तिरुकेतीश्वरम् मन्दिर का जीर्णोद्वार
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आलोक गोस्वामी
श्रीलंका में मन्नार के उत्तर में मनकोट्टमम के तिरुकेतीश्वरम् मन्दिर की बहुत मान्यता है। त्योहारों, उत्सवों की तो छोड़िए, आम दिनों में भी यहां श्रद्धालुओं की लंबी कतारें देखी जा सकती हैं। मन्दिर बेहद प्राचीन है और इसका वास्तुशिल्प भी अद्वितीय है। वक्त के साथ मण्डपम और गलियारों की हालत खस्ता हो चली है, लेकिन भक्तों का तांता लगा रहता है। अब श्रीलंका स्थित भारतीय उच्चायोग के सक्रिय सहयोग से मन्दिर को 13.35 करोड़ रुपए खर्च करके भव्यता प्रदान करने की दिशा में काम शुरू हो चुका है। श्रीलंका सरकार मन्दिर के दो मण्डपम् को हटाकर निर्माण कार्य में जरूरी सहायता देगी। उधर भारत में चेन्नै के पास महाबलीपुरम् में पत्थरों को तराशने के बाद मण्डपम्, दीवारें और गलियारे सजाए जाएंगे। पत्थर और ग्रेनाइट को तराशने और निर्माण कार्य में कुल दो साल लगने की उम्मीद है। कहते हैं यह वही मन्दिर है जहां भगवान केतु ने शिव की पूजा की थी। 16वीं सदी में पुर्तगालियों ने मन्दिर को ध्वस्त कर दिया था। 19वीं सदी में श्रीलंका में शैव मत को फिर से प्रसारित करने वाले अरुमुगा नवलार ने मन्दिर को खोज निकाला था। 1903 में यहां एक छोटा सा नया मन्दिर बनाया गया था। 1921 के आस-पास मन्दिर का गर्भगृह बनाकर इसे नया रूप दिया गया था। महाशिवरात्रि का उत्सव यहां बहुत बड़े स्तर पर मनाया जाता है, जब लाखों शिवभक्त यहां आकर शिव-अर्चना करते हैं।
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