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जम्मू कश्मीर/ विशेष प्रतिनिधिभारत ही क्यों होता है अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित?

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Aug 25, 2012, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 25 Aug 2012 16:25:43

जम्मू कश्मीर/ विशेष प्रतिनिधि

भारत ही क्यों होता है अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित?

भारत–पाकिस्तान के बीच नियंत्रण रेखा तथा अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बढ़ती घुसपैठ व अन्य गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए कुछ और कदम उठाए जाएंगे। इसमें मानवरहित संवेदनशील यंत्र (यूएसजी) लगाने की भी योजना है। समाचार के अनुसार ऐसे यंत्रों द्वारा भूमि के नीचे तथा ऊपर शत्रु की गतिविधियों का पता लगाया जा सकेगा। इन यंत्रों को लगाने की आवश्यकता इसलिए भी अधिक महसूस की जा रही थी क्योंकि गत दिनों जम्मू के सांबा सैक्टर में पाकिस्तान से भारत की सीमा के अंदर खोदी गई एक लम्बी सुरंग का अचानक पता चला था। यह सुरंग कैसे खोदी गई, भारत की सुरक्षा और गुप्तचर एजेंसियों को इसका पता पहले क्यों नहीं चला, इस सबके बारे में छानबीन जारी है। समझा जाता है कि पाकिस्तान में प्रशिक्षित आतंकवादियों की घुसपैठ करवाने तथा शस्त्रों एवं मादक पदार्थों आदि की तस्करी के लिए ऐसी सुरंगों का निर्माण किया जा रहा है, क्योंकि गत कुछ वर्षों से घुसपैठ तथा सीमा पार से तस्करी आदि को रोकने के लिए भारत-पाकिस्तान सीमा पर कांटेदार तारबंदी की गई है।

इस संबंध में उल्लेखनीय है कि लगभग 22 वर्ष पूर्व जब भारत-पाकिस्तान सीमा पर कांटेदार तार लगाने का निर्णय लिया गया था तब जम्मू में सीमा सुरक्षा बल के महानिदेशक ने एक पत्रकार सम्मेलन में इस परियोजना का विवरण दिया था और इस परियोजना पर किए जाने वाले भारी भरकम खर्च की बात भी कही थी। उस समय एक पत्रकार के रूप में मैंने उनसे प्रश्न किया था कि पाकिस्तान ने अपनी सुरक्षा के लिए क्या ऐसा ही कोई कदम उठाया है? महानिदेशक ने उत्तर दिया, 'नहीं'! तब मैंने दूसरा प्रश्न किया कि पाकिस्तान के मुकाबले भारत एक बड़ा देश है और अधिक शक्तिशाली भी है, फिर भी अपनी सुरक्षा के लिए इतने उपाय करता है। वास्तव में बड़ा देश डरता है या छोटा? महानिदेशक इस प्रश्न की भावना समझ गए और कुछ क्षण के लिए चुप रहने के पश्चात बोले, 'यह प्रश्न इतना बड़ा है कि जिसका उत्तर दे पाना मेरे लिए संभव नहीं है।' उनकी भावना स्पष्ट थी कि इसका उत्तर नीति निर्धारकों पर निर्भर करता है, जो नई दिल्ली में बैठे हैं।

कांटेदार तार लगने के बाद अब लगभग 10 वर्ष बीत चुके हैं। तार लगने के कारण घुसपैठ में कुछ कमी तो आई है, किंतु समस्या पूरी तरह समाप्त नहीं हुई है। हां, कई नई समस्याएं पैदा हो गई हैं, जिनमें सीमा पार से संघर्ष विराम का बार-बार उल्लंघन प्रमुख बात है। पाकिस्तान को जब भी घुसपैठ करवानी होती है, उसके सैनिकों द्वारा गोलीबारी आरंभ कर दी जाती है। इस गोलीबारी के बीच घुसपैठियों द्वारा तार काट दिए जाते हैं या फिर उन नदी-नालों के रास्तों से घुसपैठियों/आतंकवादियों को इस ओर धकेला जाता है जिन स्थानों पर यह तार नहीं लग पाए हैं। इस सबको देखते हुए अब भारत की ओर से भारी धनराशि खर्च कर सीमा पर मानवरहित संवेदनशील यंत्र लगाए जाने का निर्णय लिया गया है। पर पाकिस्तान बेपरवाह है, उसे अपनी सुरक्षा की जैसे चिंता ही नहीं है। प्रश्न अब भी वही है कि बड़ा डरता है या छोटा, इसका फैसला दिल्ली में बैठे नीति निर्धारकों को ही करना है।

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