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मुजफ्फरनगर-शामली दंगा प्रकरण
दशहरे पर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सात जिलों में
नग्न और सतत् मुस्लिम तुष्टीकरण की सपाई नीति ने इसकी सरकार को बुराई का प्रतीक बना दिया है। इस कारण पश्चिमी उत्तर प्रदेश के गुस्साए लोगों में इस बार दशहरे के दिन रावण-कुंभकरण-मेघनाद के स्थान पर मुलायम-आजम खां- अखिलेश के पुतले जलाने की होड़ मची। मुजफ्फरनगर, शामली, सहारनपुर, बागपत, बुलंदशहर, हापुड़ और मेरठ जिलों के कम से कम तीस गांवों-कस्बों में इन्हीं नेताओं के पुतले जलाये गये। कहीं-कहीं जलाने से पहले पुतलों को गांव में घुमाते हुए, जूते-चप्पलों आदि से पीटकर बेइज्जत करते हुए दहन-स्थल पर लाया गया था। जहां मुजफ्फरनगर और शामली जिलों में इन पुतला-दहन कार्यक्रमों की बागडोर मुख्यत: महिलाओं के हाथ में रही, अन्य जिलों में पुरुषों ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।
इन सभी कार्यक्रमों में यूपी पुलिस और केन्द्रीय सुरक्षा बलों को लोगों ने खूब चकमे दिए। सर्वाधिक चुनौतीपूर्ण पुतला-दहन सम्पन्न हुआ जिला मुजफ्फरनगर के नगला मुबारिक में। यहां 5 अक्तूबर को ही महिलाओं ने घोषणा कर दी थी कि यदि मुजफ्फरनगर-शामली दंगों के संदर्भ में सरकार ने हिन्दुओं का एकपक्षीय उत्पीड़न बंद नहीं किया, दो भाजपा विधायकों और एक गुर्जर नेता पर से रासुका नहीं हटाई तो गांव में काला दशहरा मनाते हुए इस बार रावण, कुंभकरण, मेघनाद की जगह सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव, कैबिनेट मंत्री आजम खां और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के पुतलों का दहन होगा। इस पूर्व घोषणा के चलते गांव में सीआरपीएफ जवानों सहित सिखैड़ा थाने के इंस्पेक्टर प्रदेश पुलिस बल के साथ मौजूद थे। उन्होंने ग्राम प्रधान आदि से पुतले न जलाने का आश्वासन भी ले लिया था। पर दोपहर करीब तीन बजे महिलाओं ने तमाम पुलिस बल को चकमा देते हुए तीनों नेताओं के पुतलों को आग के हवाले कर डाला। सिखैड़ा थाना क्षेत्र के ही जंघेड़ी तथा मोघपुर ग्रामों में भी महिलाओं के नेतृत्व में सपा नेतृत्व के पुतले जलाए गए। ततावी-पिलाना थानों के हैदरनगर, जलालपुर और अमीनगर में भी महिलाओं ने मुलायम-आजम-अखिलेश के पुतलों का दहन किया। महिलाओं ने सपा शासन में फर्जी नामजदगी द्वारा निर्दोष हिन्दू युवकों को गुनहगार बना देने का आरोप लगाया।
शामली जिले में भाजपा विधायकों पर रासुका एवं एकपक्षीय कार्रवाई के विरोध में बहावड़ी, गोगवान, उस्मानपुर और लिलौन में तीनों सपा नेताओं के पुतले आग में झोंके गए। यहां बीस अक्तूबर को हरड़ में महापंचायत करने का भी ऐलान किया गया। इस हेतु जिलाध्यक्ष अभय चौधरी के नेतृत्व में कार्यकर्ताओं ने पांवटीकला, भूरा, कंडेला, जगनपुर, गुजरपुर, मालैंडी, खंदरावली ग्रामों का दौरा कर महापंचायत को सफल बनाने का आह्वान किया।
सहारनपुर जिले के गंगदासपुर, मिरगपुर और सहजवा ग्रामों में युवाओं ने सपा नेताओं का पुतला-दहन किया। एकत्र जनसमूहों ने सपा के बहिष्कार का फैसला लिया।
बागपत जिले के लघवाड़ी गांव में आजम खां के पुतले को लाठी-डंडों और जूते-चप्पलों से पीटते हुए जलाया गया। बड़ौत के निकट वाजिदपुर तथा खेकड़ा के पास बड़ागांव में भी आजम के पुतलों का दहन हुआ।
मेरठ जिले में तहसील सरधना के छुर, महादेव, भीसोना, खेड़ा, डाहर, कालंदी, करनावल, मवाना के निलोहा और खरखौदा के धनतला ग्रामों में भी पुतले जलाये गये।
हापुड़ जिले के धैलाना क्षेत्र-स्थित सपनावत गांव में भाजपा नेत्री मधुबाला देवी के नेतृत्व में मातृशक्ति ने मुलायम- आजम के पुतलों को आग लगाई। धौलाना के भी आठ से ज्यादा निर्दोष युवक पुलिस द्वारा उठा लिए गए हैं। इसे लेकर तथा अन्यत्र एकतरफा कार्रवाइयों से लोगों में गुस्सा उबल रहा है। बुलंदशहर जिले में गुलावठी के चार गांवों- नयाबांस, बरमंदपुर, समकोला व भोगपुर में दशहरे पर मुलायम-आजम के पुतले फूंके जाने के समाचार हैं। अजय मित्तल
रामलीला में मजहबी उन्मादियों ने की पत्थरबाजी
गत दिनों मुजफ्फरनगर जिले में हुई साम्प्रदायिक हिंसा के बाद एक बार फिर साम्प्रदायिक तत्वों ने माहौल बिगाड़ने की कोशिश की। शरारती तत्वों ने 11 अक्तूबर की रात को मुजफ्फरनगर के कवाल कस्बे में रात के समय हो रही रामलीला के दौरान पत्थरबाजी की, जिसके बाद दर्शकों में भगदड़ मच गई,भागने के समय कई महिलाओं के घायल होने के समाचार भी प्राप्त हुए हैं। स्थानीय नागरिक सतबीर की पत्नी सविता इस पत्थरबाजी में घायल हुई एवं एक अन्य महिला भी घायल हुई जिसकी हालत चिंताजनक है।
उल्लेखनीय है कि मुजफ्फरनगर में दंगाइयों द्वारा हिंदुओं के ऊपर प्रतिदिन हमले किए जा रहें हैं। ऐसे ही एक हमला 10 अक्टूबर को किया गया,जिसमे 2 लोगों को गोली से मार दिया गया था।
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