सफल होने के कारगर उपाय
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पुस्तक समीक्षा
एक विद्यालय के शिक्षक से एक प्रदेश के मुख्यमंत्री तक पहुंचने का सफर वास्तव में डा. रमेश पोखरियाल 'निशंक' के दृढ़ संकल्प, आत्मविश्वास और लगातार सफलता के लिए प्रयत्न करते रहने के संकल्प की कथा है। सफलता के इस मार्ग में उन्होंने अनेक तरह के अनुभवों और बाह्य तथा आंतरिक मन: स्थितियों का साक्षात्कार किया। अपने ऐसे ही ढेरों अनुभवों और सफलता के लिए अनेक विद्वानों-मनोविश्वलेषकों के प्रेरक विचारों को उन्होंने पुस्तकाकार में संकलित किया है, जो 'सफलता के अचूक मंत्र' शीर्षक से प्रकाशित होकर आया है। लेखक ने इस पुस्तक को कुछ अलग तरीके से लिखा है। आमतौर पर प्रेरणास्पद पुस्तकों की जो शैली होती है, उससे यह थोड़ी अलग है। कहना चाहिए कि सफल होने के लिए लेखक ने व्यावहारिक या गणितीय विधियों के स्थान पर मानसिक तैयारी पर अधिक बल दिया है। यही कारण है कि सफलता प्राप्त करने के लिए जरूरी प्रयत्नों के बारे में बात करने से पहले उन्होंने सफलता अर्थ को विस्तार से व्याख्यायित किया है। अनेक क्षेत्रों में सफल हुए चर्चित चेहरों और विद्वानों के द्वारा बताई गई सफलता की परिभाषाओं को स्पष्ट किया गया है।
इसमें दो राय नहीं कि किसी भी क्षेत्र में सफल होने से पहले हमें सफलता के अर्थ को समझ लेना बहुत आवश्यक होता है। दरअसल विषय और क्षेत्र के हिसाब से इसके मानक बदल जाते हैं। साथ ही यह भी ध्यान रखने की बात है कि सफलता किसी एक लक्ष्य पर पहुंचकर ठहरती नहीं है। सफल होने की यात्रा अनवरत चलती रहती है, नित नए प्रतिमान गढ़ते हुए। समीक्ष्य पुस्तक के पहले आठ अध्यायों में लेखक ने इन्हीं बिन्दुओं पर विस्तार से चर्चा की है। इन्हें पढ़ना और समझना सफलता की यात्रा को ठोस आधार देने के लिए आवश्यक है। इसके बाद के अध्यायों में लेखक ने क्रमश: अनेक बिन्दुओं को गहनता से कई विभूतियों की उक्तियों के साथ व्याख्यायित किया है। 'बदलें अपनी सोच' शीर्षक अध्याय में वे लिखते हैं कि आप आगे क्या बनेंगे, यह इस बात पर निर्भर करता है कि आज आप क्या सोचते हैं। इसके लिए आवश्यक है कि आशावादी दृष्टिकोण के साथ प्रत्येक कार्य को उत्साह से पूरा करें।
पुस्तक के बारहवें और तेरहवें अध्याय में लेखक ने यह सिद्ध किया है कि किसी भी क्षेत्र में सफल होने की यात्रा के दौरान आपकी दूसरों द्वारा को जाने वाली आलोचना का सही प्रबंधन करना जरूरी है। साथ ही इसमें कुछ ऐसी युक्तियां भी बताई गई हैं, जिन पर अमल करके दूसरों की आलोचना का सामना करना भी सीखा जा सकता है। आलोचना को अगर हम गहराई से समझें तो वह हमें हमारी कमजोरी ही बताती है। यदि हम उस कमजोरी को दूर कर लें तो सफलता को प्राप्त करने के लिए और भी मजबूती से कदम उठा सकते हैं। उसी तरह 'चिंता प्रबंधन की कला' को भी रोचक तरीके से समझाया गया है। व्यावहारिक तौर पर तनाव से मुक्ति, अनिद्रा से बचाव और प्रसन्न रहने के तरीके भी लेखक ने सूत्र रूप में लिखे हैं। अपने भीतर की सकारात्मकता को बढ़ाने के लिए रिश्तों को संवारने और दूसरों के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करने का महत्व भी लेखक ने बताया है। पुस्तक के अंतिम अध्याय में कुछ ऐसे व्यक्तित्वों के बारे में बताया गया है जिन्होंने मामूली सुविधा में चलना शुरू कर सफलता के नए प्रतिमान गढ़े। यह पुस्तक हर उस व्यक्ति के लिए बेहद उपयोगी हो सकती है जो समग्र रूप में अपने जीवन में सफलता पाना चाहता हो। विभूश्री
पुस्तक का नाम – सफलता के अचूक मंत्र
लेखक – डा. रमेश पोखरियाल 'निशंक' प्रकाशन – डायमंड बुक्स
X-30, ओखला इंड. एरिया
फेज-2, नई दिल्ली-20
मूल्य – 100 रुपए पृष्ठ – 197
वेबसाइट : www.dpb.in
फोन – (011) 41611861
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