तेलंगाना पर फिर गरमाई राजनीति
May 9, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

तेलंगाना पर फिर गरमाई राजनीति

by
Oct 12, 2013, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 12 Oct 2013 16:28:28

आंध्र प्रदेश का बंटवारा कर अलग तेलंगाना राज्य के निर्माण के विरोध में आंध्र प्रदेश का माहौल दिनोंदिन बिगड़ता जा रहा है। सीमांध्र के सरकारी कर्मचारी कई दिन तक हड़ताल पर रहे। सीमांध्र के लोग और राजनीतिक पार्टियां तेलंगाना को आंध्र के हितों के खिलाफ जबर्दस्ती का फैसला बता रही हैं। आंध्र प्रदेश की आंतरिक राजनीति की समीक्षा की जाए तो स्थिति साफ हो जाती है कि तेलंगाना के गठन का मसला केंद्र और हैदराबाद की राजनीति में अहम मोड़ लाने वाला है। यह न तो देश की आम जनता की सहमति का सवाल है, न आंध्र प्रदेश की जनता की। पूरा का पूरा फैसला राजनीतिक समीकरण का हिस्सा है।
आंध्र प्रदेश की आंतरिक राजनीति कुछ इस प्रकार की रही है कि इसके अधिकांश सरकारी फैसले सीमांध्र प्रदेश (रायलसीमा और तटवर्ती आंध्र प्रदेश) के हित में होते हैं। यही कारण रहा कि सीमांध्र तो आज विकसित है लेकिन तेलंगाना के इलाके आज भी विकास की बाट जोह रहे हैं। राजनीति में  भी तेलंगाना की हिस्सेदारी बहुत कम रही है। मुश्किल से 20 प्रतिशत की हिस्सेदारी तेलंगाना की ओर से विधानसभा में होती है। ऐसे में तेलंगाना के लोग पिछले पांच दशक से अलग तेलंगाना राज्य की मांग कर रहे थे। आगामी लोकसभा और विधान सभा चुनाव को देखकर ही सभी राजनीतिक दल अपनी-अपनी रणनीति तय कर रहे हैं। लगता है कि राज्य के लोगों की भवनाओं से किसी को कोई लेना देना नहीं है। लगातार विरोध प्रदर्शनों और बंद से राज्य की अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल असर पड़ा है।
केन्द्र सरकार ने 2014 के चुनावों के मद्देनजर एक कदम बढ़ते हुए नए तेलंगाना राज्य के गठन की मंजूरी दे दी। आंध्र प्रदेश की राजनीति के लिए यह एक झटका है। यहां की राजनीतिक पार्टियां इसका विरोध कर रही हैं जिसके दो कारण हैं- पहला, इस तरह टुकड़ों में बंटने के बाद वे एक बड़े राज्य पर राज करने से वंचित रह जाएंगे। दूसरा, उनके लिए केंद्र की तरफ से आवंटित होने वाली राशि भी कम हो जाएगी। तेलंगाना के लोगों को विकास मिल पाएगा या नहीं यह तो वक्त ही बताएगा लेकिन अभी वे खुश हो सकते हैं क्योंकि उनके अपने प्रदेश से चुनी जाने वाली सरकार से अपने विकास की उम्मीद वे कर सकते हैं। इस तरह पूरा प्रकरण कहीं न कहीं राजनीतिक फायदों में रंगा नजर आता है। केंद्र के अपने फायदे हैं, आंध्र प्रदेश की सरकार के अपने नुकसान हैं, तेलंगाना की राजनीति के अलग फायदे होंगे।
विरोध और समर्थन के पीछे मुख्य बिंदु हालांकि जनता का विकास है। लेकिन देखना यह है कि यह मुद्दा अपने राजनीतिक रंग में किस तरह उभरता है और तेलंगाना के लोग अपने राज्य गठन का फायदा ले पाते हैं या नहीं।
इतिहास देखें तो जब भी तेलंगाना का गठन नजदीक दिखता है इसके विरोध में सुर भी तेज हो जाते हैं। इस बार भी यही हो रहा है। सीमांध्र में उग्र-प्रदर्शनों का दौर चल रहा है।
तेलंगाना सदियों से पिछड़ा रहा है। यही वजह है कि अलग तेलंगाना की मांग जब-तब उठती रही है। दूसरी तरफ उतना ही तीखा विरोध भी होता रहा है।
दरअसल, अलग तेलंगाना की मांग की जड़ें बहुत गहरी हैं। राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक तौर पर तेलंगाना आंध्र प्रदेश के बाकी इलाकों से अलग है। इसके ऐतिहासिक कारण हैं लेकिन आंदोलन के पीछे सबसे बड़ा तर्क आर्थिक पिछड़ापन है। 1850 के बाद तटीय इलाकों और तेलंगाना के बीच का अंतर बढ़ता गया। आंध्र का तटीय इलाका अंग्रेजों के अधीन था तो तेलंगाना निजाम की रियासत, जिसे हैदराबाद के नाम से जाना जाता था। दोनों इलाकों में कोई खास अंतर नहीं था। ग्रामीण इलाके बेहद पिछड़े हुए थे और कृषि पूरी तरह बारिश पर निर्भर थी। इतिहासकार मानते हैं कि आमदनी के मामले में निजाम का हैदराबाद स्टेट तटीय इलाकों के मुकाबले कहीं मजबूत था। तटीय आंध्र प्रदेश के हालात भी कुछ खास अच्छे नहीं थे। लेकिन 1844 में राजमुंदरी जिले में कुछ ऐसा हुआ जिसने इलाके की तस्वीर बदल दी। अंग्रेज इंजीनियर आर्थर कटन ने इलाके की नदियों के पानी को रोकने के लिए बांध बनाने की सिफारिश की। 1850 में बांध बनकर तैयार हुआ और आने वाले दिनों में तटीय आंध्र के इलाकों में कृषि क्रांति आ गई। आम किसान की जिंदगी बदलने लगी। आज भी कटन को इस इलाके खूब याद किया जाता है। एक बांध और उससे जुड़ी सिंचाई व्यवस्था ने तेलंगाना को आर्थिक पैमाने पर काफी पीछे छोड़ दिया।
आजादी के बाद राज्य पुनर्गठन आयोग ने भाषा के आधार पर राज्यों के निर्माण की वकालत की। लेकिन तेलंगाना को लेकर वह भी कोई फैसला नहीं ले पाया। फैसला तेलंगाना में रहने वालों पर छोड़ने की सिफारिश की। लेकिन उस वक्त की राजनीति ने सरकार को आयोग की सिफारिश ठुकराने पर मजबूर कर दिया। 10 अक्तूबर 1952 को गांधीवादी पोट्टी श्रीरामलु के आमरण अनशन की शुरुआत ने आंध्र को आंदोलित कर दिया। केन्द्र सरकार ने फिर भी स्थिति पर नियंत्रण रखा। लेकिन 58 दिन बाद श्रीरामलु ने दम तोड़ दिया। हालात बेकाबू हो गए। मद्रास में पुलिस को फायरिंग करनी पड़ी जिसमें कई लोग मारे गये। मद्रास को भावी तेलुगू राज्य की राजधानी बनवाने की इच्छा रखने वाले श्रीरामलु की मौत के तीन दिन बाद यानी 19 दिसम्बर को नेहरू को ऐलान करना पड़ा कि तेलुगू राज्य जल्द बनाया जाएगा। हालांकि इस घोषणा में मद्रास को राजधानी बनाए जाने का वादा नहीं किया गया। 10 महीने बाद आंध्र प्रदेश का निर्माण हुआ। नए राज्य की राजधानी बना रायलसीमा का छोटा सा शहर कुरनूल। रायलसीमा के लोगों को नए राज्य के पक्ष में रखने के लिए यह जरूरी था। लेकिन कुरनूल मद्रास की बराबरी नहीं कर सकता था। जल्दी ही आंध्र के नेताओं ने हैदराबाद की मांग शुरू कर दी। पहले से आर्थिक रूप से कमजोर तेलंगाना के लोगों ने इसका विरोध शुरू किया। राज्य पुनर्गठन आयोग के सामने भी अलग तेलंगाना की मांग रखी गई।
1954 में तेलंगाना के कई समूहों ने निजाम के हैदराबाद राज्य को अलग राज्य बनाए रखने की मांग की। राज्य पुनर्गठन आयोग के सामने यह मुश्किल सवाल था। इसलिए आयोग ने गेंद राजनीति के पाले में डाल दी। लेकिन आयोग की सिफारिश यह बताने के लिए काफी है कि एक ही भाषा होने के बावजूद तेलंगाना के लोग अपनी तकदीर का फैसला खुद करना चाहते थे। विवाद के मद्देनजर फरवरी 1956 में दोनों पक्षों के बीच दिल्ली में 'जेन्टलमैन एग्रीमेन्ट' हुआ। यह कोई औपचारिक अनुबंध नहीं था लेकिन समझौते के अनुसार तेलंगाना के विकास के लिए क्षेत्रीय काउंसिल का गठन हुआ, जिसमें इलाके के सांसद और विधायक मिलाकर 20 सदस्य थे। अगर आंध्र इलाके से मु्ख्यमंत्री बनता तो उपमुख्यमंत्री तेलंगाना से होना था। लेकिन 1956 में रायलसीमा से आने वाले नीलम संजीव रेड्डी ने मुख्यमंत्री बनते ही तेलंगाना से उपमुख्यमंत्री बनाए जाने की शर्त तोड़ दी। आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के बीच भरोसा हमेशा-हमेशा के लिए खत्म हो गया।
गत 4 अक्तूबर को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पृथक तेलंगाना बनाने का फैसला लिया। इस फैसले के अनुसार हैदराबाद 10 साल तक तेलंगाना और सीमांध्र की राजधानी रहेगा। इसके   विरोध में 48 घंटे के बंद के चलते सीमांध्र के सभी 13 जिलों में जन-जीवन ठप रहा। सीमांध्र में  'हाईअलर्ट' है। पूरे क्षेत्र में कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस और अर्धसैनिक बलों को तैनात किया गया है।
तेलंगाना का गठन कांग्रेस के लिए राजनीतिक फायदे का सौदा इसलिए है कि तेलंगाना राज्य गठन के बाद तेलंगाना राष्ट्र समिति के अध्यक्ष चंद्रशेखर राव ने अपनी पार्टी के कांग्रेस में विलय की  बात कही है। सीमांध्र में वाईएसआर कांग्रेस के जगनमोहन रेड्डी प्रभावित हुए हैं और कांग्रेस का मानना है कि चुनाव के बाद वह कांग्रेस में जरूर शामिल होंगे। विपक्षी तेलुगू देशम का कहना है कि वाईएसआर कांग्रेस, कांग्रेस की बी  टीम है।
विश्लेषकों का मानना है कि नया राज्य बनाने की इस पूरी प्रक्रिया में पांच से छह महीने का समय लग सकता है। तब तक केन्द्र सरकार अपने नफे-नुकसान को आंकते हुए तेलंगाना के गठन के लिए बाकी औपचारिकताएं पूरी करेगी।  हैदराबाद से नागराज राव

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा पर पाकिस्तान द्वारा नागरिक इलाकों को निशाना बनाए जाने के बाद क्षतिग्रस्त दीवारें, टूटी खिड़कियां और ज़मीन पर पड़ा मलबा

पाकिस्तानी सेना ने बारामुला में की भारी गोलाबारी, उरी में एक महिला की मौत

बलूच लिबरेशन आर्मी के लड़ाके (फाइल चित्र)

पाकिस्तान में भड़का विद्रोह, पाकिस्तानी सेना पर कई हमले, बलूचिस्तान ने मांगी आजादी, कहा – भारत में हो बलूच दूतावास

“भय बिनु होइ न प्रीति “: पाकिस्तान की अब आएगी शामत, भारतीय सेना देगी बलपूर्वक जवाब, Video जारी

खेत हरे, खलिहान भरे

पाकिस्तान ने उरी में नागरिक कारों को बनाया निशाना

कायर पाकिस्तान ने नागरिकों को फिर बनाया निशाना, भारतीय सेना ने 50 ड्रोन मार गिराए

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ

पाकिस्तान बोल रहा केवल झूठ, खालिस्तानी समर्थन, युद्ध भड़काने वाला गाना रिलीज

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा पर पाकिस्तान द्वारा नागरिक इलाकों को निशाना बनाए जाने के बाद क्षतिग्रस्त दीवारें, टूटी खिड़कियां और ज़मीन पर पड़ा मलबा

पाकिस्तानी सेना ने बारामुला में की भारी गोलाबारी, उरी में एक महिला की मौत

बलूच लिबरेशन आर्मी के लड़ाके (फाइल चित्र)

पाकिस्तान में भड़का विद्रोह, पाकिस्तानी सेना पर कई हमले, बलूचिस्तान ने मांगी आजादी, कहा – भारत में हो बलूच दूतावास

“भय बिनु होइ न प्रीति “: पाकिस्तान की अब आएगी शामत, भारतीय सेना देगी बलपूर्वक जवाब, Video जारी

खेत हरे, खलिहान भरे

पाकिस्तान ने उरी में नागरिक कारों को बनाया निशाना

कायर पाकिस्तान ने नागरिकों को फिर बनाया निशाना, भारतीय सेना ने 50 ड्रोन मार गिराए

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ

पाकिस्तान बोल रहा केवल झूठ, खालिस्तानी समर्थन, युद्ध भड़काने वाला गाना रिलीज

देशभर के सभी एयरपोर्ट पर हाई अलर्ट : सभी यात्रियों की होगी अतिरिक्त जांच, विज़िटर बैन और ट्रैवल एडवाइजरी जारी

‘आतंकी समूहों पर ठोस कार्रवाई करे इस्लामाबाद’ : अमेरिका

भारत के लिए ऑपरेशन सिंदूर की गति बनाए रखना आवश्यक

पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ

भारत को लगातार उकसा रहा पाकिस्तान, आसिफ ख्वाजा ने फिर दी युद्ध की धमकी, भारत शांतिपूर्वक दे रहा जवाब

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies