टर्र-टर्र-टर्र
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तेज गर्मी ने सबको झुलसाया।
मानसून से शीतल हुई काया।।
पड़ने लगी मन्द शीतल फुहार।
कोयल गाने लगी मेघ–मल्हार।।
खेत–खलिहानों में जल गया भर।
मेंढक करने लगे टर्र–टर्र–टर्र।।
पेड़ों पर खूब छायी हरियाली।
झूमने लगी वृक्षों की डाली।।
खेतों ने चादर ओढ़ी धानी।
हवा भी चलने लगी मस्तानी।।
किसान खुशी से फूले न समाए।
जमकर ढोल नगाड़े बजाए।
धर्मेन्द्र गोयल
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