साथ आने की भूमिका बनाने में लगे हैं और साथ ही शरद पवार जैसे कांग्रेस के सत्ता सहयोगी भी नितिन गडकरी की सभा में यह कहते सुने गए कि राजनीति तथा सामाजिक कार्य में कोई अछूत नहीं होना चहिये। अपना भविष्य सुरक्षित करने की दृष्टि से नेताओं ने अपने वर्तमान दल से अपनी निष्ठाएं बदलनी प्रारम्भ कर दी हैं। वर्तमान में निष्ठा परिवर्तन कर मोदी से जुड़ने का उपक्रम भी मोदी के समर्थन में जुटने वाली भीड़ को ध्यान में रख कर किया जा रहा है।
-लक्ष्मी नारायण गुप्ता
बी, एन -ब्लाक पटेल नगर सिटी सेंटर
ग्वालियर (मध्य प्रदेश)
भारत है या पाकिस्तान
यह पढ़कर बड़ा दु:ख हुआ कि मुजफ्फरनगर के दंगों के सिलसिले में पुलिस निर्दोष हिन्दुओं को पकड़कर जेल में डाल रही है। वहां की महिलाओं ने इस कार्रवाई का विरोध करके अच्छा संकेत दिया है। पहले यह पढ़ते थे कि पाकिस्तान में हिन्दुओं के साथ बहुत अन्याय हो रहा है,पर अब यह सब कुछ भारत में होने लगा है। यह भारत है या पाकिस्तान? मुस्लिम वोट के लिए यहां के सेकुलर नेता इस सीमा तक गिर जाएंगे,यह एक आम आदमी को कल्पना नहीं है।
-हरेन्द्र प्रसाद साहा
नया टोला,कटिहार-854105(बिहार)
दुर्भाग्यपूर्ण खामोशी
केन्या के एक मॉल में और पाकिस्तान में एक चर्च में हुए बम विस्फोट पर आधारित रपट ह्यदुनिया ने देखा इस्लाम का खुनी चेहराह्ण पढ़ी। यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण और शर्मनाक है कि इस्लामी आतंकवाद पर भारत के सेकुलर राजनीतिक दल और लोग खामोश हैं। इस आतंकवाद का तीव्र विरोध नहीं होने की वजह से यह कभी केन्या में कभी कवाल में, कभी करांची में अपना खूनी चेहरा दिखाता है। जिहादी आतंकवाद का वैश्विक विरोध होना चाहिए।
-मनोहर मंजुल
पिपल्या-बुजुर्ग, पश्चिम निमाड़-451225(म.प्र.)
जयचंद्रा जी से कुछ सीखिए
इस अंक में एक समाचार पढ़ा कि दिल्ली के कड़कड़डूमा न्यायालय के न्यायाधीश ए.एस. जयचंद्रा ने हिन्दी में निर्णय दिया है,जबकि वे एक दक्षिण भारतीय हैं। उनका यह कार्य बहुत ही सराहनीय है। दक्षिण भारतीय होते हुए भी उन्होंने हिन्दी में निर्णय दिया,यह कोई कम बात नहीं है। न्यायमूर्ति जयचंद्रा से उन लोगों को कुछ सीख लेनी चाहिए जो हिन्दी में पूछे गए किसी बात का उत्तर अंग्रेजी में देते हैं। इन न्यायाधीश महोदय का सम्मान किया जाना चाहिए।
-उदय कमल मिश्र
गांधी विद्यालय के समीप, सीधी-486661(म.प्र.)
अजीब देश
कुछ दिन पहले पढ़ने में आया था कि महाराष्ट्र में बच्चे कुपोषण के शिकार हो रहे हैं। यह देश भी अजीब है। एक ओर तो कुछ लोग दिन-प्रतिदिन करोड़पति बन रहे हैं, तो दूसरी ओर कुछ लोग भूख से तड़प रहे हैं। करोड़ों बच्चों को पौष्टिक खाना तक नहीं मिल पाता है। यह उस भारत के लिए शर्म की बात है जो महाशक्ति बनने का सपना देखता है।
-डा. प्रकाश
अमरीकन होमियो क्लीनिक
ईलम राम चौक,बेतिया, पूर्वी चम्पारण(बिहार)
टिप्पणियाँ