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आंध्र प्रदेश के आदिलाबाद जिले में 8 दिसम्बर को मजलिसे इत्तेहादुल मुसलमीन के विधायक अकबरुद्दीन ओवैसी ने एक सार्वजनिक कार्यक्रम में 50 हजार लोगों की भीड़ के सामने हिन्दू समुदाय के खिलाफ नफरत फैलाने, देश के खिलाफ जंग छेड़ने और उकसाने वाला भाषण दिया था। उसे पढ़ने के बाद आप शायद समझें कि वह जहरीला भाषण पाकिस्तान के लश्कर-ए-तोइबा के अजहर मसूद ने लाहौर या कराची में दिया होगा।
इस भाषण का टेप यू ट्यूब पर 'अपलोड' किया गया है। इस वीडियो को देखकर हैदराबाद के एक वकील श्री करुण सागर ने ओवैसी के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई और कानून का दरवाजा खटखटाया। 8 दिसंबर को निजामाबाद और 21 दिसंबर को निर्मल नगर में ओवैसी के हिन्दू समुदाय के खिलाफ बेहद भड़काऊ भाषण का स्वरूप और इसका वीडियो सामने आने पर देश भर में हंगामा मच गया। 3 जनवरी को अदालत के आदेश पर ओवैसी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई। कई हिन्दू संगठन सड़क पर उतरे और कई शहरों में इस विधायक के पुतले जलाये गए। मीडिया का भी काफी दबाव था परंतु आंध्र प्रदेश की कांग्रेस सरकार शुरू में ठोस कदम उठाने से हिचकिचा रही थी।
उधर मजलिस पार्टी के नेता असद ओवैसी आरोप लगाने लगे कि कांग्रेस और भाजपा मिलकर राजनीति कर रहे हैं। उनका कहना था कि 8 दिसम्बर को निजामाबाद की जनसभा के कई दिन बाद तक कोई कार्रवाई नहीं की गई, लेकिन कांग्रेस के मजलिस से नाता तोड़ने के बाद उनके साथ बदले की राजनीति की जा रही है। सूत्रों से पता चला है कि मुख्यमंत्री किरण कुमार रेड्डी ओवैसी की गिरफ्तारी के पक्ष में तो थे, परंतु कांग्रेस की आला कमान मजलिस पार्टी से मीठे सम्बन्ध बनाये रखने के पक्ष में थी।
इस बीच मजलिस का गढ़ माने जाने वाले पुराने शहर में बड़े पैमाने पर सुरक्षा बल तैनात करने के अलावा हाई अलर्ट घोषित किया गया। पुलिस महानिदेशक श्री दिनेश रेड्डी ने कहा था कि वे विधायक को जरूर गिरफ्तार करेंगे। उन्होंने पत्रकार सम्मेलन में कहा था कि अकबरुद्दीन लन्दन में हैं और हैदराबाद पहुंचते ही उचित कार्रवाई की जाएगी। श्री रेड्डी ने कहा कि जब ओवैसी लन्दन में थे, तब ही उनके घर पर नोटिस भेजा गया था, परन्तु लन्दन से लौटकर अकबरुद्दीन पेशी के लिए नहीं आये। हैदराबाद पहुंचने पर वह हजारों समर्थकों के बीच बड़े जुलूस में अपने घर पहुंचे और तुरंत अपने ही अस्पताल में भर्ती होकर खराब तबियत का बहाना बनाने लगे। पुलिस डाक्टरों के साथ उनके घर पहुंची और सेहत की जांच की। उन्हें पूछताछ के लिए स्वस्थ पाया गया। इसके बाद पुलिस ने ओवैसी को मेडीकल जांच के लिए हैदराबाद के गांधी अस्पताल में भेजने का आदेश दिया और उनके लिए एम्बुलेंस भी भेजी।
पुलिस की हलचल शुरू हो गई थी। उधर ओवैसी लगातार खुद को बीमार बता रहे थे। आखिरकार पुलिस उन्हें जांच के लिए गांधी अस्पताल ले गई, लेकिन वहां भी डाक्टरों ने उन्हें स्वस्थ करार दिया। उनके लिए और कोई विकल्प नहीं था, लिहाजा हजारों समर्थकों की पुलिस विरोधी नारेबाजी के बीच उन्हें थाने लाया गया। उस वक्त तनाव जैसा माहौल हो गया। सरकारी डाक्टरों की जांच के बाद आरक्षी अधीक्षक ने पत्रकारों को बताया कि ओवैसी की गिरफ्तारी की गयी है और उनकी सेहत ठीक न होने की बात बेबुनियाद है।
पुलिस ने देर रात (8 जनवरी) में ही ओवैसी को मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया और वहां से उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। भड़काऊ व नफरत फैलाने वाला भाषण देने के आरोप में गिरफ्तार एमआईएम विधायक अकबरुद्दीन ओवैसी पर आईपीसी की विभिन्न धाराओं के साथ ही देशद्रोह (धारा-124ए) का मुकदमा भी चलेगा।
पुलिस ने अकबरुद्दीन की न्यायिक हिरासत हासिल करने के लिए पांच नई धाराएं जोड़ दी थीं। इनमें देशद्रोह के अलावा धारा 120-बी (आपराधिक षड्यंत्र), धारा 295ए (बयान या कार्रवाई द्वारा किसी समुदाय की पांथिक भावनाओं व मान्यताओं का अपमान कर लोगों को भड़काना), धारा 188 (सरकारी पद पर रहते हुए जिम्मेदारी न निभाना) और धारा 505 (अफवाह फैलाना) शामिल हैं। ओवैसी की गिरफ्तारी के बाद हंगामा मचा रहे उनके समर्थकों को पुलिस ने हल्का बल प्रयोग कर खदेड़ दिया। हालांकि हैदराबाद के कुछ हिस्सों में सुरक्षा की दृष्टि से धारा 144 लगा दी गई थी। इस तरह भड़काऊ भाषण देने वाले एमआईएम विधायक अकबरुद्दीन ओवैसी को जेल की सलाखों के पीछे भेज दिया गया। इसके बाद हंगामे की आशंका को देखते हुए ओवैसी को पुलिस ने आदिलाबाद जेल में स्थानांतरित कर दिया।
इस बीच ओवैसी द्वारा उच्च न्यायालय में गिरफ्तारी पर रोक लगाने की याचिका भी दाखिल की गई थी। बहरहाल, हालात बिगड़ने की आशंका से प्रशासन मुस्तैद हो गया है। निर्मल नगर में धारा 144 लगा दी गयी है। वहीं 8 जनवरी को आंध्रप्रदेश विधानसभा की आचरण समिति की बैठक भी हुई जिसमें ओवैसी की सदस्यता रद्द करने के संबंध में चर्चा हुई।
उनकी गिरफ्तारी से पहले हैदराबाद में कई हिन्दू संगठनों ने इंदिरा पार्क के पास अपना रोष प्रकट करते हुए धरना दिया। संत समाज के पीठाधिपति, भारतीय जनता पार्टी, विश्व हिन्दू परिषद्, हिन्दू वाहिनी, शिवसेना सहित विभिन्न दलों के और कुछ कांग्रेस के नेता इस धरने में शामिल हुए। लोगों में आवैसी की सोच के प्रति तीखा आक्रोश था।
उच्च न्यायालय ने कहा–
विधायक होकर वह देश की अखण्डता को चुनौती कैसे दे सकते हैं?
विधायक ओवैसी को फटकार लगाते हुए आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय ने कहा कि वे एक जिम्मेदार विधायक होकर देश की अखण्डता को चुनौती कैसे दे सकते हैं। अपने खिलाफ विभिन्न थानों में मामले दर्ज किये जाने पर रोक लगाए जाने की अपील करते हुए विधायक ने उच्च न्यायालय में एक याचिका दाखिल की थी। न्यायमूर्ति रेड्डी की खंडपीठ ने उसकी सुनवाई की। बहस के दौरान न्यायाधीश ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। उल्लेखनीय है कि भगवान राम की आलोचना करने वाले इस विधायक के बचाव में दो वकील उतरे जिनका नाम था सीताराम मूर्ति और रामचन्द्रराजू। अदालत ने पूछा, क्या ओवैसी अजमल कसाब को फांसी दिए जाने पर हिंदुस्थान से बदला ले रहे हैं? न्यायमूर्ति रेड्डी ने कहा कि उन्होंने इस भाषण के अंश स्वयं देखे थे, जो काफी गंभीर थे। उन्होंने कहा कि पुलिस को हटाकर हिन्दुओं पर अपनी ताकत का नमूना पेश करने की बात करना कहां तक सही है? इस तरह के विवादास्पद बयान देने वाले के खिलाफ मामले दर्ज करने पर रोक लगाने के आदेश कैसे दिये जा सकते हैं? खंडपीठ ने कहा कि इस विधायक का भाषण सार्वजनिक हो गया है। इस भाषण को देखने की इच्छा रखने वाले कई लोग हैं और विचार व्यक्त करने की आजादी को हम रोक नहीं सकते।
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