देश के नेतृत्व का दब्बूपन
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जनरल डायर ने दांत निपोरते हुए कहा था कि मुझे पता है कि जलियांवालां बाग से भागने का कोई रास्ता नहीं था। इसीलिए तो मैंने अन्धाधुंध गोलियां चलवायी थी। उसी प्रकार आज पाकिस्तान के जनरलों को पता है कि अंग्रेज कमिश्नर ए.ओ. ह्यूम द्वारा बनाई गयी कांग्रेस के नेतृत्व में यू.पी.ए. का राज है, तथा चारों ओर से भारत के पास भागने का कोई रास्ता नहीं है। भारत में आतंकवाद की नर्सरी तैयार करना उसका प्रमुख उद्देश्य है। जबकि दूसरी ओर हमारे देश की सरकार कड़ा विरोध, न बर्दाश्त होने वाला विरोध, कायराना हमला, कड़ी चेतावनी जैसे नए-नए शब्दों से प्रतिक्रिया व्यक्त करने की अभ्यस्त बन चुकी है। उसे लगता है कहीं हमने पाकिस्तान को उठा-बैठक करवायी तो हमारे वोट न प्रभावित हो जाएं, क्योंकि कांग्रेस ने भारतीय मुस्लिमों को वीर अब्दुल हमीद, अश्फाक उल्ला खां, खान अब्दुल गफ्फार खां, अबुल कलाम आजाद जैसे बनने के लिए कभी प्रेरित ही नहीं किया। उसने तो हमेशा वोट बैंक की नीति पर चलने की कोशिश की। इसलिए अपने कुकमोंर् से कांग्रेस दब्बूपन की भाषा बोलती है।
अमरीका ने अपने यहां हुए आतंकी हमले के सबसे बड़े गुनहगार लादेन को उसकी मांद से खींचकर वहां भेज दिया, जहां उसे जाना चाहिए था। जबकि भारत में तो ऐसे भी देशभक्त नेता धरती पर बोझ बन चुके हैं जो लादेन के हमशक्ल को लेकर अपना चुनाव प्रचार करते हैं। अपने सैनिकों के सिर कलम किए जाने के तुरंत बाद भारत के विदेशमंत्री सलमान खुर्शीद पाकिस्तानी प्रधानमंत्री की अजमेर आने पर अगवानी करते हैं और दावत देते हैं। क्या इसी देशभक्ति से देश सुरक्षित रहेगा? देश को अमरीका से सबक लेना चाहिए जिसने आज ही नहीं प्रथम और द्वितीय विश्वयुद्धों में भी अपने दुश्मनों को नेस्तनाबूद कर दिया था।
द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान 7 दिसम्बर, 1941 को प्रशान्त महासागर में स्थित अमरीका के नौसैनिक अड्डे पर्ल हार्बर पर जापान ने बम-वर्षा करके उसे बुरी तरह नष्ट कर दिया जिसमें हजारों नौसैनिक मारे गए। लेकिन जापान भी कमजोर नहीं है उसने 60-65 सालों में फिर से दुनिया के प्रगतिशील देशों में अपना स्थान पुन: बना लिया। हमारे देश को आजाद हुए 66 साल हो गए परन्तु हम नीचे की ओर खिसकते गए। इस देश में अधिकांश समय तक उन्हीं का राज रहा जो अपनी ही तिजोरियां भरते रहे। देशभक्ति के अलावा हमने सब कुछ पढ़ाया, इस कारण हमारी सीमाएं भी संकुचित होती चली गईं।
1947 में देश विभाजन के तुरंत बाद 20 अक्तूबर को पाकिस्तान ने भारत पर पहला आक्रमण कर दिया। प्रधानमंत्री नेहरू कश्मीर को सुरक्षित रखने में ज्यादा रुचि नहीं रखते थे, क्योंकि वहां महाराजा हरी सिंह का राज था और महाराजा यह राज नेहरू के चहीते शेख अब्दुल्ला को सौंपने के लिए तैयार नहीं थे। नेहरू ने 27 अक्तूबर को अंग्रेज थल सेनाध्यक्ष से कहा कि केवल श्रीनगर और झेलम घाटी की रक्षा करो। फिर भी सेना ने कदम बढ़ाकर पाक कबाइलियों को खदेड़ा। कश्मीर की पूर्ण मुक्ति एक दो दिन ही दूर रह गयी थी किन्तु नेहरू ने आकाशवाणी पर युद्ध विराम की घोषणा कर दी, कश्मीर का 2/5 भाग पाकिस्तान ने छीन लिया। सरदार पटेल ने कहा था कि अपनी इस गलती के लिए जवाहर पछताएंगे। सितम्बर, 1965 से प्रत्यक्ष युद्ध शुरू हो गया। प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री के संकेत पर सेना ने पाकिस्तान को कुचल दिया। हमारे देश की सेनाएं लाहौर की ओर बढ़ती जा रही थीं। किन्तु ताशकन्द समझौते में देश के साथ सबसे बड़ा छल हुआ। प्रधानमंत्री को अपनी जान गंवानी पड़ी और भारत ने एक बार जीती जमीन फिर वापस कर दी। 1997 में पाकिस्तान ने फिर वही दुष्टता दिखायी।
पाकि स्तान और चीन मिलकर भारत के खिलाफ षड्यंत्र रचते रहे हैं। इसीलिए 1963 में पाकिस्तान के कब्जे वाले में सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण 6500 वर्ग किमी. का हुंजा क्षेत्र पाक ने चीन को दे दिया और बदले में चीन का 1442 वर्ग किमी. का एक क्षेत्र चीन से ले लिया। आज जम्मू-कश्मीर का 35 प्रतिशत हिस्सा पाकिस्तान के कब्जे में तथा 9 प्रतिशत हिस्सा चीन के कब्जे में और शेष 46 प्रतिशत भारत के कब्जे में है। चीनी गिद्ध दृष्टि अरुणाचल प्रदेश के 83743 वर्ग किमी. पर भी है। जम्मू-कश्मीर नियंत्रण रेखा 4029 किमी. पाकिस्तान से तथा 520 कि.मी. चीन से लगी हुई है। 4096 किमी. बंगलादेश से सटी सीमा हैं जहां असम में घुसपैठ को मदद देने वाली कांग्रेसी सरकार है। नेपाल व बंगलादेश की दूरी मात्र 2 कि.मी. है जो सामरिक दृष्टि से ह्यचिकेन्स नेकह्ण कही जाती है। अर्थात् सरलता में मरोड़ने लायक। जिससे पूर्वोत्तर भारत के 7 राज्य कट जाएंगे। चीन और बंगलादेश की दूरी भी तिब्बत पर चीनी कब्जे बाद मात्र 90 किमी. है। 587 किमी. में भूटान तथा 1458 कि.मी. में म्यांमार और 1752 कि.मी. में नेपाल की खुली सीमा है, जहां सामान्य जांच पड़ताल के बाद आना-जाना है। यहां से घुसपैठ, मादक द्रव्यों की तस्करी, हथियारों सहित आतंकवादियों का आना और जाली नोटों का व्यवसाय सुविधाजनक ढंग से होता है। नेपाली सीमा पर मदरसों और मस्जिदों का सुनियोजित जाल है। चीन नागालैण्ड, मणिपुर व मिजोरम के आतंकवादियों की मदद करता है।
चीन हमारे देश के कश्मीरी तथा अरुणाचल प्रदेश के नागरिकों को भारत के अन्य नागरिकों की भांति पासपोर्ट पर वीजा नहीं देता है। चीन का यह रवैया हाल में प्रारम्भ नहीं हुआ है। माओत्से तुंग भी नेपाल, भूटान, लद्दाख, अरुणाचल व सिक्किम आदि को चीन की अगुंलियां कहते थे। तिब्बत पर चीन का अधिकार है। अरुणाचल प्रदेश का तवांग कभी तिब्बत का हिस्सा था, इसलिए तवांग पर चीन अपना अधिकार मानता है। चीन ने पाकिस्तान को विगत अभी युद्धों में भारत के खिलाफ कूटनीतिक समर्थन किया है। आने बलूचिस्तान के ग्वादर में बंदरगाह बनाकर सैनिक अड्डे का रूप दिया है। चीन नेपाल-और म्यांमार तक रेलवे लाइन बिछा रहा है।
हमारे देश की खुफिया एजेंसियां अपने इन खतरनाक पड़ोसियों पर नजर रखने में पूरी तौर से सफल नहीं रही हैं। 1954 से 57 के दौरान चीन ने सिंक्यांग से तिब्बत को जोड़ने के लिए पश्चिमी लद्दाख के भारतीय क्षेत्र से होते हुए सामरिक महत्व की सड़क बना ली। जरूरत यह है कि भारत अपने स्वाभिमान के साथ कोई समझौता न करे। साकेन्द्र प्रताप वर्मा
घृसखोरी के आरोपों से घिरे अति महत्वपूर्ण हेलीकाप्टर सौदे को रक्षा मंत्रालय ने रद्द करने की प्रक्रिया आरम्भ कर दी है। इटली से मिले दस्तावेजों और मामले की सीबीआई जांच में मिले साक्ष्यों के बाद रक्षा मंत्रालय ने अगस्ता वेस्टलैंड कम्पनी को सौदा रद्द करने का नोटिस दिया है। खरीद के दौरान 350 करोड़ रुपये की रिश्वत के आरोपों से घिरे इस सौदे में ब्रिटिश कम्पनी को 4 हफ्ते के अन्दर अपना जवाब प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है।
यद्यपि रक्षा मंत्रालय ने यह कदम कानून मंत्रालय और महान्यायवादी से सलाह के बाद उठाया है। इटली की कंपनी फिनमैकेनिका की सहयोगी ब्रिटिश कम्पनी अगस्ता-वेस्टलैंड के खिलाफ सौदे में ईमानदारी बरतने के लिए हुए ह्यइंटीग्रिटी पैक्टह्ण के उल्लंघन का भी मामला बनता है। तथापि घूसखोरी को लेकर मिले अनेक साक्ष्य मंत्रालय को सौदा रद्द करने की प्रक्रिया के लिए पर्याप्त आधार देते हैं।
उल्लेखनीय है कि फरवरी 2013 में 3600 करोड़ रुपये के इस सौदे में घूसखोरी के आरोप के संबंध में फिनमैकेनिका और अगस्ता-वेस्टलैंड के शीर्ष अधिकारियों को गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद भारतीय रक्षा मंत्रालय ने इस की जांच सीबीआई को सौंपने के साथ ही सौदे के तहत हेलीकाप्टरों की खरीद और भुगतान की अगली किश्त रोक दी थी। अगस्त 2013 में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक(कैग) ने भी सौदे पर सवाल खडे़ किए
भारतीय तीरंदाजों के साथ चीन की शरारत
गत दिनों अरुणाचल प्रदेश की दो महिला तीरंदाजों को नई दिल्ली के हवाई अड्डे पर चीन की यात्रा पर जाने से रोक दिया गया। दोनों ही तीरंदाज चीन के वूजी शहर में होने वाली विश्व तीरंदाजी प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए जा रहीं थी। 13 से 20 अक्तूबर तक चीन में सम्पन्न इस प्रतियोगिता में दोनो ही तीरंदाजों को नत्थी (स्टेपल्ड) वीजा जारी किया गया था। 16 वर्षीय सोरांग यूमी और मशेलो मीहू को चीन की विमान कंपनी के अधिकारियों ने यह कह कर नहीं चढ़ने दिया कि उनके पास सही वीजा नहीं हैं। इस घटना पर भारतीय जनता पार्टी की अरुणाचल इकाई ने चीन सरकार की निंदी की। और को लेकर भाजपा ने राष्ट्रपति को एक पत्र लिखा है। भाजपा द्वारा राष्ट्रपति को लिखे पत्र में कहा गया है कि भाजपा 2011 से विरोध करते अरुणाचल प्रदेश के निवासियों के वीजा प्रकरण को गम्भीरता से लेती रहीं है। चीन ने एक बार फिर स्टेपल वीजा को लेकर दो खिलाडि़यों को अन्तरराष्ट्रीय खेल में शामिल होने से रोका है। जिसका गलत प्रभाव हमारे इन खिलाडि़यों पर एवं आने वाले खिलाडि़यों पर पड़ रहा है। इस घटना ने पूरे अरुणाचल प्रदेश के लोगों की भावनाओं को आहत किया है। लेकिन भारत सरकार चीन के साथ स्टेपल वीजा को लेकर स्पष्ट बात करने के प्रति गम्भीर नहीं है। भाजपा ने राष्ट्रपति से मांग की है कि भारत सरकार चीन के साथ बातचीत करके वीजा विवाद का हल निकाले ताकि इस प्रकार के विवाद सदैव के लिए समाप्त हो जाए और,अरुणाचल प्रदेश के निवासियों के साथ चीन ऐसा अपमानजनक व्यवहार करने से बाज आए।
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