यह तो देशद्रोह है
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यह तो देशद्रोह है

by
Jul 14, 2012, 12:00 am IST
in Archive
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पाठकीय अंक-सन्दर्भ :24 जून,2012

दिंनाक: 14 Jul 2012 17:20:46

एक बार फिर है पंडित श्रीभट्ट की आवश्यकता

श्री नरेन्द्र सहगल कश्मीर के गौरवशाली इतिहास से परिचय करा रहे हैं। इसी क्रम में उन्होंने पंडित श्रीभट्ट के बारे में बताया है। श्रीभट्ट ने कश्मीर में हिन्दू समाज को एक करने का बड़ा ही स्तुत्य प्रयास किया था और वे सफल भी रहे थे। आज यह कैसी विडम्बना है कि विश्व के सबसे बड़े प्रजातंत्र भारत में सरकारें तो बहुमत के आधार पर बनती हैं, पर देश का शासन एवं प्रशासन देश के अल्पसंख्यकों के हितों पर ध्यान केन्द्रित कर संचालित किया जाता है। इसका प्रमुख कारण है बहुसंख्यक हिन्दू समाज का जाति, उपजाति, भाषा तथा क्षेत्रीयता आदि अनेक आधारों पर विभक्त होना। शिया एवं सुन्नी के रूप में मुस्लिम समाज भी विभक्त है। पर वे सभी अपना परिचय मुस्लिम के रूप में ही देते हैं। उसी प्रकार कैथोलिक और प्रोटेस्टेंट के रूप में विभक्त ईसाई समाज का प्रत्येक सदस्य स्वयं का परिचय केवल ईसाई के रूप में ही देता है। पर दुर्भाग्य से भारत का बहुसंख्यक हिन्दू समाज का प्रत्येक सदस्य स्वयं का परिचय भूल कर भी एक हिन्दू के रूप में नहीं देना चाहता। अपनी जाति, उपजाति, भाषा या क्षेत्रीयता को प्रधानता प्रदान कर अपना परिचय देने में अपनी शान समझता है। इस कारण बहुसंख्यक होने के बावजूद हिन्दू समाज की परवाह कोई भी नहीं करना चाहता। यह भी एक विडम्बना ही है कि सम्पूर्ण हिन्दू समाज को संगठित कर शक्तिशाली बनाने के किसी भी प्रयास को साम्प्रदायिकता का नाम देकर उसे तिरस्कृत किया जाता है। पर उसी हिन्दू समाज के टुकड़ों के बल पर अपनी राजनीति करने वालों को प्रगतिशील एवं पंथनिरपेक्ष माना जाता है। इस प्रकार हिन्दू समाज को अनेक टुकड़ों में विभक्त कर देने के कारण ही विश्व के सबसे बड़े प्रजातंत्र भारत में बहुसंख्यक हिन्दू समाज उपेक्षित एवं प्रभावहीन है। हिन्दू समाज के टुकड़ों के बीच ऊंच–नीच, छुआछूत तथा अगड़े और पिछड़े की भावना प्रबलतम होते जाने के कारण अनेक राजनीतिक दलों का प्रादुर्भाव हुआ है। ये देश की राजनीति को प्रभावित कर उसे दिशाहीन कर रहे हैं। ऊंच–नीच की भावना के कारण हिन्दुओं का मतान्तरण भी हो रहा है। इस गंभीर समस्या को सुलझाने वाले पंडित श्रीभट्ट ने कश्मीर में पन्द्रहवीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध में वर्णविहीन समाज की स्थापना कर कश्मीर के सभी हिन्दुओं को पंडित का दर्जा प्रदान किया था। वह वास्तव में प्रशंसनीय एवं अनुकरणीय कार्य था। शेष भारत में भी सभी समाज सुधारक और हिन्दू धर्म के विद्वान और पंडित तथा धर्माचार्य मिल कर यदि सभी हिन्दुओं को एक कर पाएं, तो देश का बड़ा भला होगा। मतान्तरण रुक जाने से अराष्ट्रीय तत्व पनप नहीं पायेंगे। हिन्दू समाज की उपजातियों की राजनीति करने वाले बगलें झांकने को मजबूर हो जायेंगे। हिन्दू समाज के प्रत्येक सदस्य को स्वयं का परिचय केवल हिन्दू के रूप में देने में किसी भी प्रकार की कोई दुविधा का सामना नहीं करना पड़ेगा। इस देश में पंथनिरपेक्षता का एक भौंडा नाटक हमेशा–हमेशा के लिए समाप्त हो जायेगा। प्रजातंत्र में बहुसंख्यक को बहुसंख्यक के रूप में आदर और सम्मान प्राप्त होगा। पंडित श्रीभट्ट के द्वारा सफलतापूर्वक आजमाया गया एक अनोखा नुस्खा हमारे हाथ लगा है। सब मिलकर साहसपूर्वक निर्णय लेकर पंडित श्रीभट्ट का अनुकरण करें तो देश और समाज का भला होगा।

–परमानंद रेड्डी

डी/19, सेक्टर-1 देवेन्द्रनगर, रायपुर (छ.ग.) 492009

आवरण कथा के अन्तर्गत श्री जगदम्बा मल्ल की रपट 'विद्रोही गुटों से क्यों मिले यूरोपीय राजनयिक' से साफ पता चलता है कि पूर्वोत्तर राज्यों में विद्रोही गुट कितने ताकतवर हो चुके हैं। चर्च समर्थित इन विद्रोही गुटों को पैसा और हथियार सब कुछ विदेशों से प्राप्त होता है। ये गुट चर्च के इशारे पर काम करते हैं। जब से सोनिया निर्देशित सरकार दिल्ली पर काबिज हुई तब से चर्च की गतिवधियां भी कई गुना बढ़ गई हैं। यूरोपीय देशों के राजनयिकों को चर्च का समर्थन प्राप्त था। जब सरकार में चर्च समर्थित लोग शामिल रहेंगे तो चर्च या उसके कारिन्दों के लिए केन्द्रीय गृह मंत्रालय की असहमति कोई मायने नहीं रखती है।

–प्रमोद प्रभाकर वालसांगकर

म.सं. 1-10-81, रोड नं. 8 बी, द्वारकापुरम

दिलसुखनगर, हैदराबाद-500060 (आं.प्र.)

n {ÉÚ´ÉÉækÉ®ú के राष्ट्रविरोधी समूहों से विदेशी राजनयिकों की भेंट बताती है कि हम भारतीय अपने देश के प्रति बहुत ही लापरवाह हैं। हममें से ही कोई विदेशी राजनयिकों को बुला रहा है, कोई बंगलादेशी मुस्लिम घुसपैठियों को भारत में बसाने में मदद कर रहा है, कोई पाकिस्तानी गुप्तचर संस्था आई.एस.आई. के लिए काम कर रहा है और देश में आतंकवाद को फैलाने और नकली मुद्रा चलाने में अहम भूमिका निभा रहा है।

–उमेश प्रसाद सिंह

के.100, लक्ष्मी नगर, दिल्ली-110092

n Ê´Énäù¶ÉÒ राजनयिकों को अरुणाचल प्रदेश और नागालैण्ड का दौरा कराने में किन-किन लोगों का हाथ है, इसकी पूरी जांच होनी चाहिए। बिना गृह मंत्रालय की जानकारी व अनुमति के इस प्रकार के देशद्रोही कार्यों को अंजाम देना इस देश के कानून व नियमों की अनदेखी करना है। अगर देशद्रोहियों को उकसाने वाले इस प्रकार की सुविधाएं प्राप्त करते रहेंगे तो भारत के अलगाववादियों को कभी समाप्त नहीं किया जा सकता है। इस प्रकार की राष्ट्रघातक गतिविधियों पर रोक लगना आवश्यक है।

–सुरेन्द्र पाल वैद्य

पाल ब्रदर्स, कॉलेज रोड, मण्डी-175001 (हि.प्र.)

n MÉÞ½þ मंत्रालय की अनुमति के बिना यूरोपीय राजनयिकों को पूर्वोत्तर के राज्यों में ले जाना खुला देशद्रोह है। इस प्रकरण से यह भी स्पष्ट है कि संप्रग सरकार देश की सुरक्षा के प्रति गंभीर नहीं है। तुष्टीकरण के सागर में गोता लगाने वाली इस सरकार को सिर्फ सत्ता दिखती है। आम जनता को ही सजग होना होगा और इन देशद्रोहियों की करतूतों को गांव-गांव तक ले जाना होगा। हर आदमी को पता होना चाहिए कि इस देश के कुछ लोग देश के साथ किस प्रकार की गद्दारी कर रहे हैं।

–ठाकुर सूर्यप्रताप सिंह सोनगरा

कांडरवासा

रतलाम (म.प्र.)

राहुल का रास्ता साफ

सम्पादकीय 'राहुल गांधी के लिए बिछायी सोनिया ने बिसात' पढ़ा। वास्तव में सोनिया गांधी का एकमात्र लक्ष्य है किसी भी प्रकार से राहुल गांधी को प्रधानमंत्री बनाना। राहुल के रास्ते में सबसे बड़े बाधक प्रणव मुखर्जी माने जाते हैं। इसलिए सोनिया ने उन्हें राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाकर राहुल के रास्ते से हटा दिया है। वर्ना प्रणव जैसे संकटमोचक को राष्ट्रपति बनाने की क्या तुक है? अब राहुल का रास्ता साफ हो गया है। हो सकता है कांग्रेस 2014 का आम चुनाव राहुल को आगे करके लड़ेगी।

–वीरेन्द्र सिंह जरयाल

28-ए, शिवपुरी विस्तार, कृष्ण नगर, दिल्ली-110051

हिन्दू–विरोधी चेहरा

पिछले दिनों दिल्ली के पुराना किला के पास स्थित कुन्ती मन्दिर को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ए.एस.आई.) ने गिराने का प्रयास किया। किन्तु हिन्दुओं के प्रबल विरोध के कारण ऐसा नहीं हो पाया। मामला न्यायालय में है। आखिर ए.एस.आई. हिन्दू मन्दिरों को क्यों तोड़ना चाहती है? दिल्ली में अनेक ऐसी ऐतिहासिक मस्जिदें हैं, जहां मुस्लिम जबर्दस्ती नमाज पढ़ रहे हैं, वहीं रह रहे हैं, जबकि वे मस्जिदें ए.एस.आई. के अधीन हैं। ए.एस.आई. उनकी सुरक्षा क्यों नहीं कर रही है?

–बी.एल. सचदेवा

263, आई.एन.ए. मार्केट, नई दिल्ली-110023

जागृत युवा शक्ति

इतिहास दृष्टि में डा. सतीश चन्द्र मित्तल के लेख 'देश का चित्र बदलने के लिए आगे आएं युवा' में युवाओं के प्रति जो चिन्तन दिया गया है, वह बड़ा ही सटीक है। युवाओं के प्रति बड़ा अच्छा नजरिया है। आज देश में अनेक समस्याएं खड़ी हो गई हैं। भ्रष्टाचार, आतंकवाद, नैतिक पतन, तुष्टीकरण आदि के कारण देश खतरों से घिर चुका है। इन खतरों और समस्याओं का सामना जागृत युवा-शक्ति ही कर सकती है।

–हरिहर सिंह चौहान

जंवरीबाग नसिया, इन्दौर-452001 (म.प्र.)

इतिहास से कुछ सीखें

श्री विजय कुमार ने अपने व्यंग्य 'ऐसी सुरक्षा और कहां' में भारत सरकार को 'नरम राज्य' के दुष्परिणामों के प्रति चेताया है। इतिहास गवाह है कि कैसे भोपाल गैस काण्ड के एंडरसन और बोफर्स घोटाले के क्वात्रोकी लूट का पैसा ले जाने में, व्यवस्था की मिलीभगत से सफल रहे। हम इतिहास से कुछ नहीं सीखना चाहते हैं। कुछ लोगों के लिए शायद राष्ट्रहित अब प्राथमिकता नहीं है?

–नित्यानन्द शर्मा

335/8, पुराना शिल्ली मार्ग, सोलन (हि.प्र.)

सबके हित की बात करो

पिछले दिनों सर्वोच्च न्यायालय ने केन्द्र सरकार के मजहबी आरक्षण को तगड़ा झटका दिया है। पिछड़ों के 27 प्रतिशत में से 4.5 प्रतिशत आरक्षण मुस्लिमों को देना असंवैधानिक तो है ही, साथ ही साथ घोर साम्प्रदायिक भी। पिछड़ों के 27 प्रतिशत में अनेक मुस्लिम जातियां भी शामिल हैं। फिर भी केन्द्र सरकार अलग से मुस्लिमों को आरक्षण देने पर अड़ी है। पहले आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय, फिर सर्वोच्च न्यायालय ने मजहबी आरक्षण के सन्दर्भ में जो कहा है वह बहुत ही महत्वपूर्ण है। सरकार को मुस्लिम-राग छोड़कर सभी लोगों के हित की बात सोचनी चाहिए।

–हरेन्द्र प्रसाद साहा

नया टोला, कटिहार-854105 (बिहार)

पञ्चांग

वि.सं.2069   तिथि   वार    ई.  सन्  2012

श्रावण शुक्ल    3     रवि  22 जुलाई, 2012

”     ”        4   सोम      23    ”    “

(नाग पंचमी)

”     ”        5   मंगल   24   ”    “

”     ”        7   बुध      25    ”     “

(छठी तिथि का क्षय)

”     ”        8   गुरु   26    ”     “

”     ”        9   शुक्र 27    ”     “

”     ”        10  शनि      28    ”     “

सबका बैंड बजाया

दुनिया भर में हो रही, थू–थू उनके नाम

मनमोहन सिंह ने किये, हैं ऐसे ही काम।

हैं ऐसे ही काम, व्यवस्था हुई भ्रष्ट है

उनका शासन भारत को दे रहा कष्ट है।

कह 'प्रशांत' पत्रिका टाइम ने भी बतलाया

उनकी अर्थनीति ने सबका बैंड बजाया।

-प्रशांत

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