केरल में आतंकी शिविर भर्ती मामलाविशेष न्यायालय ने दी13 को उम्रकैद की सजा
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राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की विशेष अदालत ने मंगलवार को 13 आरोपियों को कश्मीर में आतंकवादी शिविरों के लिए केरल के युवाओं को भर्ती करने का दोषी पाया है। गत एक अक्तूबर को एनआईए के विशेष न्यायाधीश एस़ विजय कुमार ने सेवानिवृत्त होने के ठीक एक दिन बाद मामले की विशेष सुनवाई करते हुए 13 लोगों को दोषी करार दिया था। न्यायालय ने सजा सुनाने के लिए 4 अक्तूबर का दिन निश्चित किया था। इस दिन सभी आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई। न्यायालय ने कहा कि सभी आरोपियों पर देश के विरुद्ध युद्ध छेड़ने का आरोप साबित होता है। इसके लिए न्यायालय आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा देने का आदेश देता ।
आरोपियों में से चार को दोहरी उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। जबकि सबूतों के अभाव में पांच अभियुक्तों को बरी कर दिया गया। इन चारों में टी़ नजीर भी शामिल है जो आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का दक्षिण भारत में स्वयंभू सरगना है। नजीर और उसके एक सहयोगी को मेघालय में भारत बांग्लादेश सीमा के पास से गिरफ्तार किया गया था। वह वर्ष 2006 में कोझिकोड में हुए दोहरे बम विस्फोट के मामले में पहले से ही उम्रकैद की सजा काट रहा है।
उल्लेखनीय है कि आतंकी शिविरों में युवाओं की भर्ती किए जाने का यह मामला वर्ष 2008 में सामने आया था। जबकि जम्मू एवं कश्मीर में सुरक्षा बलों ने आतंकवादी होने के संदेह में पांच युवकों को गोली मार दी थी, मगर बाद में पता चला कि वे युवक केरल के रहने वाले थे। जांच के दौरान पुलिस को पता लगा कि केरल में युवाओं को भटकाकर आतंकी बनने के लिए तैयार करने वाले कई स्लीपर सेल सक्रिय हैं। जिनके पीछे नजीर का हाथ है। पुलिस को यह भी जानकारी मिली थी केरल के 180 युवक पाकिस्तान जाकर आतंकवाद की ट्रेनिंग लेने के लिए तैयार बैठे हुए है। राज्य पुलिस द्वारा कन्नूर जिले के एडाक्कड़ में इस बाबत केस दर्ज किया गया, जिसकी जांच बाद में एनआईए को को सौंप दी गई थी। प्रदीप कृष्णन
ओडिशा की एक अदालत द्वारा स्वामी लक्ष्माणनंद की हत्या करने के मामले में आठ लोगों को उम्रकैद की सजा सुनाए जाने के फैसले का स्वामी लक्ष्मणानंद सरस्वती श्रद्धांजलि ने स्वागत किया है, लेकिन समिति का कहना है कि वास्तविक न्याय तभी होगा, जबकि इस मामले के मुख्य साजिशकर्ताओं व फरार आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
समिति के सचिव लक्ष्मीकांत दास का कहना है कि हालांकि कुछ हत्यारों को गिरफ्तार कर लिया गया है, लेकिन पुलिस हत्या के मुख्य साजिशकर्ताओं को पकड़ने में विफल रही है। इस मामले के जांच अधिकारी को मेडल देकर सम्मानित करने के साथ पदोन्नति भी दे दी गई। पुलिस कुछ ही अपराधियों को सजा दिलवाकर वाहवाही बटोरने में लगी हुई है। यह सरकारी तंत्र की विफलता है। उन्होंने कहा कि अपराधा शाखा के आईजी अरुण राय ने वर्ष 2008 में कहा था कि एक संगठन ने इस हत्याकांड की साजिश रची थी। इस मामले में मुख्य आरोपी सब्यसाची पांडा व अन्य लोग फरार हैं।
अब मुस्लिमों को रिझाने की एक और कांग्रेसी चाल
सेना के 70 हजार रिक्त पदों पर भर्ती होंगे मुसलमान?
पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों से पूर्व अल्पसंख्यक वोट बैंक भुनाने की कोशिश
लोकसभा चुनाव से पहले केन्द्र सरकार मतदाताओं को लुभाने क ी कोई भी कसर बाकी नहीं छोड़ना चाहती है। पहले निर्दोष मुस्लिमों को पुलिस द्वारा हिरासत में नहीं रखे जाने का राग केन्द्रीय गृह मंत्री ने गाया और अब अर्द्घसैनिक बलों में अल्पसंख्यकों की भर्ती का विशेष अभियान चलेगा।
गृह मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक इससे 70 हजार अर्द्घसैनिकों के पद भरे जाएंगे, जिसमें ज्यादा से ज्यादा अल्पसंख्यक शामिल रहेंगे। देश के सात अर्द्घसैनिक बलों में सीआरपीएफ, बीएसएफ, आईटीबीपी, एसएसबी, सीआईएसएफ, एनएसजी औरअसम राइफल्स शामिल हैं। इसमें करीब 42 हजार पद सिपाही, 25 हजार पद जेसीओ और 3400 अधिकारियों के रिक्त पद भरे जाएंगे। आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2012 में पुलिसकर्मियों की संख्या में 24 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई, लेकिन अल्पसंख्यकों की संख्या में गिरावट पाई है। प्रधानमंत्री द्वारा घोषित 15 सूत्रीय कार्यक्रम में भी राज्यों को पुलिसकर्मियों की भर्ती के समय अल्पसंख्यकों पर विशेष ध्यान को कहा गया है। पूर्व न्यायाधीश राजिंदर सच्चर की अध्यक्षता वाली समिति ने भी इस तरह की सिफारिश की थी। ऐसे में एकाएक गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे द्वारा मुस्लिमों की तरफदारी वाला बयान कि निर्दोष मुस्लिमों को न केवल हिरासत में रखा जाए, बल्कि उनका पुनर्वास भी किया जाए । प्रतिनिधि
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